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Showing posts from 2008

शादी के लिए किया गया 209 पुरुषों को अगवा

शायद यह सुनकर आपको यकीन न हो लेकिन यह सच है। ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले साल जबर्दस्ती विवाह कराने के लिए 209 पुरुषों को अगवा किया गया। इनम 3 पुरुष ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 50 साल से अधिक थी जबकि 2 की उम्र दस साल से भी कम थी। नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी 'भारत में अपराध 2007' रिपोर्ट के अनुसार, मजे की बात है कि बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जहां महिलाओं की तुलना में पुरुषों की अधिक किडनैपिंग होती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में 1268 पुरुषों की किडनैपिंग की गई थी जबकि महिलाओं की संख्या इस आंकड़े से 6 कम थी। अपहरण के 27, 561 मामलों में से 12, 856 मामले विवाह से संबंधित थे। महिलाओं की किडनैपिंग के पीछे सबसे बड़ा कारण विवाह है। महिलाओं के कुल 20,690 मामलों में से 12,655 किडनैपिंग शादी के लिए हुई थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि किडनैप की गईं लड़कियों अधिकाधिक की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। साभार नवभारत टाइम्‍स

नेता जाग गये या फिर हम सो रहे हैं

अभिषेक पोद्दार मुंबई में हुए आतंकी हमले अब समाप्‍त हो गये हैं. उन्‍हें जो करना था वो कर गये और हमेशा की तरह बाद में छोड गये हमारे उन नेताओं को राजनीति करने के लिए जिसका एक भी मौका हमारे नेता चूकना गंवारा नहीं समझते. अभी मुठभेड पूरी तरह से समाप्‍त ही नहीं हुआ था कि हमारे नेता बयानबाजी करना शुरू कर दिये. मोदी कहते हैं कि हमने तो पहले ही आगाह किया था कि ऐसा हमला होने वाला है अब केंद्र सरकार नहीं चेती तो यह केंद्र की गद्दी पर बैठे कांग्रेस सरकार की गलती है. वहीं पूर्व सांसद गायकवाड जो कि हमले के दौरान होटल ताज में बंधक थे उन्‍होंने तो दो दिन तक अंदर में रहकर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए स्‍लोगन तैयार कर लिये हैं और यह बात बडे ही बेबाकी से मीडिया के सामने कह रहे हैं. अब इनका भी जवाब नहीं. खैर हमारे नेता तो इस काम में माहिर ही है. अब महाराष्‍ट्र के ग़ह मंत्री आरआर पाटिल का बयान सुनिये वह कहते हैं कि बडे-बडे शहरों में ऐसी घटनाएं होती ही रहती है फिर भी हम जीते हैं वे लोग 5000 लोगों को मारने आये थे लेकिन मार पाये मात्र 195 वाह भाई वाह. अब जब जनता ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया पूरे देश में इस घटन

नहीं बन सके एक-दूजे के लिए

कहते हैं कि शादी के लिए जोडी भगवान ही बनाकर इस धरती पर भेजता है, सभी इसे सच भी मानते हैं और कहते भी है कि अगर किसी की शादी किसी से न हो पाई और अगर किसी से हो गई तो भाई हम क्‍या कर सकते हैं यह सब तो उस भगवान का किया खेल है. परंतु ईश्‍वर ने रांची के रहने वाले मलयेश के लिए कुछ अजब ही खेल खेला. मलयेश जो रांची का रहनेवाला था और फिलहाल मुंबई में रिलांयस कंपनी में साफटवेयर इंजीनियर के पोस्‍ट पर कार्यरत था. उसकी शादी 6 दिसंबर को होने वाली थी. वह भी उससे नहीं जिसे ईश्‍वर ने उसके लिए बनाया था बल्कि उससे जिससे उसने प्‍यार किया था और प्‍यार भी कोई ऐसा वैसा नहीं उसकी दिवानगी ऐसी थी कि उसने अपनी शादी के लिए अपनी एक वेबसाइट भी बना रखी थी जिसपर उसे जानने वाले या उसे चाहने वाले उसे शुभकामनाएं दे सके और उन दोनों के जिंदगी की हर बात जान सके मसलन कैसे उनकी मुलाकात हुई कैसे वह एक दूसरे के करीब आये और कैसे प्‍यार हुआ. यहां यह बता दूं कि मलयेश खडगपुर से आईआईटी करने के बाद जैन इंस्‍टीटच्‍यूट से एमबीए किया. आईआईटी करने के दौरान ही उसकी नजर खुशबू नाम की एक लडकी पर पडी और उनदोनों के बीच पहले तो दोस्‍ती हुई और फि

हमले हो गये यार सोने दो

बुधवार की शाम मैच देख रहा था, मैच खत्‍म हो गया था मैन ऑफ द मैच का पुरस्‍कार भी वीरू को मिल चुका था तभी स्‍पेशल रिपोर्ट के लिए समाचार चैनल लगाया वहां कपिल देव अपनी बात कह ही रहे थे कि अचानक मुंबई से एक बडी खबर आई कि मुंबई में फायरिंग हो रही है. 10 लोग घायल हुए हैं. मैंने भी उसे हल्‍के से लिया, डाक एडिशन छोड चुका था अब सिटी एडिशन की तैयारी थी, सोचा देख लेते है कुछ लोग मरेंगे तो पहले पेज पर लगाने की सोचूंगा नहीं तो देश-विदेश पेज है न जिंदाबाद. यही सोचते सोचते खाना खाने चला गया. जब खाना खा कर आया तो पता चला कि 25 लोग मारे जा चुके हैं. अब क्‍या करू यह सोचने लगा क्‍योंकि आज ऑफिस में मैं ही एकलौता सीनियर आदमी था बाकी सभी छुट्रटी पर चले गये थे और कुछ एक पार्टी में चले गये थे अब कल ही वे आते. और तो और हमारे संपादक जी भी बाहर थे, जिनसे बात नहीं हो पाई. तभी दिमाग में आया कि अपने प्रबंधक को फोन लगाया जाये मैंने उन्‍हें फोन किया तो उन्‍होंने कहा कि हां पता है लोग मर रहे हैं. अब तुम जैसा चाहो कर लो देख लेना ठीक-ठाक कवरेज हो जाये. और फोन रख दिया. मैंने फिर उन्‍हें फोन किया कि सर कोई स्‍पेशल पेज दिया

लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ विज्ञापन

यह पढकर आपको लग रहा है कि इसे लिखने वाला शायद पागल हो गया है पंरतु झारखंड में बीते दिनों जिस तरह से एक घटना हुई उससे तो आपको यह पूरा विश्‍वास हो जायेगा कि लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ मीडिया नहीं विज्ञापन है. झारखंड की आठवीं वर्षगांठ पर राज्‍य सरकार की ओर से 15 नवंबर से 25 नवंबर तक मोरहाबादी मैदान में उधोग मेला लगाया गया था. इसके लिए पूरी तैयारियां भी की कई गई थी. कई बडी कंपनियों के स्‍टाल भी लगे लोगों की भीड भी काफी उमडी कुल मिलाकर यह मेला पूर्णत सफल रहा. परंतु इस मेले के खत्‍म होने के बाद भी एक टीस दिल में लगी रही. जब इस मेले की घोषणा के लिए राज्‍य के उपमुख्‍यमंत्री सुधीर महतो ने प्रेस कांफ्रेस की थी, जिसमें उन्‍होंने मेले के बारे मीडिया के माध्‍यम से जानकारियां दी थी. इसी क्रम में उन्‍होंने एक सवाल के जवाब में कहा था कि जो इस मेले का बेहतरीन कवरेज करेगा उसे ईनाम दिया जायेगा, वहीं जो खराब या यूं कह लें निगेटिव कवरेज करेगा उसे लाठियां मिलेगी. उन्‍होंने जब यह बातें कहीं उस समय राज्‍य के लगभग सभी प्रमुख समाचारपत्र व इलेक्‍ट्रानिक मीडिया के संवाददाता मौजूद थे. जिसपर सब लोगों ने थोडा ऐतराज जता

एक ऐसा देश जहां हर 26 सेकेंड में होता है बलात्‍कार

दक्षिण अफ्रीकी ऐक्ट्रिस और सामाजिक कार्यकर्ता शार्लीज़ थेरन का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका में हर 26 सेकंड में एक महिला बलात्कार की शिकार होती है। अकैडमी अवॉर्ड विजेता थेरन का कहना है कि इस देश की स्थिति भयावह है। थेरन को संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने संयुक्त राष्ट्र का शांति दूत नियुक्त किया है। वह महिलाओं के खिलाफ हिंसा के खात्मे के लिए अभियान चलाएंगी। न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में थेरन ने कहा कि साउथ अफ्रीका में महिलाओं की स्थिति भयावह है। हालात इतने खराब हैं कि वहां हर तीन में से एक महिला बलात्कार का शिकार बनती है। थेरन ने केपटाउन में महिलाओं के लिए एक विशेष संस्था की स्थापना की है। यह संस्था महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और उनके जीवन में सुधार लाने के लिए काम करती है।

कल का रोडपति शिक्षक अब करोड़पति बना

संजय पांण्‍डेय एक मामूली शिक्षक के बैंक खाते में 99 करोड़ रुपये एक मुश्त कहीं से आ गये। शिक्षक को इसकी जानकारी तब हुई जब वे अपने बैंक खाते से पैसा निकालने गये। बैलेंस देख उन्हें गश आ गया। कुछ देर बाद वे संयत हुए और बिना पैसा निकाले ही घर लौट गए। ऐसे में यहां एक सवाल उठ रहा है कि एक साधारण शिक्षक के खाते में एक मुश्त 99 करोड़ रुपये कहां से आये और किसने भेजे! गोरखपुर के खोराबार थाना अंतर्गत ग्राम महीमाठ निवासी बीरेन्द्र पाण्डेय नामक यह शिक्षक प्राथमिक स्कूल सनहा में तैनात हैं। शिक्षक के खाते में नौ मार्च 07 के पूर्व कुल 2500 रुपये थे। बकौल शिक्षक दस मार्च को स्टेट बैंक की इंजीनियरिंग कालेज शाखा जाने पर पता चला कि उनके खाते में एक मुश्त 99 करोड़ रुपये कही से आ गये हैं। वे सकते में आ गये और बिना रुपये निकाले घर लौट आये। सोचा कहीं उनके खिलाफ किसी ने साजिशन तो यह रकम नहीं भेजी। सो अपने सहयोगी शिक्षक गंगा शरण त्रिपाठी, प्राथमिक शिक्षक संघ के मंत्री राजेश दुबे, खोराबार के संकुल प्रभारी श्री राम गुप्त आदि को खाते में 99 करोड़ रुपये आने की जानकारी दी। शिक्षक श्री पांडेय के खाते में 99 करोड़ एक मुश्त

दोस्‍त मैं शादी कर रही हूं

आज फिर कई दिनों बाद मेरी बात उस दोस्‍त से हुई जिसकी कुछ कविताएं मैं आपको पहले भी पढाता आया हूं हालांकि आज भी बात के क्रम में मैंने उसका नाम इस पोस्‍ट में डालने की आज्ञा मांगी पर उसने खारिज कर दिया. खैर मुद्दे पर आता हूं आज भी जब मेरी बात हुई पहले की ही तरह हुई और हम जब भी बात करते एक गर्मजोशी से बात करते ऐसा कभी नहीं लगा कि जिससे मैं बात कर रहा हूं उससे आज तक मिला नहीं हूं आज भी बात करके लगता है कि जैसे कल ही मैं उससे मिला था और कल ही बात हुई थी. चूंकि मैं अखबार में काम करता हूं तो उसने बात की शुरूआत ही ऐसे कि की अभी एक न्‍यूज है मैंने पूछा कि क्‍या मैंने सोचा इंदौर में भी कोई हादसा हो गया क्‍या, क्‍योंकि हमें तो सिर्फ सभी जगहों पर खबर ही दिखती है पर उसने कहा दोस्‍त मैं शादी कर रही हूं, पता नहीं एक अजब सी खुशी मेरे जेहन में उतर गई जिसका आभास मुझे उससे बात करने के बाद हुआ. उसके बाद मैंने उससे पूरी कहानी पूछी जैसा सभी पूछते हैं उसने भी बडी सादगी से उसका जवाब दिया. पर जो जवाब दिया उसने मेरे दिल में एक अजब सी उलझन में डाल दिया, मैं आज तक सोचता था कि प्‍यार व्‍यार कुछ नहीं होता सिर्फ चंद दि

डेढ़ महीने के बच्चे के पेट में बच्चा

कोलकाता के एक नर्सिन्ग होम के डॉक्टरों ने डेढ़ महीने के बच्चे के पेट से भ्रूण निकाला है। डेढ़ महीने का जुनैद आलम पेट की लगातार बढ़ती सूजन की वजह से ढंग से सांस भी नहीं ले पा रहा था। किसी को पता भी नहीं था कि उसकी इस परेशानी की वजह उसके पेट में पल रहा उसी का जुड़वां भ्रूण था। चिकित्सा जगत के इस अनोखे घटनाक्रम में जुनैद के पेट से उसके जुड़वा के भ्रूण को एक सफल ऑपरेशन के बाद बाहर निकाल दिया गया। जुनैद का ऑपरेशन करने वाले सर्जन प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने बताया कि झारखंड निवासी आलम को 21 सितंबर को नर्सिन्ग होम में भर्ती कराया गया था। जांच के बाद उसके पेट में एक बड़े ट्यूमर का पता चला। पहले डॉक्टर को लगा कि यह कैंसर का मामला हो सकता है। जुनैद के पिता की सहमति के बाद 22 सितंबर को उसका ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के दौरान ही पता चला कि वह कोई ट्यूमर नहीं, बल्कि एक अविकसित भ्रूण है। डॉक्टरों ने बताया कि भ्रूण के अंदर भ्रूण के पलने की घटना कम ही देखने को मिलती है और उनमें भी एक का ज़िंदा बच जाना तो बहुत ही आश्चर्यजनक है।

नानावटी रिपोर्ट पर खड़े हुए सवाल

गुजरात दंगा पर आई नानावटी रिपोर्ट पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। पीड़ितों के न्याय की लड़ाई लड़ रहे जन संघर्ष मंच ने नानावटी आयोग की रिपोर्ट को पटरी से उतरी हुई रिपोर्ट करार दिया है। मंच के वकील डॉ. मुकुल सिन्हा ने कहा कि आयोग ने सीधे-सीधे पुलिस की ओर से दिए गए आरोपियों के इकबालिया बयानों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के निकट साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 डिब्बे को आग लगने की घटना ' एक सोची समझी साज़िश ' का नतीजा थी। डॉ. सिन्हा के अनुसार इस बात को रिपोर्ट में साबित नहीं किया गया है कि यह एक साज़िश थी। डॉ. सिन्हा ने कहा कि आयोग ने पुलिस अधिकारी राजू भार्गव की गवाही को पूरी तरह नज़रंदाज़ कर दिया है। जब भार्गव घटनास्थल पर पहुंचे थे तो ट्रेन से कूदकर बाहर आने वाले घायलों पर जलने के घाव कमर से ऊपर थे। सिन्हा ने कहा कि भार्गव ने यह भी कहा था कि उन्होंने पेट्रॉल की कोई गंध महसूस नहीं की थी और डिब्बे के फर्श पर कोई आग की लपट नहीं थी। सिन्हा के अनुसार आयोग ने इस संदर्भ में यात्रियों की गवाही की भी अनदेखी की है। लगभग 70 यात्री जो ट्रेन से बाहर निकलने म

फिर फंसी मेरठ में दूसरी गुडिया

चौदह साल के बाद लौट आने वाले आबिद की अपनी बीवी शबाना को पाने की जद्दोजहद अब दोनों पक्षों की पंचायतों में उलझ गई है। जहां कुलंजन गांव की पंचायत इस मामले को लेकर पूरी तरह आबिद के पक्ष में खड़ी है, वहीं लावड़ की पंचायत ने ऐलान कर दिया है कि शबाना को किसी भी हाल में आबिद को नहीं सौंपा जाएगा। इस मामले में एक गंभीर मोड़ आबिद की सास अकबरी के हालिया बयान के बाद आ गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि आबिद ने शबाना का न केवल शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया बल्कि उसे गलत धंधे में भी धकेलने की कोशिश की। अकबरी का कहना है कि आबिद के ज़ुल्म से तंग आकर शबाना अपने बच्चे को लेकर मायके आ गई थी लेकिन आबिद उसके पीछे पीछे चला आया और उसने गांव के लोगों के सामने ही शबाना को पीटा। गांव वालों के विरोध करने पर आबिद ने शबाना को तलाक दे दिया। इसके बाद कई सालों के लिए वह गायब हो गया। अकबरी ने कहा कि चूंकि आबिद शबाना को तलाक देने के बाद लापता हुआ था इसलिए इद्दत की रस्म के बाद छह साल पहले शबाना का निकाह मुज़फ्फरपुर के खालापार निवासी अबरार से कर दिया गया। आबिद के लौट आने के बाद अकबरी के गांव की पंचायत में शबाना के दूसरे

टिंग्या भी ऑस्कर की दौड़ में

'तारे ज़मीं पर' इस बार ऑस्कर के लिए भारत की तरफ से विदेशी भाषा के तौर पर आधिकारिक फिल्म के तौर पर नामांकित हुई है लेकिन 'तारे ज़मीं पर' फिल्म को टक्कर देने वाली मराठी भाषा की फिल्म टिंग्या भी ऑस्कर की दौड़ में स्वतंत्र रूप से जा रहीं है। ‘टिंग्या’ को भी समीक्षकों ने बेहतर फिल्म के रूप में अपना साधुवाद दिया था और इस लिहाज से फिल्म के निर्माता रवि राय ने फिल्म को स्वतंत्र रूप से ऑस्कर की दौड़ में भेजने का फैसला किया है। हालांकि रवि रॉय ने फिल्म तारे जमीन पर को अपनी प्रिय फिल्म भी बताया है और कहा है कि दोनों ही फिल्में अच्छी है और उनकों किसी से कोई शिकायत नहीं हैं।

झारखंड में ऐसा ही होता है

अभिषेक पोद्दार झारखंड बने 8 साल होने को है, इन आठ सालों में झारखंड ने बहुत उतार चढाव देखे हैं, कई ऐसी घटनाएं हुई है जो लोगों के जेहन में अब भी याद है उनमें से कुछ घटनाएं ऐसी भी है जो घटी तो जरूर लेकिन हमसब उसे जान न पाये और जान पाये तो बस एक दिन के अखबार में फिर उस घटना का क्‍या हुआ क्‍या नहीं कुछ पता नहीं, कुछ इसी तरह की घटनाओं को आपके सामने पेश करने जा रहा हूं जो और कही नहीं सिर्फ झारखंड में ही हो सकता है. अभी कुछ दिनों पहले ही झारखंड की सियासत काफी गरम चल रही थी, सभी राजनीतिक दल कुर्सी के लिए हायतौबा मचाये हुए थे. झामुमो मधु कोडा ने मुख्‍यमंत्री की कुर्सी छोडने के लिए कह रहे थे, सभी राजनीतिक दल इस ताक में लगे हुए थे कि कब मौका लगे और हम अपनी सरकार बनाने का प्रयास करे, निर्दलीय विधायक अपना वजन बढाने में लगे थे. तभी राज्‍य के मेदिनीनगर में एक घटना घटी जिसे उस समय न तो राजनीतिक दलों ने गंभीरता से लिया और न ही यहां की मीडिया ने. राज्‍य के मेदिनीनगर जिले के डाल्‍टेनगंज में नरेगा अध्‍यक्ष ने अपने नरेगा मद में बकाये भुगतान की समस्‍या को लेकर खुदकुशी कर ली. लेकिन न तो प्रशासनिक गलियारों में

झारखंड में बर्बाद हो रहा है एक जुरासिक पार्क

संजय पाण्‍डेय झारखंड राज्य के साहेबगंज जिले में लाखों सालों से धरती की परती में छिपे जुरासिक काल के जीवाष्मों का खजाना तेजी से न’ट हो रहा है ऌसके लिए बेहताषा हो रहे खनन को जिम्मेवार बताया जा रहा है राज्य की राजधानी रांची से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजमहल पहाड़ी क्षेत्र जीवाष्म संबंधी अध्ययन के लिए हमेषा से भूगर्भ विज्ञानियों व जीवाष्म वैज्ञानिकों को आकर्षित करता रहा है पूर्वी भारत के इस हिस्से में कोयले के बेहिसाब भंडार होने की वजह से हमेषा यहां माइनिंग का काम भी बहुत अधिक होता है रांची विष्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर विजय सिंह के मुताबिक राजमहाल क्षेत्र में पौधों के जीवाष्म दुर्लभ है लाखों साल पहले हुए ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान वनस्पति और जीव-जंतु फॉसिल मे तब्दील होते चले गये ऌस क्षेत्र से डायनासॉर के पैरों से मिलते जुलते निषान भी मिले हैं प्रो विजय के अनुसार ये फॉसिल खनन और सड़क बनाने की वजह से न’ट हो रहे हैं उनकी हिफाजत के लिए कोई तरीका ईजाद किया जाना चाहिए यहां पाये जाने वाले फॉसिल मुख्य रूप से ग्लॉसोपिट्स, गोंग्मोपेटि्स, बटेबर्रारिया और नेएगराथियोपसिस जैसे

उसे जब याद आयेगा

कई दिनों बाद फिर से एक बार मुझे उस दोस्‍त का मेल आया जिसके बारे में मैं आपको पहले भी बता चुका हूं. उन्‍होंने फिर एक कविता भेजी है हालांकि इस कविता के लिए मैंने उनसे कई बार कहा कि कुछ भेजिये, तब जाकर करीब दो तीन महीने के बाद उन्‍होंने मुझे अपने ब्‍लाग के लिए मेल किया जो अब आपसभी के बीच रख रहा हूं उसे जब याद आयेगा वो पहली बार का मिलना तो पल पल याद रखेगा या सब कुछ भुल जायेगा उसे जब याद आयेगा गये मौसम का हर पल तो खुद ही रो पडेगा वह, या खुद की मुस्‍कूरायेगा उसे जब याद आयेगा कि सावन लौट आया है बुला लेगा वो मुझको, या खुद की लौट आयेगा उसे जब याद आयेगा मैं कैसे मुस्‍कूराता था तो आखें मुस्‍कूरायेगी, या दामन भींग जायेगा उसे जब याद आयेगा मैं कैसेट नाम लेता था तो मेरा नाम लिखेगा, या अपना भी मिटायेगा उसे जब याद आयेगा मेरा खामोश सा रहना तो सब को बोल देगा वह, या खुद से भी छुपायेगा उसे जब याद आयेगा मेरे सर को फेराना तो बिजली बन के कडकेगा, या बादल बन के छायेगा उसे जब याद आयेगा मेरा चलना, मेरा फिरना तो राह में हार बोयेगा, या फिर पलकें बिछायेगा उसे जब याद आयेगा मेरा मुडकर चले जाना तो बंद रखेगा दरवाजे या फ

चूहा खाना हो तो बिहार जाएं

संजय पाण्‍डेय कभी लालू प्रसाद ने चरवाहों तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाने के लिए ‘चरवाहा विद्यालय’ की परिकल्पना को हकीकत में तब्दील कर नायाब समाज शास्त्रीय हस्तक्षेप किया था, अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बारी है। उनकी सरकार ने राज्य की अति गरीब “मुसहर जाति” के उत्थान के लिए चूहे के मांस का बाजारीकरण करने का फैसला किया है। जल्द ही राज्य के होटलों में लजीज व्यंजनों की सूची में चूहे से बने व्यंजन भी शामिल हो जाएंगे। इसके पीछे इस जाति के सामाजिक-आर्थिक उत्थान का उद्देश्य छिपा है। राज्य के शहरी इलाकों में चूहे का मांस को भोजन में शामिल कराए जाने का प्रयास तेज किया जाएगा। मुसहर जाति के लोगों के लिए चूहा पसंदीदा आहार है। चूहा पकड़ने में इस जाति की होशियारी जगजाहिर है।राज्य समाज कल्याण मंत्रालय के प्रधान सचिव विजय प्रकाश ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, “हम मुसहर जाति के लोगों को मुर्गी पालन की तर्ज पर चूहा पालन के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इसके लिए इस जाति के लोगों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जाएगी। इससे इस जाति को नियमित आमदनी होगी। पालतू चूहों का मांस होटलों व शहरी इलाकों में खपाया जाएगा”।

रोज 7000 औरतें हो रही हैं एचआईवी पॉजिटिव

संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई है कि दुनिया भर में हर दिन 7,000 महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव हो जाती हैं। इसके मद्देनजर यूएन ने सेक्सुअल हेल्थ सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच का आह्वान किया है। उसने एड्स बीमारी के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए भारत के प्रयासों की प्रशंसा भी की है। युनाइटेड नेशंस पॉप्युलेशन फंड की डिप्टी इग्जेक्युटिव डायरेक्टर पूर्णिमा माने ने कहा कि लड़कियों और जवान महिलाओं को दोगुने खतरे का सामना करना पड़ता है, इसलिए इस बीमारी से उनके बचाव के लिए दोगुनी कोशिश की जरूरत है। उन्होंने कम उम्र की लड़कियों में एचआईवी वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जाने वाले उपायों पर यहां एक गाइड जारी करते हुए यह बात कही। माने ने कहा कि भारत में नागरिक प्रशासन संगठनों और कार्यकर्ताओं ने बाल विवाह निषेध अधिनियम को पारित करवाने में योगदान किया है। यह लड़कियों को कम उम्र में शारीरिक संबंध से बचाने में मदद करता है जो उनमें एचआईवी संक्रमण का खतरा पैदा कर सकता है। उन्होंने इस बीमारी के प्रसार को रोकने की कोशिश के लिए दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम की भी प्रशंसा की। यूएन की इस संस्थ

तो यह बच्‍चा गरीब है

अभिषेक पोद्दार अभी कल ही मैंने अपने ब्‍लॉग पर एक पोस्‍ट डाला था बिहार में किसानों की बल्‍ले बल्‍ले इसे कई लोगों ने पंसद किया और मुझे फोन करके अच्‍छी जानकारी देने के लिए बधाई दी. इसी में किसी सज्‍जन जिनका नाम अशोक पांडेय है ने मेरी इस पोस्‍ट पर अपनी टिप्‍पणी भेजी उनकी टिप्‍पणी में नीचे हू-ब-हू पोस्‍ट कर रहा हूं. मित्रो, डा. आरके सोहाने ने एक भर कहा, तो आपने अपने शीर्षक से उसे डेढ़ भर बना डाला। किसानों की बल्‍ले-बल्‍ले कहने से पहले किसी किसान से तो बात कर ली होती।फिलहाल तो बिहार के किसानों का कालाबाजारी में खाद खरीदने में कचूमर निकला जा रहा है। एनपीके, डीएपी आदि खादों के हरेक बोरे पर डेढ़ सौ से दो सौ रुपये अधिक कीमत वसूल की जा रही है। पत्रकारिता को जनता की आवाज बनना चाहिये, अधिकारियों का भोंपू नहीं। कम से कम आप तो किसानों के साथ यह ज्‍यादती नहीं कीजिये। (अपने चिट्ठे के शीर्ष पर आपने एक गरीब बच्‍चे का फोटो लगा रखा है। किसान परिवारों के उचित पोषण व शिक्षा से वंचित वैसे ही बच्‍चों का तो ध्‍यान रखें।) उनकी इस टिप्‍पणी से मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई क्‍यों‍कि एक पत्रकार होने के नाते मैं मानता हूं

बिहार में अब किसानों की बल्‍ले - बल्‍ले

बिहार में किसानों को खेती के नये-नये तकनीकी गुर सिखाने के लिए सरकार राज्‍य में तीन सौ किसान पाठशालाएं खोलेगी. बिहार क़षि प्रबंधन व प्रसार-प्रशिक्षण संस्‍थान के निदेशक डॉ आरके सोहाने ने इस बारे में जानकारी दी. उन्‍होंने बताया कि इन पाठशालाओं में क़षि विशेषज्ञ किसानों को खेती के तरीके बतायेंगे. किसानों को यह बताया जायेगा कि किस मौसम में किस फसल की खेती लाभदायक हो सकती है. उन्‍होंने बताया कि किसानों को यह जानकारी प्रत्‍येक सप्‍ताह दी जायेगी. यह पाठशाला किसानों के घर में ही खोली जायेगी. इसके लिए उस किसान के पास 2.50 एकड जमीन का होना अनिवार्य है. उन्‍होंने बताया‍ कि क़षि विभाग की ओर से किसानों को राज्‍य के बाहर भी भेजे जाने की योजना तैयार की गयी है. उन्‍होंने कहा कि पाठशाला में किसानों को धान की प्रजातियों का चयन, बिचडा डालने आदि के बारे में भी बताया जायेगा. किसानों को खाद के उपयोग संबंधित जानकारी के साथ मौसम के सदुपयोग की भी जानकारी दी जायेगी.

ईमानदारी में हम थोड़ा और फिसले

न्यू यॉर्क : भारत में भ्रष्टाचार कुछ और बढ़ गया है। ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल की 180 देशों की लिस्ट में वह 74 वें पायदान पर है। यह पिछले साल से दो पायदान और नीचे है। पाकिस्तान 140 वें स्थान पर है। इस लिस्ट में उससे ऊपर ईरान (133), लीबिया (134)और नेपाल (135) हैं। साल 2007 के वर्ल्डवाइड करप्शन पर्सेप्शन इंडेक्स (सीपीआई) में भारत और चीन 72वें स्थान पर थे। इस साल चीन भारत से एक स्थान पीछे है। अन्य एशियाई देशों में रूस 145वें, श्रीलंका 96वें और मालदीव 90वें स्थान पर हैं। खास बात यह कि इस इलाके में भूटान में करप्शन काफी कम है। सीपीआई इंडेक्स में उसका स्थान 41वां है। टॉप फाइव में डेनमार्क, फिनलैंड, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और स्वीडन ने जगह बनाई है। सबसे नीचे म्यांमार और सोमालिया को जगह मिली है। अमेरिका पहले की तरह 20वें पायदान पर काबिज है। उसके ठीक ऊपर जर्मनी, आयरलैंड, जापान और फ्रांस हैं। ब्रिटेन 13वें स्थान पर है। उसके ठीक पीछे हॉन्गकॉन्ग है। हमारा सुप्रीम कोर्ट सराहा गया ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल ने अपनी रिपोर्ट में सरकार और राजनीतिक जीवन में भ्रष्टाचार के खिलाफ कोशिशों के लिए सुप्रीम कोर्ट को सराहा

झारखंड में ऐसा ही होता है

नरेगा में अनियमितता की आवाज उठाने वाले ज्‍याद्रेंज पर ही उठा दी उंगली गोविंद बल्‍लभ पंथ सामाजिक विज्ञान संस्‍थान में विजिटिंग प्रोफेसर व देश, दुनिया में बतौर जुझारू व सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में विख्‍यात ज्‍याद्रेंज ने पलामू जिलातंर्गत छत्‍तरपुर अनुमंडल प्रखंड में नरेगा में चल रही योजनाओं का सर्वेक्षण किया था. यहां के एक सामाजिक कार्यकर्ता ललित उरांव के हाथ नरेगा में अनियमि‍तता से संबंधित कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍य हाथ लग गये और इसी बीच ललित की हत्‍या कर दी जाती है. ललित मेहता ज्‍याद्रेंज की टीम के सहयोगी थे जो छत्‍तरपुर प्रखंड में नरेगा से संबंधित घोटाले की सीडी बनाई थी. तभी से नरेगा के घोटालेबाज ललित मेहता के पीछे पड गये और मौका देखकर उसकी हत्‍या कर दी. इस हत्‍या को ज्‍याद्रेंज ने काफी गंभीरता से लिया है इसकी गूंज केंद्र तक पहुंचाई. केंद्र ने इस हत्‍या को काफी गंभीरता से लिया और तभी से जिला प्रशासन इस मामले को हल्‍का करने में लग गया और राज्‍य सरकार को वैसी रिपोर्ट सौंप दी गई जो गले के नीचे नहीं उतरा. पलामू जिला प्रशासन द्वारा भेजी रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है. आइए एक नजर

एक ऐसा दोस्‍त चाहिए

आज मुझे रात में फिर एक मेल आया, जिसमें मेरी अबतक की सबसे अच्‍छी दोस्‍त ने एक कविता मेल की, यहां मैं उस दोस्‍त के बारे में बताना चाहूंगा उसे मैं आज तक मिला नहीं हूं हां बस फोन पर दो-चार बार बातें हुई हैं, फिर भी वे मेरे सभी दोस्‍तों से अलग है. उसने सभी हालातों में मेरा पूरा-पूरा साथ दिया है. पिछले दो दिनों से मैं काफी उधेडबुन में था तब भी उसने मुझे काफी सुझाव दिये जिससे कहीं न कहीं मन हल्‍का लग रहा है, यह कविता भी उसी के एक सुझाव का हिस्‍सा हालांकि मैं यहां उसका नाम भी लिखना चाहता था पर उसने मना कर दिया कहा बस अभि लिख दो... ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए, दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए, ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए, मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए, कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ, दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए, उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें, और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए, मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए, बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा द

क्‍या अदाकारी है, आप भी देंखे

आज सुबह मेरे मेल पर मेर‍े एक दोस्‍त ने एक तस्‍वीर भेजी, जो आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूं, यह तस्‍वीर उन्‍होंने खुद बनाई है. आप सभी देखने वाले से निवेदन है कि आप इस तस्‍वीर पर अपनी टिप्‍पणी जरूर भेंजे इससे उस कलाकार का हौंसला बढेगा. धन्‍यवाद

आधी आबादी का पूरा सच

अभिषेक पोद्दार आज पूरे देश में नारी सशक्तिकरण का जुमला हर जुबान पर है. केंद्र से लेकर राज्‍य सरकारें नारी सशक्तिकरण के लिए तरह-तरह की घोषणाएं करने से नहीं चूक रही हैं. जब बात नारियों के उत्‍थान की हो रही हो तो हम रानी लक्ष्‍मीबाई, सरोजनी नायडू, किरण बेदी, इंदिरा गांधी जैसी तमाम महिलाओं का उदाहरण देने से नहीं थकते हैं. देश भर में ऐसी हजारों स्‍वयंसेवी संस्‍थाएं हैं जो यह दावा करती है कि उनका मुख्‍य काम महिला उत्‍थान के क्षेत्र में काम करना है, पर शायद यह केवल कागजी सच ही है अगर ऐसा न होता तो प्राचीन काल से ही नारी को शक्ति का रूप मानने वाले इस देश में हर 35 वें मिनट में किसी नारी का बलात्‍कार नहीं होता. जी हां कुछ आकडों पर अगर हम गौर करें तो कुछ ऐसे ही कडवें सच सामने आते हैं. आज हमारे देश में हर 26 मिनट में एक लडकी के साथ छेड-छाड की जाती है, हर 42 वें मिनट में घर, कार्यालय, विद्यालय या अन्‍य किसी स्‍थान पर यौन-उत्‍पीडन का शिकार होती है, हर 93 मिनट पर एक महिला दहेज के लिए मार दी जाती है या जला दी जाती है, हर तीन महिला में से एक महिला आज भी निरक्षर है, वहीं विश्‍व स्‍तर पर पुरूषों की बेरो

झारखंड में एक अखबार जो सिखाता है मैनेजमेंट पत्रकारिता

अभिषेक पोद्रदार सबसे पहले तो हम अपने सुधि पाठकों से क्षमा चाहता हूं कि अपने ब्‍लॉग को काफी दिनों तक अपडेट नहीं कर सका, जिसका खेद हमें हैं. लेकिन इन दिनों में ब्‍लॉग पर कुछ न लखिने का कारण भी जब आप सुनियेगा तो अजीब लगेगा. ऐसा माना जाता है कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ है. और बीते एक माह से मैं इसी उधेडबुन में था कि सही में पत्रकारिता अपने स्‍तंभ को बरकरार रख पा रही है. अभी कुछ दिनों पहले ही भोपाल में अखबारों का मेला लगा हुआ था जो आज भी कायम है, अब जाहिर सी बात है जब किसी क्षेत्र में नये अखबार आयेंगे तो प्रतिस्‍पर्द्वा बढेगी ही लेकिन भोपाल में प्रतिस्‍पर्द्वा को प्रतिस्‍पर्द्वा की तरह नहीं देखा गया वहां तो एक अखबार दूसरे अखबार को गाली गलौज करने पर उतर गया. अभी मैं इस प्रकरण को समझने की कोशिश कर ही रहा था कि मुझे एक झटका और लग गया, झारखंड में पत्रकारिता की नींव रखने वाले अखबार (जो सच में पत्रकारिता करता था, ऐसा मेरा मानना था ) जिसे देखकर मैंने भोपाल से अपने राज्‍य झारखंड आने का निश्‍चय किया था. उसमें प्रकाशित लेख ने मुझे पूरी तरह से झकझोर दिया. उसी अखबार में एक व्‍यक्ति ( जिसक

तो इन गांवों में बसता है भारत

अभिषेक पोद्दार गांवों में बसता है भारत देश के राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने जब यह पंक्ति कहीं थी तो उन्‍होंने यह नहीं सोचा होगा कि आजादी के 60 साल बाद हमारे देश के गांवों की यह हालत होगी जिस हालत में हम आपको अवगत कराने वाले हैं. एक सर्वे के अनुसार देश के 21 प्रतशित गांव के लोगों को ही पीने के लिए स्‍वच्‍छ पानी मिल पाता है. शौचालय निर्माण के लिए सरकार ने करोडों रूपये पानी की तरह तो बहा दिये लेकिन मात्र आठ प्रतशित गांवों में शौचालय का प्रयोग किया जा रहा है बाकि सभी जगहों में शौचालय नहीं बने और अगर बने भी है तो बेकार पडे हुए हैं. हमारे देश में गांवों की हालत बस यही पर आकर खत्‍म नहीं हो जाती यह तो सिर्फ शुरूआत है देश के हजारों गांवों में कुष्‍ठरोगियों को दवा तक नसीब नहीं होती, हमारे गांव के हर 1000 लोगों में से चार या पांच लोग टीवी से ग्रसित हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि गांवों में बीमारी का कारण कुपोषण व इन्‍फेकसन है वहीं शहरों में फास्‍ट लाइफ स्‍टाइल व टेंशन है. गांव के तीन में से हर एक आदमी को दूसरे वक्‍त का भोजन नसीब नहीं हो पाता. ऐसे कई आंकडे उस सर्वे में दिये गये हैं. अब इसके बाद

खबर वहीं जो टीआरपी बढाये

अभिषेक पोद्दार अभी पिछले दस दिनों से मीडिया में आरूषि व हेमराज हत्‍याकांड मामला पूरी तरह से छाया रहा. जब भी टीवी खोलो वहीं आरूषि हत्‍याकांड पर खबर चलती रहती थी. 24 घंटे ब्रेंकिग न्‍यूज वहीं थी मीडिया के लिए. ज‍बकि ऐसा नहीं था कि आरूषि कोई बहुत बडी हस्‍ती हो या इस संसार में ऐसा मर्डर केस पहली बार हुआ हो जो इस तरह से सारे मीडिया वाले उसके पीछे पड गये थे. अगर कुछ था तो टीआरपी का खेल, जिसके जरिये सभी अपने चैनल की टीआरपी बढाने में लगे थे, उनके लिए तो पूरी खबर नोएडा पुलिस का मुख्‍यालय, नोएडा का सेक्‍टर 25 तक ही सिमट कर रह गया था. ऐसा न था कि इस समय विश्‍व की छोडिये अपने भारत वर्ष में ही कोई घटना ऐसी नहीं घटी हो, अभी कुछ दिनों पहले ही जयपुर ब्‍लास्‍ट के उपर प्रत्‍येक दिन फॉलोअप स्‍टोरी चलाई जा रही थी लेकिन इस हत्‍याकांड के बाद जयपुर ब्‍लास्‍ट की गूंज भी खामोश हो गई. वहीं इसी दौरान यूपीए सरकार के चार साल भी पूरे हुए लेकिन इसपर भी मीडिया ने नजर डालना मुनासिब नहीं समझा जबकि इस समय महंगाई, आतंकवाद व बेरोजगारी अपने चरम पर थी और तो ओर मीडिया के लिए शुरू से पंसदीदा मुद्रदा नंदीग्राम और सिंगुर का इसप

गौरवशाली इतिहास पर जोरदार तमाचा

बुझ गयी ओलपिंक मशाल अभिषेक पोद्दार आज फ्रांस से गुजर रहे ओलपिंक मशाल को तिब्‍बती समर्थकों के विरोधों के कारण अधिकारियों ने ओलपिंक मशाल बुझा दी गई. इसने यह साबित कर दिया कि आज के जमाने में वसुघैव कुटूम्‍बकम का जमाना खत्‍म हो गया है. अब जिसकी लाठी उसी के भैंस का जमाना आ गया है. यह सही है कि तिब्‍बतियों की मांग जायज है, उसके समर्थन में दलाई लामा का प्रदर्शन करना उचित है लेकिन यह उन्‍हें भी सोचना चाहिए था कि जो पाठ वह अपने अनुयायियों का पढा रहे है अगर वह सही है तो वह पाठ कहा गया जब वे लोगों को समाज सेवा व विश्‍व की रक्षा का पाठ पढाते थे, क्‍या वह पाठ गलत था. इससे पहले भी प्रथ‍म‍ विश्‍व युद्ध व द्वितीय विश्‍व युद्ध के समय भी ओलपिंक का विरोध हुआ था, जिस कारण ओलपिंक खेल को टाला भी गया था, उसके बाद भी जब ओलपिंक खेल का आयोजन हुआ था तो उस समय मैं तो नहीं था लेकिन किताबों में पढा था कि ओलपिंक मशाल का विरोध हुआ था लेकिन इस विरोध के सामने वह विरोध कहीं ज्‍यादा था लेकिन उस समय भी ओलपिंक मशाल के साथ कोई छेडछाड नहीं हुई थी. लेकिन आज जो यह घटना हुई उसने न‍ सिर्फ पूरे विश्‍व को शर्मशार कर दिया बल्कि पूर

... तो दफन हो जायेगा एक इतिहास

अभिषेक पोद्दार झारखंड राज्‍य के धनबाद जिला के झरिया क्षेत्र में स्थित आरएसपी कॉलेज जो कोयलांचल का सबसे पुराना कॉलेज है, अब अपनी अंतिम दिनें गिन रहा है यह कॉलेज किसी भी वक्‍त जमीदोंज हो सकता है और कारण बनेगी वहीं भूमिगत आग जो पूरे झरिया की समस्‍या है. आज से करीब आठ माह पहले विशेषज्ञों ने इस कॉलेज की आयु डेढ साल बताई थी. उन्‍होंने कहा था कि आग की बढने की गति के अनुसार अगर बचाव के उपाय नहीं किये गये तो यह कॉलेज एक दिन काल के गर्त में समा जायेगा. उस समय सभी प्रशासन, बीसीसीएल, नेता व जिला प्रशासन व विश्‍वविघालय प्रशासन सभी ने इसे बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करने की बात कही थी, लेकिन वर्तमान परिदुश्‍य में इसकी स्थिति जस की तस बनी हुई है, इसे बचाने के लिए कोई कार्य नहीं किया गया. बीसीसीएल ने आरएसपी कॉलेज की तरफ बढ रहे भूमिगत आग का सीएमआरआई द्वारा एक अघ्‍ययन करवाया था जिस अध्‍ययन में यह कहा गया था‍ कि कॉलेज की तरफ आग प्रतिमाह साढे पांच फीट की गति से बढ रही है और इस पर जल्‍द काबू पाना होगा नहीं तो यह पूरे कॉलेज को अपने आगोश में ले लेगा, परंतु उनकी इस चेतावनी के बाद भी अब तक कोई कदम नहीं उठाया गय

सिमरन कौर मुंडी बनीं मिस इंडिया 2008

पॉन्ड्स फेमिना मिस इंडिया 2008 का ऐलान हो गया। सिमरन कौर मुंडी बन गईं हैं इस साल की मिस इंडिया यूनीवर्स। मिस इंडिया वर्ल्ड का खिताब मिला पार्वती ओमानकुट्टम को और मिस इंडिया अर्थ बनीं हर्षिता सक्सेना। बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर ने पिछले साल की विजेताओं के साथ तीनों विजेताओं को ताज पहनाया। 'ब्यूटी विद ब्रेन' पार्वती ओमनाकुट्टन, सिमरन कौर और हर्षिता सक्सेना ने इस उलझे सवाल के सुलझे जवाब देकर क्रमश: मिस इंडिया वर्ल्ड, मिस इंडिया युनिवर्स और मिस इंडिया अर्थ के खिताब अपने नाम कर लिए। अंधेरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित 'पैन्टलून्स फेमिना मिस इंडिया 2008' के गाला राउंड की शुरुआत थीम ट्रैक 'मैं मिस इंडिया' पर प्रतिभागियों के स्टेज परफॉर्मेन्स से हुई। शायना एनसी की डिजाइन की गई सफेद साड़ी पहने सभी प्रतिभागियों ने संदीप सोपारकर द्वारा कोरियोग्राफ किए गए पहले राउंड से ही अपनी प्रतिभा से दर्शकों और जजों को चौंका दिया था। पैन्टलून्स, शाल्स एंड निखिल के साथ ही रितु कुमार की 60 के दशक की डिजाइन की गईं साड़ियों में सजी प्रतिभागी जब आखिरी राउंड के लिए मंच पर आईं तो माहौल औ

झारखंड के सीएम, डिप्‍टी सीएम व शिबू सोरेन के खिलाफ डेथ वारंट

संदीप वर्मा प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन भाकपा माओवादियों ने झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन, मुख्‍यमत्री मधु कोडा व उपमुख्‍यमंत्री सुधीर महतो के विरूद्ध मोर्चा खोल दिया है. माओवादियों का मानना है कि इनलोगों द्वारा क्रांति विरोधी दुष्‍प्रचार व क्रियाकलापों का विरोध किया जा रहा है. इस बावत भारत की कम्‍युनिष्‍ट पार्टी माओवादी के झारखंड रिजनल कमेटी द्वारा एक पर्चा जारी किया गया है आठ पन्‍नों के जारी इस पन्‍ने में माओवादियों ने शिबू सोरेन के खिलाफ जमकर आग उगला है वहीं जनता को झारखंड में शोषण मुक्‍त जनता की जनवादी व्‍यवस्‍था स्‍थापित करने के लिए लोकयुद्ध जारी रखने का पाठ पढाया है. पर्चे को गिरिडीह जिले के अति उग्रवाद प्रभावित इलाकों में वितरित किया गया है. पर्चे में कहा गया है कि जोतने वालों के हाथ में जमीन और क्रांतिकारी किसान कमेटी के हाथ में हुकूमत तथा क्रांतिकारी जन कमेटी के हाथ में सत्‍ता को कार्यान्वित करने के लिए सशस्‍त्र क़षि क्रांतिकारी आंदोलन जारी है. असल में आज यह जनयुद्ध मुखर होते हुए एक नई उंचाई छूने के मुहाने पर खडी है. ऐसे में शोषक शासक वर्ग व सभी पार्टी नेताओं, एमपी, एमएलए व मंत्री

The Library without a Librarian

Swati Priya Dhanbad State Library, situated near the town hall of the city is waiting for a librarian since 2000.The public library which was inaugurated by Dr. Jagannath Mishra, former Chief Minister, on Sep. 26th 1980, neither has a book binder nor a peon. The care taker of the library is Mr. Sanjay Kumar Bakshi, the Shorter, who has a bachelor degree in Library and Information Science from IGNOU.He alone manages all the work right from the official to the issuing of books along with the gardener, Mr. Umapati Reddy.The library has more than 32700 books related to Philosophy, Psychology, Social Science, Political Science, Literature, Biographies, World History etc.These books are supplied by Raja Ram Mohan Roy Library Foundation, Kolkata.A number of dailies and weeklies like The Hindu, The Telegraph, Hindustan, Prabhat khabar, Panchjanya, Employment news and competitive magazines like Pratiyogita Kiran and Pratiyogita Darpan are a part of the library’s collection. It remains open ever

भ्रष्‍टाचार की नई पौध तैयार

जनता की सेवा या अपनी जेब की सेवा अभिषेक पोद्दार 22 सालों के लंबे अंतराल के बाद रांची निकाय चुनाव संपन्‍न हो गये और उसके परिणाम भी सामने आ गये. चुनाव को लेकर पूरे रांचीवासियों के मन मे कई तरह की कल्‍पनाएं थी कि अगर चुनाव हो गया तो यह हो जायेगा, वह हो जायेगा. पर जब इसके परिणाम आये तो वहीं लोग इसे कोसने लगे कहने लगे हे भगवान यह क्‍या हो गया. इस निकाय चुनाव ने भ्रष्‍टाचार की एक नई पौध तैयार कर दी. अब तक इस राज्‍य का चिरहरण मंत्री व विधायक ही करते थे लेकिन अब मेयर, डिप्‍टी मेयर व पार्षद भी करेंगे. ऐसा इस चुनाव को देखने से तो साफ झलकता है चुनाव के नतीजे आने को सप्‍ताह भर होने के हैं लेकिन उसकी आग अभी तक रांची के निवासियों के अंदर जल रही है. प्रत्‍याशियों ने चुनाव जीतने के लिए क्‍या क्‍या जतन नहीं किये. किसी ने बोगस वोट मरवाये, तो किसी ने निर्वाचन पदाधिकारी को ही खरीद लिया. और तो और अपने प्रत्‍याशी को जिताने के लिए राज्‍य के एक मंत्री ने खुद खडा होकर बोगस मतदान करवाया और वोटों की गिनती कर रहे कर्मचारियों को हडकाया भी अगर नतीजे उलट हुए तो वे इसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे. जब मंत्री यह सब

INDIAN HISTRY-1

The civilization of India is very ancient. In the Indus Valley are ruins of a civilization of high order that flourished from about 2300 B.C. to 1750 B.C. The Indus Valley civilization probably was destroyed by the Aryans, people of the Indo-European language family who entered through the northwest mountain passes between 2000 and 1500 B.C. The Aryans settled first in the Punjab and the Indus Valley, and from there spread eastward and southward. They introduced the Sanskrit language and the caste system into Indian culture. In the sixth century B.C. the Persians made northwest India part of their empire. Alexander the Great of Macedonia conquered the Pe rsian district in 326 B.C. Macedo nian control lasted only a few years, but trade was established between India and Mediterranean countries. The Roman world knew India as the exotic land from which came spices, drugs, and cotton fabrics. After the period of Macedonian rule, northern India was controlled in turn by native dynasties and

शाहरूख ने छोडा आईपीएल का साथ

नयी नजर ब्‍यूरो आज एक नाटकीय घटनाक्रम में सौरव गांगुली और शाहरूख खान के बीच लेन-देन व खिलाडियों के चयन को लेकर विवाद के कारण बालीवुड किंग शाहरूख खान ने आईपीएल से अपना हाथ पीछे खिंच लिया है. देर रात उन्‍होंने एक संवाददाता सम्‍मेलन आयोजित कर यह जानकारी दी. उन्‍होंने कहा कि क्रिकेट में संभावनाओं का देखते हुए उन्‍होंने आईपीएल की कोलकाता क्रिकेट टीम को खरीदा था पर बीसीसीआई और आईपीएल के प्रायजकों ने उन्‍हें शुरू से धोखे में रखा. सबसे पहले तो उन्‍हें नियमों की सही-सही जानकारी नहीं दी गई, उनसे बोली की रकम भी ले ली गई और टीम संबंधी अधिकार के नाम पर उन्‍हें कुछ नहीं मिला यहां तक कि कप्‍तान चयन मामले में भी मेरी नहीं सुनी गई थी. मैं चाहता था कि मेरी टीम का कप्‍तान कोई बूढा खिला‍डी न होकर कोई युवा खिलाडी हो, पर मेरी बात को तर्जी न देकर दादा को कप्‍तान बना दिया गया और दादा हमेशा की तरह अपनी मनमानी दिखाने से नहीं चूंके यहां तक कि उन्‍होंने मिस्‍बाह को लेने नहीं दिया व शोएब अख्‍तर को भी अंतिम एकादश में नहीं रखने की बात कह रहे हैं. इसलिए मैंने आईपीएल छोडने का निर्णय ले लिया. शाहरूख की इस सनसनीखेज घोष

गूगल की मजेदार कहानी

गूगल सर्च इंजन को अंग्रेज़ी में लिखा जाता है google लेकिन असल में यह googol की ग़लत स्पैलिंग है. गूगल एक बहुत बड़ी संख्या है जिसमें 1 के आगे 100 शून्य लगते हैं. सन 1920 में अमरीका के एक गणितज्ञ ऐडवर्ड कैसनर, इस संख्या के लिए नाम तलाश कर रहे थे और जब उनके नौ वर्षीय भांजे मिल्टन ने गूगल नाम सुझाया तो उन्होंने उसे दर्ज करा लिया. कैसनर ने एक अन्य गणितज्ञ के साथ मिलकर एक किताब लिखी 'मैथमैटिक्स ऐंड द इमैजिनेशन' जिसमें पहली बार इस शब्द का ज़िक्र हुआ. लेकिन सर्च इंजन का नाम गूगल कैसे पडा इसकी अलग कहानी है. जनवरी 1996 में अमरीका के स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में लैरी पेज ने एक शोध शुरू किया. कुछ समय बाद सर्गी ब्रिन भी उनके साथ हो लिए. लैरी की परिकल्पना यह थी कि अगर एक ऐसा सर्च इंजन बनाया जाए जो विभिन्न वैबसाइटों के आपसी संबंध का विश्लेषण कर सके तो बेहतर परिणाम मिल सकेंगे. उन्होंने पहले इसका नाम रखा था बैकरब. लेकिन क्योंकि लैरी की गणित में बहुत रुचि थी इसलिए उन्होंने इस सर्च इंजन का नाम गूगल रख दिया. साभार- बीबीसी हिन्‍दी

तो ये है YAHOO ! का पूरा नाम

याहू डॉटकॉम की स्थापना अमरीका के स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहे दो छात्रों, डेविड फ़िलो और जैरी यांग ने 1994 में की थी. यह वेबसाइट जैरी ऐन्ड डेविड्स गाइड टू द वर्ल्ड-वाइड-वैब के नाम से शुरु हुई थी लेकिन फिर उसे एक नया नाम मिला, यट अनदर हाइरार्किकल ऑफ़िशियस ओरैकिल. जिसका संक्षिप्त रूप बनता है याहू. जैरी और डेविड ने इसकी शुरुआत इंटरनेट पर अपनी व्यक्तिगत रुचियों के लिंकों की एक गाइड के रूप में की थी लेकिन फिर वह बढ़ती चली गई. फिर उन्होंने उसे श्रेणीबद्ध करना शुरु किया. जब वह भी बहुत लम्बी हो गई तो उसकी उप-श्रेणियां बनाईं. कुछ ही समय में उनके विश्वविद्यालय के बाहर भी लोग इस वेबसाइट का प्रयोग करने लगे. अप्रैल 1995 में सैकोया कैपिटल कम्पनी की माली मदद से याहू को एक कम्पनी के रूप में शुरू किया गया. इसका मुख्यालय कैलिफ़ोर्निया में है और यूरोप, एशिया, लातीनी अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमरीका में इसके कार्यालय हैं.

जानते हो डिटेक्टिव है आपकी नाक

एक ताज़ा शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि अगर आस-पास किसी भी तरह का ख़तरा मंडरा रहा हो तो मनुष्य गंध के ज़रिए उसे भांपने की क्षमता रखता है. अपने प्रयोग में वैज्ञानिकों ने लोगों को एक ही तरह की दो सुगंधों के बीच अंतर करने को कहा. पहले तो वो इसमें नाकाम रहे लेकिन जब उन्हें हल्का सा इलेक्ट्रिक शॉक दिया गया तो वे आसानी से गंध को पहचान गए. बाद में दिमाग के स्कैन से मस्तिष्क के टसूंघने वालेट हिस्से में परिवर्तन की पुष्टि भी हो गई. अमरीकी शोध ‘साइंस’ जरनल में प्रकाशित हुआ है जिसमें सुझाया गया है कि मनुष्य के पूर्वजों ने ये काबिलियत विकसित की थी ताकि ख़तरों से दूर रह सकें. शोध के दौरान 12 लोगों को दो घास जैसी दुर्गंधों को सूंधने को कहा गया. उनमें से कोई भी उसे ठीक से नहीं पहचान सका. फिर सूंघने के दौरान जब उन्हें बिजली का हल्का सा झटका दिया गया तब वो सुगंधों के बीच अंतर करने में कामयाब रहे. शिकागो के नार्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के फ़िनबर्ग स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के शोधकर्ता डॉक्टर वेन ली ने कहा, " ये काबिलियित धीर-धीरे विकसित हुई है. हमारे आस-पास जो सूचनाओं का अंबार है, उसमें से कौन सी जानकारि

कुछ पुरानी यादें जो बयां कर रही है हकीकत

भारत व ऑस्‍ट्रेलिया के बीच सिडनी में हुए टेस्‍ट मैच के दौरान जो हुआ. यह तस्‍वीर शायद यही बायां कर रही है. बकनर चचा आपसे ऐसी उम्‍मीद न थी.

HOW TO HANDLE DIFFICULT PEOPLE

They are out there. They may either be your boss, college professor, business partner, landlord, or even your own spouse, children, siblings or parents. Anyone can be a difficult person to someone else. You may not admit it, but at one time or another all of us have been difficult people to other people. It is vital to see if you are in a situation with a difficult person or if you yourself are beginning to be one. The first solution to any problem is recognising the problem. Most times, difficult people do not realise they are difficult. They do not see that they are demanding too much from other people. They think their attitude is just normal. Likewise, some of their victims may not see that they are dealing with difficult people. It is vital that at this early point, we grasp the fact that avoiding difficult people does not solve the problem in question. As earlier mentioned, these people are everywhere. There is no privacy they cannot invade. Ironically, the more successful you ge

जारी है टाटा का विजय रथ

सरोज तिवारी टाटा यूरोप, टाटा अफ्रीका, टाटा ऑस्‍ट्रेलिया इंटरनेशनल कंपनी, टाटा समूह का नया साम्राज्‍य है, जो पूरे विश्‍व पर अपनी विजय पताका-लहराने की दिशा में अग्रसर है. वर्ष 200 ेस शुरू अंतराराष्‍ट्रीय कंपनियों की खरीददारी की संख्‍या अब 38 हो गयी है. इसके नये संस्‍करण में जगुआर और लैंड रोवर का नाम भी आ गया है. अगर देश के मल्‍टीनेशनल कंपनियों की बात करें तो बिड़ला, महिन्‍द्रा, रैनबैक्‍सी फार्मा, भारत फोर्ज, सुजलॉन, और आईसीआईसीआई जैसी कई बड़ी कंपनियां हैं, जिनका ऑपरेशन विश्‍व के कई देशों में चल रहा हैञ लेकिन टाटा ग्रुप की बात अलग है, आज छह महादेशों के 85 देशों में टाटा की सैकड़ों कंपनियां कार्यरत हैं. आज इस ग्रुप के टोटल रेवेन्‍यु का 40 प्रतिशत जो‍ कि लगभग 11 बिलियन डॉलर है, केवल विदेशों से आता है, जो इस साल 60 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा. टाटा कंसलटेंसी सर्विस, टाटा टी, टाटा स्‍टील, टाटा केमिकल्‍स, टाटा मोटर्स और इंडियन होटल्‍स जैसी टाटा की फ्लैगशिप कंपनियां विदेशों में पूरी तरह स्‍थापित हो चुकी है. अगर टीसीएस की बात करें, तो 1968 में अमेरिका के शुरू होने वाली इस कंपनी का कार्यक्षेत्र आज 4

ये क्‍या हो रहा है, अरे, ये क्‍या हो रहा है

ये देखो अपनी युवा ब्रिग्रेड टीम इंडिया की असलियत. माही तो मस्‍त हैं. पर ये उथप्‍पा, कार्तिक और युवी क्‍या देखने की कोशिश कर रहे है. सचिन मनों कह रहे हों जैसे मैनें तो काफी कुछ देख लिया.

इस जज्‍बे को सलाम...

मंजूनाथ कलमानी उस शख्‍स का नाम है, जो पिछले छह सालों से जिंदगी से लोहा लेता आ रहा है. पेशे से इंजीनियर मंजूनाथ 2002 में एक सड़क हादसे में लकवा से पीडि़त हो गये. तब से आज तक वे वेंटीलेटर पर हैं. अमेरिका में लंबे ईलाज के बाद हाल में उन्‍हें भारत लाया गया है. फिलहाल दिल्ली के सफदरगंज अस्‍पताल में उनका इलाज चल रहा है. मंजूनाथ को अपने इलाज के लिए आर्थिक सहायता की जरूरत है. भले ही पिछले छह सालों में मंजू की दुनिया अस्‍पताल के बेड तक सिमट कर कर रही है, पर जिंदगी को मात देने का जज्‍बा आज भी उनमें बरकरार है. यही कारण है कि जब उनके एक चिकित्‍सक ने उन्‍हें ब्‍लागिंग की सलाह दी तो उन्‍होंने वेंटीलेटर होते हुए भी ब्‍लॉगिंग शुरू कर दी. यहां उनके सम्‍मान में हम उनके ब्‍लॉग की एक पोस्‍ट डाल रहे हैं. उम्‍मीद है आपको पसंद आयेगी. Inspiration to start writing Blog Even though I used to spend considerable time on the computer ( now I can't spend much time on the computer due to several reasons such as diminished vision, overwhelming health problems, weakness and depression ), it never crossed my min

सहवाग नहीं सौ बाघ

सरोज तिवारी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्‍ट के तीसरे दिन भारतीय बल्‍लेबाज खुलकर खेले. आज सुबह जब बीरू बल्‍लेबाजी के लिए उतरे तो शायद उन्‍हें भी यह अंदेशा नहीं था कि उनका बल्‍ला चौके और छक्‍के के रूप में आग उगलेगा. लेकिन बल्‍लेबाजी करते हुए वे जल्‍द ही लय, लाइन में आ गये. इसके बाद शुरू हुई उनकी ताबडतोड बल्‍लेबाजी. उनके बल्‍ले से अधिकांश बांउडी ही निकल रहा था. लंबे हाथ दिखाते हुए उन्‍होंने छक्‍के भी लगाये. आज चिदंबरम में बने कई रिकॉर्ड भी सहवाग के नाम रहा हालांकि मेहमान दक्षिण अफ्रीका की टीम ने भी कल रिकॉर्डों की बौछार कर दी थी, लेकिन इन सभी रिकॉर्डों में सहवाग का रिकॉर्ड भारी पड गया. उन्‍होंने आज अविजित नाबाद 309 रन बनाये. आज उन्‍होंने 75 साल पुराना विश्‍व रिकॉर्ड तोड दिया. सहवाग ने सिर्फ 278 गेंद पर 300 रन पूरा किया. अब तक यह रिकॉर्ड इंग्‍लैंड के वाल्‍टर हैमंड के नाम था. उन्‍होंने 1932-33 में न्‍यूजीलैंड के खिलाफ अपना तिहरा शतक 355 गेंदों में पूरा किया था. 2003 में ऑस्‍ट्रेलिया के मैथ्‍यु हैडन भी यह कीर्तिमान भंग करने से चूक गये थे. उन्‍होंने कुल 41 चौके और पांच छक्‍के लगाये. टेस्

नगर निकाय चुनाव में खोखले साबित हुए प्रशासनिक दावे

सरोज तिवारी रांची नगर निगम चुनाव में किये गये प्रशासनिक दावे खोखले साबित हुए. चुनाव से पहले चुनाव आयोग और प्रशासन ने चुनाव को निष्‍पक्ष संपन्न रकाने के कई वायदे किये थे. लेकिन बूथ लुटेरों और उपद्रवियों के आगे सभी वायदे धरे के धरे रह गये. जिस जहां मौका मिला, वहीं वोट छाप दिया. इससे एक बार फिर प्रशासन का दवा विफल साबित हुआ है. लगभग सभी इलाके में बूथ कब्‍जा, मारपीट, मत पत्र फाड़ने, वोटर लिस्‍ट में गडबड़ी व बोगस मतदान की शिकायतें मिली हैं. सबसे आश्‍चर्य और महत्‍वपूर्ण बात तो यह है कि यह सब नजारा पुलिस के सामने देखने को मिला. पुलिस मूददर्शक बनी रही. मानो उन्‍हें सांप सुंघ गया हो. ऐसे में तो इन पर भी सवालिया निशाना उठने लगा है. वार्ड 45 से 55 तक के मतदाताओं को मतदान करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. मतदान करने आये मतदाताओं को तो सबसे पहले अपने नाम खोजने में घंटों लगे किसी तरह नाम मिल भी गया, तो बाद में वोट देने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. इसमे महिलाएं काफी परेशानी हुई. इसी तरह का नजारा वार्ड 45 में देखने को मिला. यहां बूथ संख्‍या 502 व अ वब के बैलेट बाक्‍स में पानी डाल

जड़ों की ओर लौटते नयी पीढी के युवा किसान

चुस्‍त कपड़े, हाथ में लैपटॉप, जेब में महंगे से महंगा मोबाईल. यह पहचान है नयी पीढी के कुछ युवा किसानों की, जो अपनी जड़ों की लौटने का मन बना चुके हैं. बेशक, देश के कई क्षेत्रों किसान आज जल्द पैसा कमाने की होड़ में अपनी उपजाऊ भूमि को बेच रहे हों, परंतु नई पीढ़ी के कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने पुश्तैनी व्यवसाय खेती को समाप्‍त होते देखना कतई नहीं चाहते. नई पीढ़ी के ये युवा किसान आधुनिक भले हों पर तेज गर्मी के मौसम में भी अपनी फसल की देख-रेख के लिए पसीना बहाने से पीछे नहीं हटते। आज पंजाब में एक ‘किल्ला’ (एकड़) जमीन की कीमत भले ही 50 लाख से 5 करोड़ रुपये हो, परंतु अनेक पढ़े-लिखे डिग्रीधारी युवा अपनी जमीन पर जोरों-शोरों से खेती शुरू कर चुके हैं।पांच वर्ष पहले न्यूजीलैंड जाकर वहां के स्थाई नागरिक बनने के बाद वापस लौट आए कुल्तार सिंह ने अपने भाई हरजोध सिंह के साथ खेती-बाड़ी के अतिरिक्त एक ‘विवाह पैलेस’ की भी स्थापना की है। पुणे के सिम्बॉयसिस से कर्मचारी प्रबंधन में स्नातकोत्तर कुल्तार सिंह का कहना है कि, "खेती हमारा पुश्तैनी पेशा है और हम इसे नहीं छोड़ेंगे। दरअसल खेती से जुड़ी समस्याओं और बि

रहिमन पानी राखिए...

संजीव गुप्ता मालवीय नगर निवासी अमित कुमार और वसंत कुंज की शकुंतला देवी एक ही समस्या से हैरान हैं। डाक्टर ने उन्हें हर घंटे एक गिलास पानी पीने को कहा है। दोनों घरों में पानी के बड़े जार खरीदे जाते हैं। उनके लिए प्रतिदिन दस लीटर पानी का खर्च होगा 25 रुपये। परिवार के अन्य सदस्यों को भी जोड़ लें, तो कीमत बैठती है करीब 3000 रुपये महीना। दिल्ली से बाहर रहने वालों को यह जानकर झटका लग सकता है कि राष्ट्रीय राजधानी के कुछ इलाकों में पीने का पानी बाजार से खरीदा जाता है। पानी को मुफ्त का माल समझने और उसे बर्बाद करने वाले अगर अब भी सावधान नहीं होंगे, तो वहां भी दिल्ली जैसा हाल हो सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के पठारी क्षेत्रों और राजस्थान के बाशिंदों को यह समस्या दिखने लगी होगी। बुंदेलखंड तो खैर वर्षो से प्यासा है। अब दिल्ली की बात। दक्षिण दिल्ली, मध्य दिल्ली व देहात के विभिन्न हिस्सों में या तो जल बोर्ड का पाइप लाइन नेटवर्क है ही नहीं और अगर है तो जलापूर्ति बहुत कम। ऐसे में यहां के लोग पेयजल के लिए 'कथित मिनरल वाटर' के 20 लीटर वाले जार मंगवाने को विवश हैं। घरों की टंकियां भरने

सचमुच बदल गये हैं धोनी

अभिषेक पोद्दार ऑस्‍ट्रेलिया को उसी के सरजमीं पर वनडे सीरीज हराने के बाद महेंद्र सिंह धोनी पिछले सप्‍ताह अपने शहर रांची लौटे. उनके रांची लौटने से पहले ही महेंद्र सिंह धोनी के व्‍यवहार व सोच में परिवर्तन की बात सभी ने मैच के दौरान की थी, सभी ने कहां क‍ि वह अब गंभीर हो गये हैं और चीजों को अच्‍छी तरह से समझने लगे हैं तो क्‍या था यहां भी उसके चाहने वाले और उनके दोस्‍तों में भी एक उत्‍सकुता जग गई कि क्‍या सचमूच हमारा माही अब भारतीय क्रिकेट टीम के कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी के रूप में बदल गया है. धोनी जिस दिन रांची लौटे उसी समय से सभी ने उनकी गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया खासकर उनके चाहनेवालों ने जिन्‍हें लग रहा था सचमूच धोनी बदल गये हैं. लेकिन उस दिन की उनकी गतिविधियों को देखने के बाद (जब धोनी ने आते के साथ ही अपनी बाइक लेकर रांची की सडकों पर धूमने निकल गये) सभी ने यह समझ लिया कि धोनी हो सकता है मैदान के लिए बदल गये हैं लेकिन अपने शहर में आज भी वह उसी तरह से मौज मस्‍ती करने के लिए तैयार है जैसा वह हर बार करते थे. यह सोच कर लोग अभी सोये ही थे कि अगले सुबह उनकी यह सोच उनका साथ छोडगई धोनी

How To Rediscover The Joy Of Writing

Most people get into the writing business because they love to write. In fact, they can’t imagine doing anything else. However, when you write for a living, you may sometimes feel as if you’re writing by rote and as if the joy of writing has completely evaporated. Almost every freelance writer that I know has experienced this at least once. It’s time to do something about it before the joy disappears completely. Here are some of the steps that I take. Sometimes it helps to step away from the computer. When you spend most of every day there, it’s no surprise that you might feel a bit stale from time to time. I find exercise very helpful in clearing my brain, so I go for a walk or - if I really want to torture myself - take a spin class…. Reading has always been one of my favorite forms of relaxation. When you’re trying to refresh your ideas, the trick is to read something completely different. When I’m relaxing, I almost never read about mortgages or loans. Instead, I pick up a good bio