Skip to main content

अब धनबाद भी कम नहीं

सुमन कुकरेजा
भारत में कई ऐसे शहर हैं जो दुनिया में तेजी से बढते शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. कुछ वर्षों पहले गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकाड्रर्स में महाराष्‍ट्र के औरगांबाद ने अपना नाम दर्ज कराया था. देश के कुछ शहर जो विश्‍व ही नहीं अपने देश में भी अनजाने से थे आज दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्शा रहे हैं इन भारतीय शहरों में चंडीगढ, भोपाल, सूरत, गुवाहटी, दुर्ग, आसनसोल, विशाखापट्रटनम और धनबाद प्रमुख है. ब्रिटेन की एक गैर सरकारी संस्‍था अंतरराष्‍ट्रीय पर्यावरण व विकास संस्‍थान द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 100 सबसे तेजी से बढते शहरों में भारत के 11 शहर हैं. इनमें फरीदाबाद का छठा स्‍थान है. ग्रामीण इलाकों से तेजी से शहरों की तरफ हो रहे पलायन को देखते हुए यह अध्‍ययन रिपोर्ट में कहा गया है. छत्‍तीसगढ का दुर्ग-भिलाई आज दुनियां का सातवां और धनबाद आठवां शहर है. ऐसा ही दिल्‍ली से सटे गाजियाबाद का नाम भी इस लिस्‍ट में शामिल है. रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के जिन देशों के गांवों से सबसे ज्‍यादा लोगों का शहरों की तरफ पलायन हुआ है उसमें भारत का स्‍थान सिर्फ चीन से पीछे है. चीन पहले नंबर पर है भारत दूसरे नबंर पर. इन दोनों देश की अर्थव्‍यवस्‍था को इस समय आर्थिक विकास के पंख लगे हैं. दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्‍या वाले देशों में भारत के चार महानगरों दिल्‍ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्‍नई के साथ पुणे, बेंगलूर और हैदराबाद भी जुड गये हैं. यदि शहरीकरण का यह सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो वर्ष 2020 तक शहरी जनसंख्‍या संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की भविष्‍यवाणी के मुकाबले ज्‍यादा हो जायेगी. इस दौरान इन देशों की जनसंख्‍या बढने की दर सबसे अधिक होगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि 20 वीं शताब्‍दी के दौरान दुनिया की शहरी जनसंख्‍या दस गुणा बढ गयी है. अब इसमें जो बढोतरी हो रही है इसमें भारत की मुख्‍य भूमिका है. पिछले एक दशक के दौरान भारत की संपत्ति क्षेत्र में व्‍यापक रूप से परिवर्तन हुआ है. उन सभी शहरों में संपत्ति की कीमतों में व्‍यापक बढोतरी हुई है, जहां पर संपत्ति को हजारों में खरीदा जा सकता था, वहां की कीमतें अब लाखों में पहुंच गई है. बडे शहरों में तो इनकी कीमतें अब करोडों में लगने लगी है. देश के कोयंबटुर व विशाखापट्रटनम पर्यटन व संस्‍क़ति के साथ-साथ रियल स्‍टेट के क्षेत्र में हो रहे निवेश में भी चर्चा में आ गये हैं. इसी प्रकार हैदराबाद, पुणे, बेंगलूर के बाद आईटी कंपनियों के प्रमुख पसंद बन चुके हैं. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी पुणे, बेंगलूर से कहीं आगे निकल गया है झारखंड का धनबाद शहर. हालांकि विकास की द़ष्टि से यह शहर काफी पिछडा नजर आता है, लेकिन कोयला क्षेत्र होने के कारण विश्‍व में तेजी से बढते शहरों में शामिल हो गया है.

Comments

कबीर सा रा रा रा रा रा रा रा रारारारारारारारा
जोगी जी रा रा रा रा रा रा रा रा रा रा री

Popular posts from this blog

एनडीए के साथ जाना नीतीश का सकारात्मक फैसला : श्वेता सिंह (एंकर, आजतक )

Shweta during coverage बिहार की वर्तमान राजनिति पर नयी नज़र के साथ जानी-मानी आजतक पत्रकार बिहारी श्वेता सिंह से   खास बातचीत  पटना : बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को सुबह दोबारा एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कर लिया. इस बीच राजधानी पटना में राजनैतिक चर्चाओं का बाजार उफान पर रहा. गुरुवार को अहले सुबह से ही तमाम मीडियाकर्मी राजभवन के बाहर शपथ ग्रहण को कवरेज करने के लिए मौजूद थे. इस इवेंट को कवरेज करने के लिए आजतक टीवी की जानी-मानी पत्रकार श्वेता सिंह भी विशेष रूप से पटना पहुंची थीं. श्वेता स्वयं एक  बिहारी हैं और बिहार के वैशाली जिले के महुआ से आतीं हैं. श्वेता लोगों से इस राजनैतिक घमासा न पर जमकर सवाल पूछतीं नज़र आईं. इस दौरान नयी नज़र के ब्लॉगर कुमार विवेक ने बिहार के बदलते घटनाक्रम पर श्वेता सिंह से बातचीत की, इसके मुख्य अंश हम आपसे साझा कर रहे है. ___ सवाल : श्वेता, देश की जानी-मानी पत्रकार होने के नाते बिहार के इस वर्त्तमान राजनैतिक घटनाक्रम को किस रूप में देखती हैं? जवाब : देखिये, एक पत्रकार के तौर पर इस विषय

हमसे कुछ नहीं होगा हम गुलाम पत्रकार हैं

अभिषेक पोद्दार हमेशा की तरह कल रात अपने अखबार के कार्यालय से काम निपटाकर अपने घर गया, जहां हम सभी रूममेट बैठकर रोज की तरह किसी मुद्दे पर बहस कर रहे थे, अचानक मैंने अपने एक साथी से पूछा यार फ्रीलांस रिपोर्टर को हिंदी में क्‍या कहेंगे उसने कहां स्‍वतंत्र पत्रकार, तभी तपाक से मेरे मुंह से निकल गया तो हम गुलाम पत्रकार हैं. उसने भी भरे मन से हामी भर दी. फिर क्‍या था हमसब इसी मुद्दे पर चर्चा करने लगे. दो दिनों पहले बोलहल्‍ला पर पत्रकारिता के बारे में मैंने जो भडास निकाली थी उसका कारण समझ में आने लगा. आज हकीकत तो यह है कि हम जिस मीडिया घराने से जुड जाते हैं उसके लिए एक गुलाम की भांति काम करने लगते हैं, हम अपनी सोच, अपने विचार और अपनी जिम्‍मेवारियों को उस मीडिया घराने के पास गिरवी रख देते हैं और सामने वाला व्‍यक्ति हमें रोबोट की तरह इस्‍तेमाल करने लगता है, हम उसकी धुन पर कठपुतलियों की तरह नाचना शुरू कर देते हैं. किसी को जलकर मरते देखकर हमारा दिल नहीं पसीजता, किसी की समस्‍याओं में हमें अपनी टॉप स्‍टोरी व ब्रे‍किंग न्‍यूज नजर आती है, सच कहें तो शायद हमारी संवेदना ही मर चुकी हैं. शायद आज पूरी की
झारखंड में फ्लोरोसिस का प्रकोप सबसे प्रभावित है राज्‍य का पलामू जिला (संजय पांडे) झारखण्ड में पलामू जिले के ज्‍यादातर ग्रामीण इलाकों में लोग फ्लोराइडयुक्त पानी का सेवन कर रहे हैं। जैसे-जैसे फ्लोराइड प्रभावित गांवों का सर्वेक्षण किया जा रहा है, वैसे-वैसे स्थिति काफी भयवाह नजर आ रही है। यदि स्थिति को संभाली नहीं गयी, तब यहां के ज्‍यादातर लोग फ्लोरोसिस बीमारी से ग्रसित हो जायेंगे। चुकरू गांव के लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सिर्फ पाइप लाइन तो बिछा दी गयी हैं, लेकिन पानी की सप्लाई अभी तक नहीं हो सकी है। स्थिति यह है कि लोग अभी तक 15 से 16 प्रतिशत तक फ्लोराइडयुक्त पानी का ही सेवन कर रहे हैं। ग़ौरतलब है कि इस गांव में काफी अरसा पहले लगभग एक करोड़ 76 लाख 17 हजार की अनुमानित लागत वाले 'चुकरू ग्रामीण जलाशय परियोजना' का शिलान्यास किया गया था। लेकिन पाइप लाइनों को ठीक तरीके से न बिछाए जाने और सरकारी भ्रष्‍टाचार के चलते ग्रामीणों को पीने का साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में जब इस गांव का दौरा करने पर पता चलता है कि चुकरू गांव में अधिसंख्य लोगों के दांत सही नहीं हैं। क़ुछ लोग असमय