Shweta during coverage |
पटना : बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को सुबह दोबारा एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कर लिया. इस बीच राजधानी पटना में राजनैतिक चर्चाओं का बाजार उफान पर रहा. गुरुवार को अहले सुबह से ही तमाम मीडियाकर्मी राजभवन के बाहर शपथ ग्रहण को कवरेज करने के लिए मौजूद थे. इस इवेंट को कवरेज करने के लिए आजतक टीवी की जानी-मानी पत्रकार श्वेता सिंह भी विशेष रूप से पटना पहुंची थीं. श्वेता स्वयं एक बिहारी हैं और बिहार के वैशाली जिले के महुआ से आतीं हैं. श्वेता लोगों से इस राजनैतिक घमासान पर जमकर सवाल पूछतीं नज़र आईं. इस दौरान नयी नज़र के ब्लॉगर कुमार विवेक ने बिहार के बदलते घटनाक्रम पर श्वेता सिंह से बातचीत की, इसके मुख्य अंश हम आपसे साझा कर रहे है. ___
सवाल : श्वेता, देश की जानी-मानी पत्रकार होने के नाते बिहार के इस वर्त्तमान राजनैतिक घटनाक्रम को किस रूप में देखती हैं?
जवाब : देखिये, एक पत्रकार के तौर पर इस विषय पर कोई टिप्पणी करना थोड़ा मुश्किल है. हाँ चूँकि मैं खुद पत्रकार होने के साथ-साथ एक बिहारी भी हूँ. राजनैतिक मुद्दों पर राय रखना ही बिहारियों की यूएसपी है. मैं कहना चाहूंगी की नीतीश कुमार का यह फैसला बिहार के हित में है. नीतीश ने एक साधा हुआ फैसला लेते हुए अपनी साफ़ छवि को बरक़रार रखा है. इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि नरेंद्र मोदी की ही तरह नितीश कुमार की भी अपनी एक छवि है. महागठबंधन का साथ छोड़ने के नीतीश के इस फैसले से वैसे लोगों में एक पॉजिटिव मैसेज जायेगा जो बिहार को बदलता देखना चाहते है.
सवाल : नीतीश कुमार को कुछ लोग अवसरवादी करार दे रहे हैं, इस पर क्या कहना चाहेंगी ?
जवाब : देखिये यहाँ लोकतंत्र है. हर व्यक्ति अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है. पर मैं ऐसा नहीं मानती कि नीतीश के इस फैसले को अवसरवादिता से जोड़कर देखा जाना चाहिए. साल २००५ से बाद से जबसे नीतीश कुमार सत्ता में आये लोगों ने बिहार में परिवर्तन देखा है. नीतीश के विरोधी भी पिछले कई सालों में बिहार में आये बदलाव को नकार नहीं सकते। ९० के दशक में राजद के शासन के दौरान क्या स्थिति थी यह किसी से छुपा नहीं है. नीतीश के सत्ता में आने के बाद चीजें सकारात्मक रूप से बदलीं थीं, इस बात से ज्यादातर लोग सहमत दिख रहे हैं.
सवाल : लालू यादव और उनके पुत्रों के पोलिटिकल भविष्य के बारे में आपकी क्या राय है?
जवाब : विवेक, मैंने बिहार में पढ़ाई की हैं. उस समय बिहार में लालू यादव शासन में थे. उस समय हालात इतने बुरे थे कि ग्रेजुएशन का सत्र तीन की जगह पांच सालों में भी पूरा होने पर संदेह रहता था. यह दौर भी बिहार ने झेला हैं. फिर चारा घोटाला आया, मुक़दमों के कारण लालू को गद्दी छोड़नी पड़ी। आज फिर उनपर और उनके पुत्रों पर आरोप लग रहे हैं। इस बात में कोई शक नहीं है कि लालू यादव जनाधार वाले नेता रहे हैं, समाज के एक वर्ग पर उनकी जबरदस्त पकड़ है. पर, लालू जी ने अपनी छवि को सही करने के लिए कभी गंभीरता से प्रयास नहीं किया, शायद आज जो कुछ हो रहा है वो इसी का नतीजा है.
सवाल : मोदी युग में नीतीश पहली बार एनडीए फोल्डर में आये हैं, आपको क्या लगता है भाजपा और सहयोगी दलों के बीच उनका कद क्या होगा?
जवाब : नीतीश कुमार का राष्ट्रीय पटल पर अपनी एक प्रभावशाली छवि है. एनडीए और सहयोगी दलों के बीच उनका कद सम्मानजनक होगा इसमें कोई संदेह नहीं होनी चाहिए।
सवाल : अब नीतीश जी एनडीए के मुख्यमंत्री हैं, क्या यह उम्मीद की जाये अब पीएम मोदी अपने वादे को पूरा करते हुए बिहार को स्पेशल पैकेज देंगे?
जवाब : प्रधानमंत्री मोदी ऐसा जल्द से जल्द करें एक बिहारी होने के नाते मेरी भी यही तम्मना हैं. स्पेशल पैकेज तो मिलेगा ही ऐसा लग रहा है.
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