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Showing posts from September, 2008

दोस्‍त मैं शादी कर रही हूं

आज फिर कई दिनों बाद मेरी बात उस दोस्‍त से हुई जिसकी कुछ कविताएं मैं आपको पहले भी पढाता आया हूं हालांकि आज भी बात के क्रम में मैंने उसका नाम इस पोस्‍ट में डालने की आज्ञा मांगी पर उसने खारिज कर दिया. खैर मुद्दे पर आता हूं आज भी जब मेरी बात हुई पहले की ही तरह हुई और हम जब भी बात करते एक गर्मजोशी से बात करते ऐसा कभी नहीं लगा कि जिससे मैं बात कर रहा हूं उससे आज तक मिला नहीं हूं आज भी बात करके लगता है कि जैसे कल ही मैं उससे मिला था और कल ही बात हुई थी. चूंकि मैं अखबार में काम करता हूं तो उसने बात की शुरूआत ही ऐसे कि की अभी एक न्‍यूज है मैंने पूछा कि क्‍या मैंने सोचा इंदौर में भी कोई हादसा हो गया क्‍या, क्‍योंकि हमें तो सिर्फ सभी जगहों पर खबर ही दिखती है पर उसने कहा दोस्‍त मैं शादी कर रही हूं, पता नहीं एक अजब सी खुशी मेरे जेहन में उतर गई जिसका आभास मुझे उससे बात करने के बाद हुआ. उसके बाद मैंने उससे पूरी कहानी पूछी जैसा सभी पूछते हैं उसने भी बडी सादगी से उसका जवाब दिया. पर जो जवाब दिया उसने मेरे दिल में एक अजब सी उलझन में डाल दिया, मैं आज तक सोचता था कि प्‍यार व्‍यार कुछ नहीं होता सिर्फ चंद दि

डेढ़ महीने के बच्चे के पेट में बच्चा

कोलकाता के एक नर्सिन्ग होम के डॉक्टरों ने डेढ़ महीने के बच्चे के पेट से भ्रूण निकाला है। डेढ़ महीने का जुनैद आलम पेट की लगातार बढ़ती सूजन की वजह से ढंग से सांस भी नहीं ले पा रहा था। किसी को पता भी नहीं था कि उसकी इस परेशानी की वजह उसके पेट में पल रहा उसी का जुड़वां भ्रूण था। चिकित्सा जगत के इस अनोखे घटनाक्रम में जुनैद के पेट से उसके जुड़वा के भ्रूण को एक सफल ऑपरेशन के बाद बाहर निकाल दिया गया। जुनैद का ऑपरेशन करने वाले सर्जन प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने बताया कि झारखंड निवासी आलम को 21 सितंबर को नर्सिन्ग होम में भर्ती कराया गया था। जांच के बाद उसके पेट में एक बड़े ट्यूमर का पता चला। पहले डॉक्टर को लगा कि यह कैंसर का मामला हो सकता है। जुनैद के पिता की सहमति के बाद 22 सितंबर को उसका ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के दौरान ही पता चला कि वह कोई ट्यूमर नहीं, बल्कि एक अविकसित भ्रूण है। डॉक्टरों ने बताया कि भ्रूण के अंदर भ्रूण के पलने की घटना कम ही देखने को मिलती है और उनमें भी एक का ज़िंदा बच जाना तो बहुत ही आश्चर्यजनक है।

नानावटी रिपोर्ट पर खड़े हुए सवाल

गुजरात दंगा पर आई नानावटी रिपोर्ट पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। पीड़ितों के न्याय की लड़ाई लड़ रहे जन संघर्ष मंच ने नानावटी आयोग की रिपोर्ट को पटरी से उतरी हुई रिपोर्ट करार दिया है। मंच के वकील डॉ. मुकुल सिन्हा ने कहा कि आयोग ने सीधे-सीधे पुलिस की ओर से दिए गए आरोपियों के इकबालिया बयानों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के निकट साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 डिब्बे को आग लगने की घटना ' एक सोची समझी साज़िश ' का नतीजा थी। डॉ. सिन्हा के अनुसार इस बात को रिपोर्ट में साबित नहीं किया गया है कि यह एक साज़िश थी। डॉ. सिन्हा ने कहा कि आयोग ने पुलिस अधिकारी राजू भार्गव की गवाही को पूरी तरह नज़रंदाज़ कर दिया है। जब भार्गव घटनास्थल पर पहुंचे थे तो ट्रेन से कूदकर बाहर आने वाले घायलों पर जलने के घाव कमर से ऊपर थे। सिन्हा ने कहा कि भार्गव ने यह भी कहा था कि उन्होंने पेट्रॉल की कोई गंध महसूस नहीं की थी और डिब्बे के फर्श पर कोई आग की लपट नहीं थी। सिन्हा के अनुसार आयोग ने इस संदर्भ में यात्रियों की गवाही की भी अनदेखी की है। लगभग 70 यात्री जो ट्रेन से बाहर निकलने म

फिर फंसी मेरठ में दूसरी गुडिया

चौदह साल के बाद लौट आने वाले आबिद की अपनी बीवी शबाना को पाने की जद्दोजहद अब दोनों पक्षों की पंचायतों में उलझ गई है। जहां कुलंजन गांव की पंचायत इस मामले को लेकर पूरी तरह आबिद के पक्ष में खड़ी है, वहीं लावड़ की पंचायत ने ऐलान कर दिया है कि शबाना को किसी भी हाल में आबिद को नहीं सौंपा जाएगा। इस मामले में एक गंभीर मोड़ आबिद की सास अकबरी के हालिया बयान के बाद आ गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि आबिद ने शबाना का न केवल शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया बल्कि उसे गलत धंधे में भी धकेलने की कोशिश की। अकबरी का कहना है कि आबिद के ज़ुल्म से तंग आकर शबाना अपने बच्चे को लेकर मायके आ गई थी लेकिन आबिद उसके पीछे पीछे चला आया और उसने गांव के लोगों के सामने ही शबाना को पीटा। गांव वालों के विरोध करने पर आबिद ने शबाना को तलाक दे दिया। इसके बाद कई सालों के लिए वह गायब हो गया। अकबरी ने कहा कि चूंकि आबिद शबाना को तलाक देने के बाद लापता हुआ था इसलिए इद्दत की रस्म के बाद छह साल पहले शबाना का निकाह मुज़फ्फरपुर के खालापार निवासी अबरार से कर दिया गया। आबिद के लौट आने के बाद अकबरी के गांव की पंचायत में शबाना के दूसरे

टिंग्या भी ऑस्कर की दौड़ में

'तारे ज़मीं पर' इस बार ऑस्कर के लिए भारत की तरफ से विदेशी भाषा के तौर पर आधिकारिक फिल्म के तौर पर नामांकित हुई है लेकिन 'तारे ज़मीं पर' फिल्म को टक्कर देने वाली मराठी भाषा की फिल्म टिंग्या भी ऑस्कर की दौड़ में स्वतंत्र रूप से जा रहीं है। ‘टिंग्या’ को भी समीक्षकों ने बेहतर फिल्म के रूप में अपना साधुवाद दिया था और इस लिहाज से फिल्म के निर्माता रवि राय ने फिल्म को स्वतंत्र रूप से ऑस्कर की दौड़ में भेजने का फैसला किया है। हालांकि रवि रॉय ने फिल्म तारे जमीन पर को अपनी प्रिय फिल्म भी बताया है और कहा है कि दोनों ही फिल्में अच्छी है और उनकों किसी से कोई शिकायत नहीं हैं।

झारखंड में ऐसा ही होता है

अभिषेक पोद्दार झारखंड बने 8 साल होने को है, इन आठ सालों में झारखंड ने बहुत उतार चढाव देखे हैं, कई ऐसी घटनाएं हुई है जो लोगों के जेहन में अब भी याद है उनमें से कुछ घटनाएं ऐसी भी है जो घटी तो जरूर लेकिन हमसब उसे जान न पाये और जान पाये तो बस एक दिन के अखबार में फिर उस घटना का क्‍या हुआ क्‍या नहीं कुछ पता नहीं, कुछ इसी तरह की घटनाओं को आपके सामने पेश करने जा रहा हूं जो और कही नहीं सिर्फ झारखंड में ही हो सकता है. अभी कुछ दिनों पहले ही झारखंड की सियासत काफी गरम चल रही थी, सभी राजनीतिक दल कुर्सी के लिए हायतौबा मचाये हुए थे. झामुमो मधु कोडा ने मुख्‍यमंत्री की कुर्सी छोडने के लिए कह रहे थे, सभी राजनीतिक दल इस ताक में लगे हुए थे कि कब मौका लगे और हम अपनी सरकार बनाने का प्रयास करे, निर्दलीय विधायक अपना वजन बढाने में लगे थे. तभी राज्‍य के मेदिनीनगर में एक घटना घटी जिसे उस समय न तो राजनीतिक दलों ने गंभीरता से लिया और न ही यहां की मीडिया ने. राज्‍य के मेदिनीनगर जिले के डाल्‍टेनगंज में नरेगा अध्‍यक्ष ने अपने नरेगा मद में बकाये भुगतान की समस्‍या को लेकर खुदकुशी कर ली. लेकिन न तो प्रशासनिक गलियारों में