सरोज तिवारी
टाटा यूरोप, टाटा अफ्रीका, टाटा ऑस्ट्रेलिया इंटरनेशनल कंपनी, टाटा समूह का नया साम्राज्य है, जो पूरे विश्व पर अपनी विजय पताका-लहराने की दिशा में अग्रसर है. वर्ष 200 ेस शुरू अंतराराष्ट्रीय कंपनियों की खरीददारी की संख्या अब 38 हो गयी है. इसके नये संस्करण में जगुआर और लैंड रोवर का नाम भी आ गया है. अगर देश के मल्टीनेशनल कंपनियों की बात करें तो बिड़ला, महिन्द्रा, रैनबैक्सी फार्मा, भारत फोर्ज, सुजलॉन, और आईसीआईसीआई जैसी कई बड़ी कंपनियां हैं, जिनका ऑपरेशन विश्व के कई देशों में चल रहा हैञ लेकिन टाटा ग्रुप की बात अलग है, आज छह महादेशों के 85 देशों में टाटा की सैकड़ों कंपनियां कार्यरत हैं. आज इस ग्रुप के टोटल रेवेन्यु का 40 प्रतिशत जो कि लगभग 11 बिलियन डॉलर है, केवल विदेशों से आता है, जो इस साल 60 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा. टाटा कंसलटेंसी सर्विस, टाटा टी, टाटा स्टील, टाटा केमिकल्स, टाटा मोटर्स और इंडियन होटल्स जैसी टाटा की फ्लैगशिप कंपनियां विदेशों में पूरी तरह स्थापित हो चुकी है. अगर टीसीएस की बात करें, तो 1968 में अमेरिका के शुरू होने वाली इस कंपनी का कार्यक्षेत्र आज 47 देशों में फैल गया हैञ यूएस, यूके, चीन, यूरोप, अफ्रीका में फैले इस कंपनी के रेवेन्यू में भारत का अंशदान केवल 10 प्रतिशत ही रह गया है, यानी ज्यादा रेवेन्यू विदेशों से आ रहे हैं. टाटा टी यूके की टेटले और यूएस की 8 ओ क्लॉक जैसी बड़ी कंपनियों को खरीद कर विश्व की दूसरी सबसे बड़ी चाय कपंनी बन गयी है. टाटा केमिकल्स भी हाल में यूएस की जेनरल केमिकल्स के टेकओवर के बाद विश्व के सोडा ऐस बनानेवाली कंपनियों में दूसरे नंबर पर आ गया है. अब फोर्ड जगुआर और लैंड रोवर की खरीद के बाद टाटा मोटर्स संपूर्ण रूप से एक इंटरनेशनल ऑटो मेकर कंपनी बन गयी है. जहां टाटा के पास अल्ट्रा लो कॉस्ट सेगमेंट में महत्वकांक्षी कार नैनो है, तो जेनरल यूटिलिटी कार में इंडिका, कमर्शियल हेकिल सेगमेंट में एस और टाटा-देवू मोटर्स की इस साल आ रही वर्ल्ड टक है, तो स्पोर्टस यूटिलिटी में सफारी और अब लैंड रोवर और इस बार जगुआर के साथ टाटा ने प्रिमियर लास सेंगमेंट को भी अपने खेमे में मिला लिया है. इस तरह अब टाटा मोटर्स विश्व के किसी भी बडी ऑटो कंपनी को कडी टक्कर देने को तैयार है. वर्ष 2000 से शुरू हुआ विश्व विजय का यह रथ अभी रूकनेवाला नहीं है. बहरहाल रतन टाटा के इस विजन के सभी कायल है. 1998 में जब टेल्को टाटा मोटर्स का पुराना नाम कंपनी घाटे में चल रही थी, तब रतन टाटा ने स्वदेशी कार इंडिका लांच की. एक समय जब कंसल्टिंग कंपनी मैकेंजी ने घाटे के स्टील उघोग से टाटा को हट जाने की सलाह दी, तो टाटा स्टील कुछ सालों बाद कोरस को खरीदा. आज टाटा मोटर्स और टाटा स्टील दोनों ही कंपनियां विश्व के पांच टॉप में शामिल हैं. भारत में टाटा की सभी फलेगशीन कंपनियां अपने क्षेत्र में नंबर वन पोजिशन पर है, लेकिन रतन टाटा को अभी भी मलाल है कि वो टाटा फाइनांशियल को देश की बडी बैंकिंग कंपनियों में शामिल नहीं करा सके.
टाटा यूरोप, टाटा अफ्रीका, टाटा ऑस्ट्रेलिया इंटरनेशनल कंपनी, टाटा समूह का नया साम्राज्य है, जो पूरे विश्व पर अपनी विजय पताका-लहराने की दिशा में अग्रसर है. वर्ष 200 ेस शुरू अंतराराष्ट्रीय कंपनियों की खरीददारी की संख्या अब 38 हो गयी है. इसके नये संस्करण में जगुआर और लैंड रोवर का नाम भी आ गया है. अगर देश के मल्टीनेशनल कंपनियों की बात करें तो बिड़ला, महिन्द्रा, रैनबैक्सी फार्मा, भारत फोर्ज, सुजलॉन, और आईसीआईसीआई जैसी कई बड़ी कंपनियां हैं, जिनका ऑपरेशन विश्व के कई देशों में चल रहा हैञ लेकिन टाटा ग्रुप की बात अलग है, आज छह महादेशों के 85 देशों में टाटा की सैकड़ों कंपनियां कार्यरत हैं. आज इस ग्रुप के टोटल रेवेन्यु का 40 प्रतिशत जो कि लगभग 11 बिलियन डॉलर है, केवल विदेशों से आता है, जो इस साल 60 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा. टाटा कंसलटेंसी सर्विस, टाटा टी, टाटा स्टील, टाटा केमिकल्स, टाटा मोटर्स और इंडियन होटल्स जैसी टाटा की फ्लैगशिप कंपनियां विदेशों में पूरी तरह स्थापित हो चुकी है. अगर टीसीएस की बात करें, तो 1968 में अमेरिका के शुरू होने वाली इस कंपनी का कार्यक्षेत्र आज 47 देशों में फैल गया हैञ यूएस, यूके, चीन, यूरोप, अफ्रीका में फैले इस कंपनी के रेवेन्यू में भारत का अंशदान केवल 10 प्रतिशत ही रह गया है, यानी ज्यादा रेवेन्यू विदेशों से आ रहे हैं. टाटा टी यूके की टेटले और यूएस की 8 ओ क्लॉक जैसी बड़ी कंपनियों को खरीद कर विश्व की दूसरी सबसे बड़ी चाय कपंनी बन गयी है. टाटा केमिकल्स भी हाल में यूएस की जेनरल केमिकल्स के टेकओवर के बाद विश्व के सोडा ऐस बनानेवाली कंपनियों में दूसरे नंबर पर आ गया है. अब फोर्ड जगुआर और लैंड रोवर की खरीद के बाद टाटा मोटर्स संपूर्ण रूप से एक इंटरनेशनल ऑटो मेकर कंपनी बन गयी है. जहां टाटा के पास अल्ट्रा लो कॉस्ट सेगमेंट में महत्वकांक्षी कार नैनो है, तो जेनरल यूटिलिटी कार में इंडिका, कमर्शियल हेकिल सेगमेंट में एस और टाटा-देवू मोटर्स की इस साल आ रही वर्ल्ड टक है, तो स्पोर्टस यूटिलिटी में सफारी और अब लैंड रोवर और इस बार जगुआर के साथ टाटा ने प्रिमियर लास सेंगमेंट को भी अपने खेमे में मिला लिया है. इस तरह अब टाटा मोटर्स विश्व के किसी भी बडी ऑटो कंपनी को कडी टक्कर देने को तैयार है. वर्ष 2000 से शुरू हुआ विश्व विजय का यह रथ अभी रूकनेवाला नहीं है. बहरहाल रतन टाटा के इस विजन के सभी कायल है. 1998 में जब टेल्को टाटा मोटर्स का पुराना नाम कंपनी घाटे में चल रही थी, तब रतन टाटा ने स्वदेशी कार इंडिका लांच की. एक समय जब कंसल्टिंग कंपनी मैकेंजी ने घाटे के स्टील उघोग से टाटा को हट जाने की सलाह दी, तो टाटा स्टील कुछ सालों बाद कोरस को खरीदा. आज टाटा मोटर्स और टाटा स्टील दोनों ही कंपनियां विश्व के पांच टॉप में शामिल हैं. भारत में टाटा की सभी फलेगशीन कंपनियां अपने क्षेत्र में नंबर वन पोजिशन पर है, लेकिन रतन टाटा को अभी भी मलाल है कि वो टाटा फाइनांशियल को देश की बडी बैंकिंग कंपनियों में शामिल नहीं करा सके.
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