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लानत है ऐसे खेलप्रेमियों व मीडिया पर



अभिषेक पोद्दार


आज पूरे देश के लिए संडे सुपर संडे बनकर आया. भारत ने आज खेल जग‍त के इतिहास में वह कारनामा कर दिखाया जिसकी सब कल्‍पना मात्र ही कर रहे थे. टीम इंडिया ने सिडनी में आस्‍ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों के फाइनल के पहले मुकाबले में 6 विकेट से हरा दिया तो वहीं दूसरी ओर टीम इंडिया की अंडर-19 टीम ने विश्‍वविजेता का खिताब पहन लिया. फिर क्‍या था पूरे देश में जश्‍न का माहौल बन गया, लोग गुलाल-अबीर, मिठाई और पटाखों को लेकर उतर पडे सडक पर मनाने लगे जश्‍न और उनका जश्‍न मनाना लाजमी भी है. अब इस मौके को मीडिया कैसे छोड सकती है उसने भी कमाल कर दिखाया कहीं दोनों टीमों के खिलाडियों का बखान हो रहा था तो कहीं बडे मियां छोटे मियां के गाने बज रहे थे दोनों टीमों की खुशी का इजहार करने के लिए और हां अपना पेटेंट गीत चक दे चक दे इंडिया तो चल ही रहा था. अब आप सोच रहे होंगे अगर खेलप्रेमियों और मीडिया ने यह सब किया तो क्‍या गलत क्‍या. भाई जश्‍न का माहौल है जश्‍न नहीं मनायेंगे तो क्‍या मातम मनायेंगे. लेकिन किसी ने भी हॉकी जिसे शायद गलती से भारत का राष्‍ट्रीय खेल घोषित किया गया है उसकी कहीं चर्चा भी नहीं की गई. हो सकता है आप सब भी अभी ही यह जान रहे होंगे संडे की सुबह सुबह भारत को खेल जगत में सबसे पहली सफलता भारतीय हॉकी टीम ने ही दिलाई थी, उसने ओलपिंक क्‍वालिफायर मैच में रूस को 8-0 से हरा दिया और संडे को सुपर संडे बनाने में पहली मुहर लगाई. यहां एक बात ओर आपको बताते चलूं कि भारत 1928 से ओलपिंक में लगातार खेलता रहा है, लेकिन उसकी बदकिस्‍मती है कि 80 साल बाद उसे ओलपिंक में शामिल होने के लिए क्‍वालिफाई मैच खेलना पड रहा है. फिर भी यह भारतीय हॉक्‍ी टीम की प्रशंसा करने के लिए न तो कोई पब्लिक सामने आई और न ही मीडिया. सभी को दिख रहा था तो सिर्फ क्रिकेट ही क्रिकेट क्‍योंकि उसका बाजार बडा है. चलो एक बार के लिए हम यह बात मान कर भी संतोष कर लेते हैं कि भारतीय हॉकी टीम की जीत टीम इंडिया के सीनियर खिलाडियों की जीत व अंडर 19 का जीत के सामने उतनी बडी नहीं थी, लेकिन इतनी छोटी भी नहीं थी कि कम से कम एक न्‍यूज आइटम या स्‍क्राल (यहां बता दें स्‍क्राल यानि टीवी के नीचे खबरों का निरतंर आना व जाना) भी चला दें. लेकिन किसी ने यह करने की भी जोहमत नहीं उठाई और न ही पब्लिक ने इस जीत पर कहीं कोई बात कहीं. लानत है ऐसे खेलप्रेमियों पर जिसके लिए अपने राष्‍ट्रीय खेल हॉकी के लिए जरा सा भी सम्‍मान नहीं है. पैसे और ग्‍लैमर में खेलप्रेमी भी चौधियां गये हैं जिनपर खेल से कहीं ज्‍यादा विज्ञापन और आधुनिकता का मुलम्‍मा चढ गया है. वे यह भूल रहे हैं कि कभी हॉकी हमारी पहचान हुआ करती थी और गुलामी के दौर में भी हमने उसके सहारे पूरे विश्‍व में पताका लहराई थी. समय आ गया है कि खेल को खेल की भावना से देखा जाये और जब बात राष्‍ट्रीय खेल की हो तो थोडा सा सम्‍मान देते हुए उसकी भी बात मीडिया और खेलप्रेमी करें तब हम शायद खेलों और खेलभावना के साथ समुचित न्‍याय कर पायेंगे.

Comments

Unknown said…
ha jaise aaapne kaha ke hockey par koi dhyan nahe deta toh yeh toh ho raha hai,,,,, bt kya kare iska jawab aapke pass bhi hai,,,, iske bahut se karan hai, pahala,,,,, toh aaj kal log cricket main jyada intrest lete hai,aaj hum aapne ghar ke bahar sadak par dekhe toh chote chote bacche cricket khelte dekte hai,,bat aisa kam he sunai deya jata hai ke hamare ghar ke bacche hockey khelne ja rahe ho....toh yeh pahla toh intrest ka matter hai,,,,
aur agar dusri aur dekha jayeto kahte hai na,,,"jo dekhta hai wahe bekta hai" ,,mATLAB YAHE HAI KAHNE KA,,, KE AAJ KAL JO HOTA HAI SABSE PAHLE MEDEYA WALE USSE TALECAST KARTE HAI,,,,bt aaj toh medeya bhi sirf cricket par dhyan de raha hai pata nahe kyo?? agar logo ke pass sirf cricket ke he news hoge toh woh bhi kya karnge,,,

ab yeh toh medeya ke responsibility hai ke woh cricket ke alawa dusre khelo par bhi apna dhyan de,,,toh shyad awam ko bhi thoda intrest aa jaye hockey par,,,aur kya pata shyad hockey ko bhi wahe sthan nmil jaye jo cricket ko milta hai,,,,,
जनाब मेरा तो मानना है कि क्रिकेट पर बैन लगा देना चाहिए। इसकी वजह से कितनी समय की बर्बादी होती है और जहां तक मनोरंजन की बात है तो यह अब मनोरंजन नहीं दुकानदारी हो गई है
Unknown said…
आशीष भाइर् आप एक समस्‍या को समाप्‍त करने के लिए किसी दूसरी चीज को समस्‍या नहीं बना सकते हैं. हॉकी की उपेक्षा के लिए क्रिकेट को कहीं से भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. क्रिकेट आज मीडिया में छाया हुआ है पर ऐसा होना एक दिन की बात नहीं है. क्रिकेट के खिलाडियों ने अपने प्रदर्शन से मीडिया में अपनी जगह बनायी है. इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाना समस्‍या का समाधान नहीं है. हॉकी के खिलाडियों को अपने प्रदर्शन से मीडिया से यह जवाब मांगना चाहिए कि उनके साथ आखिर ऐसा उपेक्षापूर्ण बर्ताव क्‍यों किया जा रहा है.

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