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Showing posts from August, 2008

झारखंड में बर्बाद हो रहा है एक जुरासिक पार्क

संजय पाण्‍डेय झारखंड राज्य के साहेबगंज जिले में लाखों सालों से धरती की परती में छिपे जुरासिक काल के जीवाष्मों का खजाना तेजी से न’ट हो रहा है ऌसके लिए बेहताषा हो रहे खनन को जिम्मेवार बताया जा रहा है राज्य की राजधानी रांची से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजमहल पहाड़ी क्षेत्र जीवाष्म संबंधी अध्ययन के लिए हमेषा से भूगर्भ विज्ञानियों व जीवाष्म वैज्ञानिकों को आकर्षित करता रहा है पूर्वी भारत के इस हिस्से में कोयले के बेहिसाब भंडार होने की वजह से हमेषा यहां माइनिंग का काम भी बहुत अधिक होता है रांची विष्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर विजय सिंह के मुताबिक राजमहाल क्षेत्र में पौधों के जीवाष्म दुर्लभ है लाखों साल पहले हुए ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान वनस्पति और जीव-जंतु फॉसिल मे तब्दील होते चले गये ऌस क्षेत्र से डायनासॉर के पैरों से मिलते जुलते निषान भी मिले हैं प्रो विजय के अनुसार ये फॉसिल खनन और सड़क बनाने की वजह से न’ट हो रहे हैं उनकी हिफाजत के लिए कोई तरीका ईजाद किया जाना चाहिए यहां पाये जाने वाले फॉसिल मुख्य रूप से ग्लॉसोपिट्स, गोंग्मोपेटि्स, बटेबर्रारिया और नेएगराथियोपसिस जैसे

उसे जब याद आयेगा

कई दिनों बाद फिर से एक बार मुझे उस दोस्‍त का मेल आया जिसके बारे में मैं आपको पहले भी बता चुका हूं. उन्‍होंने फिर एक कविता भेजी है हालांकि इस कविता के लिए मैंने उनसे कई बार कहा कि कुछ भेजिये, तब जाकर करीब दो तीन महीने के बाद उन्‍होंने मुझे अपने ब्‍लाग के लिए मेल किया जो अब आपसभी के बीच रख रहा हूं उसे जब याद आयेगा वो पहली बार का मिलना तो पल पल याद रखेगा या सब कुछ भुल जायेगा उसे जब याद आयेगा गये मौसम का हर पल तो खुद ही रो पडेगा वह, या खुद की मुस्‍कूरायेगा उसे जब याद आयेगा कि सावन लौट आया है बुला लेगा वो मुझको, या खुद की लौट आयेगा उसे जब याद आयेगा मैं कैसे मुस्‍कूराता था तो आखें मुस्‍कूरायेगी, या दामन भींग जायेगा उसे जब याद आयेगा मैं कैसेट नाम लेता था तो मेरा नाम लिखेगा, या अपना भी मिटायेगा उसे जब याद आयेगा मेरा खामोश सा रहना तो सब को बोल देगा वह, या खुद से भी छुपायेगा उसे जब याद आयेगा मेरे सर को फेराना तो बिजली बन के कडकेगा, या बादल बन के छायेगा उसे जब याद आयेगा मेरा चलना, मेरा फिरना तो राह में हार बोयेगा, या फिर पलकें बिछायेगा उसे जब याद आयेगा मेरा मुडकर चले जाना तो बंद रखेगा दरवाजे या फ

चूहा खाना हो तो बिहार जाएं

संजय पाण्‍डेय कभी लालू प्रसाद ने चरवाहों तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाने के लिए ‘चरवाहा विद्यालय’ की परिकल्पना को हकीकत में तब्दील कर नायाब समाज शास्त्रीय हस्तक्षेप किया था, अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बारी है। उनकी सरकार ने राज्य की अति गरीब “मुसहर जाति” के उत्थान के लिए चूहे के मांस का बाजारीकरण करने का फैसला किया है। जल्द ही राज्य के होटलों में लजीज व्यंजनों की सूची में चूहे से बने व्यंजन भी शामिल हो जाएंगे। इसके पीछे इस जाति के सामाजिक-आर्थिक उत्थान का उद्देश्य छिपा है। राज्य के शहरी इलाकों में चूहे का मांस को भोजन में शामिल कराए जाने का प्रयास तेज किया जाएगा। मुसहर जाति के लोगों के लिए चूहा पसंदीदा आहार है। चूहा पकड़ने में इस जाति की होशियारी जगजाहिर है।राज्य समाज कल्याण मंत्रालय के प्रधान सचिव विजय प्रकाश ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, “हम मुसहर जाति के लोगों को मुर्गी पालन की तर्ज पर चूहा पालन के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इसके लिए इस जाति के लोगों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जाएगी। इससे इस जाति को नियमित आमदनी होगी। पालतू चूहों का मांस होटलों व शहरी इलाकों में खपाया जाएगा”।

रोज 7000 औरतें हो रही हैं एचआईवी पॉजिटिव

संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई है कि दुनिया भर में हर दिन 7,000 महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव हो जाती हैं। इसके मद्देनजर यूएन ने सेक्सुअल हेल्थ सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच का आह्वान किया है। उसने एड्स बीमारी के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए भारत के प्रयासों की प्रशंसा भी की है। युनाइटेड नेशंस पॉप्युलेशन फंड की डिप्टी इग्जेक्युटिव डायरेक्टर पूर्णिमा माने ने कहा कि लड़कियों और जवान महिलाओं को दोगुने खतरे का सामना करना पड़ता है, इसलिए इस बीमारी से उनके बचाव के लिए दोगुनी कोशिश की जरूरत है। उन्होंने कम उम्र की लड़कियों में एचआईवी वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जाने वाले उपायों पर यहां एक गाइड जारी करते हुए यह बात कही। माने ने कहा कि भारत में नागरिक प्रशासन संगठनों और कार्यकर्ताओं ने बाल विवाह निषेध अधिनियम को पारित करवाने में योगदान किया है। यह लड़कियों को कम उम्र में शारीरिक संबंध से बचाने में मदद करता है जो उनमें एचआईवी संक्रमण का खतरा पैदा कर सकता है। उन्होंने इस बीमारी के प्रसार को रोकने की कोशिश के लिए दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम की भी प्रशंसा की। यूएन की इस संस्थ