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कुछ पुरानी यादें जो बयां कर रही है हकीकत

भारत व ऑस्‍ट्रेलिया के बीच सिडनी में हुए टेस्‍ट मैच के दौरान जो हुआ. यह तस्‍वीर शायद यही बायां कर रही है. बकनर चचा आपसे ऐसी उम्‍मीद न थी.

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एनडीए के साथ जाना नीतीश का सकारात्मक फैसला : श्वेता सिंह (एंकर, आजतक )

Shweta during coverage बिहार की वर्तमान राजनिति पर नयी नज़र के साथ जानी-मानी आजतक पत्रकार बिहारी श्वेता सिंह से   खास बातचीत  पटना : बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को सुबह दोबारा एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कर लिया. इस बीच राजधानी पटना में राजनैतिक चर्चाओं का बाजार उफान पर रहा. गुरुवार को अहले सुबह से ही तमाम मीडियाकर्मी राजभवन के बाहर शपथ ग्रहण को कवरेज करने के लिए मौजूद थे. इस इवेंट को कवरेज करने के लिए आजतक टीवी की जानी-मानी पत्रकार श्वेता सिंह भी विशेष रूप से पटना पहुंची थीं. श्वेता स्वयं एक  बिहारी हैं और बिहार के वैशाली जिले के महुआ से आतीं हैं. श्वेता लोगों से इस राजनैतिक घमासा न पर जमकर सवाल पूछतीं नज़र आईं. इस दौरान नयी नज़र के ब्लॉगर कुमार विवेक ने बिहार के बदलते घटनाक्रम पर श्वेता सिंह से बातचीत की, इसके मुख्य अंश हम आपसे साझा कर रहे है. ___ सवाल : श्वेता, देश की जानी-मानी पत्रकार होने के नाते बिहार के इस वर्त्तमान राजनैतिक घटनाक्रम को किस रूप में देखती हैं? जवाब : देखिये, एक पत्रका...

हमसे कुछ नहीं होगा हम गुलाम पत्रकार हैं

अभिषेक पोद्दार हमेशा की तरह कल रात अपने अखबार के कार्यालय से काम निपटाकर अपने घर गया, जहां हम सभी रूममेट बैठकर रोज की तरह किसी मुद्दे पर बहस कर रहे थे, अचानक मैंने अपने एक साथी से पूछा यार फ्रीलांस रिपोर्टर को हिंदी में क्‍या कहेंगे उसने कहां स्‍वतंत्र पत्रकार, तभी तपाक से मेरे मुंह से निकल गया तो हम गुलाम पत्रकार हैं. उसने भी भरे मन से हामी भर दी. फिर क्‍या था हमसब इसी मुद्दे पर चर्चा करने लगे. दो दिनों पहले बोलहल्‍ला पर पत्रकारिता के बारे में मैंने जो भडास निकाली थी उसका कारण समझ में आने लगा. आज हकीकत तो यह है कि हम जिस मीडिया घराने से जुड जाते हैं उसके लिए एक गुलाम की भांति काम करने लगते हैं, हम अपनी सोच, अपने विचार और अपनी जिम्‍मेवारियों को उस मीडिया घराने के पास गिरवी रख देते हैं और सामने वाला व्‍यक्ति हमें रोबोट की तरह इस्‍तेमाल करने लगता है, हम उसकी धुन पर कठपुतलियों की तरह नाचना शुरू कर देते हैं. किसी को जलकर मरते देखकर हमारा दिल नहीं पसीजता, किसी की समस्‍याओं में हमें अपनी टॉप स्‍टोरी व ब्रे‍किंग न्‍यूज नजर आती है, सच कहें तो शायद हमारी संवेदना ही मर चुकी हैं. शायद आज पूरी की...
झारखंड में फ्लोरोसिस का प्रकोप सबसे प्रभावित है राज्‍य का पलामू जिला (संजय पांडे) झारखण्ड में पलामू जिले के ज्‍यादातर ग्रामीण इलाकों में लोग फ्लोराइडयुक्त पानी का सेवन कर रहे हैं। जैसे-जैसे फ्लोराइड प्रभावित गांवों का सर्वेक्षण किया जा रहा है, वैसे-वैसे स्थिति काफी भयवाह नजर आ रही है। यदि स्थिति को संभाली नहीं गयी, तब यहां के ज्‍यादातर लोग फ्लोरोसिस बीमारी से ग्रसित हो जायेंगे। चुकरू गांव के लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सिर्फ पाइप लाइन तो बिछा दी गयी हैं, लेकिन पानी की सप्लाई अभी तक नहीं हो सकी है। स्थिति यह है कि लोग अभी तक 15 से 16 प्रतिशत तक फ्लोराइडयुक्त पानी का ही सेवन कर रहे हैं। ग़ौरतलब है कि इस गांव में काफी अरसा पहले लगभग एक करोड़ 76 लाख 17 हजार की अनुमानित लागत वाले 'चुकरू ग्रामीण जलाशय परियोजना' का शिलान्यास किया गया था। लेकिन पाइप लाइनों को ठीक तरीके से न बिछाए जाने और सरकारी भ्रष्‍टाचार के चलते ग्रामीणों को पीने का साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में जब इस गांव का दौरा करने पर पता चलता है कि चुकरू गांव में अधिसंख्य लोगों के दांत सही नहीं हैं। क़ुछ लोग असमय...