गुजरात दंगा पर आई नानावटी रिपोर्ट पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। पीड़ितों के न्याय की लड़ाई लड़ रहे जन संघर्ष मंच ने नानावटी आयोग की रिपोर्ट को पटरी से उतरी हुई रिपोर्ट करार दिया है। मंच के वकील डॉ. मुकुल सिन्हा ने कहा कि आयोग ने सीधे-सीधे पुलिस की ओर से दिए गए आरोपियों के इकबालिया बयानों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के निकट साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 डिब्बे को आग लगने की घटना ' एक सोची समझी साज़िश ' का नतीजा थी। डॉ. सिन्हा के अनुसार इस बात को रिपोर्ट में साबित नहीं किया गया है कि यह एक साज़िश थी। डॉ. सिन्हा ने कहा कि आयोग ने पुलिस अधिकारी राजू भार्गव की गवाही को पूरी तरह नज़रंदाज़ कर दिया है। जब भार्गव घटनास्थल पर पहुंचे थे तो ट्रेन से कूदकर बाहर आने वाले घायलों पर जलने के घाव कमर से ऊपर थे। सिन्हा ने कहा कि भार्गव ने यह भी कहा था कि उन्होंने पेट्रॉल की कोई गंध महसूस नहीं की थी और डिब्बे के फर्श पर कोई आग की लपट नहीं थी। सिन्हा के अनुसार आयोग ने इस संदर्भ में यात्रियों की गवाही की भी अनदेखी की है। लगभग 70 यात्री जो ट्रेन से बाहर निकलने में सफल हुए थे, उनके शरीर पर जलने के घाव कमर से ऊपर ही थे। रिपोर्ट के मुताबिक डब्बे को आग लगाई गई थी क्योंकि बाहर से जलते कपड़े के टुकड़े डिब्बे में फेंके गए थे जबकि रिपोर्ट के 208वें पैरा में कहा गया है कि किसी चश्मदीद गवाह ने ऐसी गवाही नहीं दी कि कोई व्यक्ति डिब्बे में घुसा और उसने ज्वलनशील पदार्थ डिब्बे में फेंका। सिन्हा के अनुसार आयोग ने 212वें पैरा में यह निष्कर्ष निकाला है कि डिब्बे में लगी आग 60 लीटर पेट्रॉल से लगी थी जो डिब्बे में फेंका गया था। सिन्हा कहते हैं कि आयोग के इस निष्कर्ष का आधार फॉरेंसिक प्रयोगशाला के एक अधिकारी की राय पर आधारित है। अधिकारी ने गवाही में केवल राय दी थी कि आग 60 लीटर पेट्रॉल डिब्बे के अंदर फेंकने से लगी हो सकती है, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं था। इस तरह यह जानकारी नहीं सिर्फ एक राय थी, लेकिन आयोग ने इसे एक महत्वूपर्ण प्रमाण माना। सिन्हा ने कहा कि एक और मुख्य पहलू यह है कि अगर गोधरा कांड एक सोची समझी साज़िश थी तो इसका मतलब यह है कि आग लगाने वालों को यह पता होना चाहिए था कि साबरमती एक्सप्रेस में कारसेवक आ रहे हैं और यह भी पता होना चाहिए था कि कारसेवक एस 6 डिब्बे में हैं। इसके अलावा उन्हें एक खास स्थान पर ट्रेन रोकने के लिए चेन खींचने की व्यवस्था के लिए और वहां ज्वलनशील पदार्थ पहुंचाने के लिए खास लोगों की ज़रूरत होती। सिन्हा के मुताबिक आयोग ने यह पता करने की कोशिश नहीं की है कि कथित आरोपियों की मूल योजना, अगर कोई थी तो क्या थी। क्योंकि साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के आने का समय रात दो बजकर पचपन मिनट था लेकिन उस दिन गाड़ी अपने निर्धारित समय से पांच घंटे देरी से आई थी। गोधरा कांड और गुजरात दंगों की जांच करने वाले नानावटी आयोग ने हाल में अपनी जांच रिपोर्ट का एक हिस्सा गुजरात सरकार को सौंपा था और विधानसभा में यह रिपोर्ट पेश की गई थी। रिपोर्ट में गोधरा कांड को एक सोची समझी साज़िश का नतीजा करार देने के अलावा मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके सहयोगी मंत्रियों और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई है। उधर जस्टिस नानावटी ने कहा है कि वह किसी तरह के विवाद में नहीं पड़ना चाहते और वह अपनी रिपोर्ट से पूरी तरह संतुष्ट हैं।
Gandhi Ji & Netaji together in 1938. Ne taji Subhas Chandra Bose was an Indian nationalist whose defiant patriotism made him a hero among Indian’s. Let’s have some basic facts about him. 1. Netaji was born on 23 January 1897 at Cuttak, Orrissa Divison of Bengal Provice of British India. He was died in a plane crash Taipei Japan on August 18 1945 at the age of 48. 2. Jankinath Bose & Prabhawati Bose was his Parents. 3. He becomes congress president in 1938 & 1939. Due to differences with Gandhi Ji, Nehru & other top congress leaders he was ousted from congress in the year 1939. 4. He was placed under house arrest by the British before escaping from India in 1940
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