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नेता जाग गये या फिर हम सो रहे हैं

अभिषेक पोद्दार
मुंबई में हुए आतंकी हमले अब समाप्‍त हो गये हैं. उन्‍हें जो करना था वो कर गये और हमेशा की तरह बाद में छोड गये हमारे उन नेताओं को राजनीति करने के लिए जिसका एक भी मौका हमारे नेता चूकना गंवारा नहीं समझते. अभी मुठभेड पूरी तरह से समाप्‍त ही नहीं हुआ था कि हमारे नेता बयानबाजी करना शुरू कर दिये. मोदी कहते हैं कि हमने तो पहले ही आगाह किया था कि ऐसा हमला होने वाला है अब केंद्र सरकार नहीं चेती तो यह केंद्र की गद्दी पर बैठे कांग्रेस सरकार की गलती है. वहीं पूर्व सांसद गायकवाड जो कि हमले के दौरान होटल ताज में बंधक थे उन्‍होंने तो दो दिन तक अंदर में रहकर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए स्‍लोगन तैयार कर लिये हैं और यह बात बडे ही बेबाकी से मीडिया के सामने कह रहे हैं. अब इनका भी जवाब नहीं. खैर हमारे नेता तो इस काम में माहिर ही है. अब महाराष्‍ट्र के ग़ह मंत्री आरआर पाटिल का बयान सुनिये वह कहते हैं कि बडे-बडे शहरों में ऐसी घटनाएं होती ही रहती है फिर भी हम जीते हैं वे लोग 5000 लोगों को मारने आये थे लेकिन मार पाये मात्र 195 वाह भाई वाह. अब जब जनता ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया पूरे देश में इस घटना के बाद राजनेताओं की थू-थू होने लगी तो हमारे नेताओं ने अंतिम वाण्‍ा चलाया इस्‍तीफे का. पहले तो प्रधानमत्री ने किसी के इशारे पर यहां इशारा किसका है यह तो आप जान ही सकते हैं आपात सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें ग़ह मंत्री शिवराज पाटिल को नहीं बुलाया और उनसे इस्‍तीफा ले लिया. और हमारे पीसी साहब को ग़ह मंत्री बना दिया अब भला जो दिन भर रूपये और डॉलर में खोये रहते हैं उन्‍हें कहा से पता चलेगा कि कौन आतंकी कहां से आयेगा. लेकिन यहां पर उन्‍होंने एक चालाकी जरूर कि इसके लिए अपने मंत्रीमंडल में फिर से कोई नया चेहरा शामिल नहीं किया नहीं तो विरोधियों को फिर एक मौका मिल जाता राजनीति करने का. वहीं आज महाराष्‍ट्र के ग़हमंत्री और सीएम विलासराव देशमुख को इस्‍तीफा दिलवा दिया. वाह जी वाह अब बाकी स्‍थानों की प्रतिक्रिया तो नहीं मालूम पर अपने यहां तो बडी जयकारा हो रही है इस निर्णय की ऐसा पहली बार हुआ कि किसी हमले के बाद किसी सरकार ने इतना कडा कदम उठाया है. सही में हमारी सरकार व नेता जाग गये हैं अब वह ठान लिये कि कुछ न कुछ तो करना ही होगा वगैरह वगैरह. तो मैं ज्‍यादा पीछे नहीं जाते हुए बस इतना ही कहना चाहूंगा कि पीएम बनने के समय भी सोनिया के विदेशी मूल का मुद्दा उठा था और उन्‍होंने पीएम का पद त्‍याग दिया था. उसके बाद मनमोहन सिंह पीएम बने लेकिन सरकार कौन चला रहा है यह तो जगजाहिर है हमारे पीएम साहब कोई निर्णय बिना उनकी अनुमति के तो लेते ही नहीं. अब आप कहेंगे कि मैं कांग्रेस विरोधी हूं शायद इसीलिए ऐसा कह रहा हूं लेकिन इस कार्य के पीछे भी हमारे इन नेताओं की बडी राजनीति छुपी हुई है अब जिन राज्‍यों में विधानसभा चुनाव होना था वो तो हो ही गये जिनमें बाकी है और आगामी लोकसभा चुनाव में कम से कम अपनी थोडी सी साख बचाने के लिए हमारे सत्‍तासीन नेता ऐसा कर रहे हैं. कम से कम उस समय यह तो कह पायेंगे कि हमले के बाद हमने जैसा काम किया जिस तरह से कडा निर्णय लिया वैसा आज तक के किसी सरकार ने नहीं लिया था और न ही ले पायेगी. हमने हमेशा जनता की सुरक्षा की सोची है भले ही चाहे विर्दभ में गरीबी के कारण्‍ा सैंकडों किसान आत्‍महत्‍या करें, कुपोषण के कारण हजारों लोग काल के गाल में समा जाये. इस आतंकियों के चपेट में हर महीने दो महीने में सैकडों लोगों की बलि दें. अब फैसला हमें और आपको करना है कि क्‍या सच में नेता जाग गये हैं या हम फिर सो रहे हैं.

Comments

Unknown said…
tumhari bebaki kabile daad hai, lekin isse bade mission ke liye bacha kar rakho. haan ek baat aur vyastha ke khilaph apne aakrosh ko zaroor marne mat do, lekin creative banao.

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