Skip to main content

फिर फंसी मेरठ में दूसरी गुडिया

चौदह साल के बाद लौट आने वाले आबिद की अपनी बीवी शबाना को पाने की जद्दोजहद अब दोनों पक्षों की पंचायतों में उलझ गई है। जहां कुलंजन गांव की पंचायत इस मामले को लेकर पूरी तरह आबिद के पक्ष में खड़ी है, वहीं लावड़ की पंचायत ने ऐलान कर दिया है कि शबाना को किसी भी हाल में आबिद को नहीं सौंपा जाएगा। इस मामले में एक गंभीर मोड़ आबिद की सास अकबरी के हालिया बयान के बाद आ गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि आबिद ने शबाना का न केवल शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया बल्कि उसे गलत धंधे में भी धकेलने की कोशिश की। अकबरी का कहना है कि आबिद के ज़ुल्म से तंग आकर शबाना अपने बच्चे को लेकर मायके आ गई थी लेकिन आबिद उसके पीछे पीछे चला आया और उसने गांव के लोगों के सामने ही शबाना को पीटा। गांव वालों के विरोध करने पर आबिद ने शबाना को तलाक दे दिया। इसके बाद कई सालों के लिए वह गायब हो गया। अकबरी ने कहा कि चूंकि आबिद शबाना को तलाक देने के बाद लापता हुआ था इसलिए इद्दत की रस्म के बाद छह साल पहले शबाना का निकाह मुज़फ्फरपुर के खालापार निवासी अबरार से कर दिया गया। आबिद के लौट आने के बाद अकबरी के गांव की पंचायत में शबाना के दूसरे निकाह को जायज़ ठहराते हुए उसके पक्ष में लड़ाई लड़ने का फैसला किया गया। पंचायत ने पुलिस से मांग की है कि इस बात की जांच कराई जाए कि आबिद पिछले 14 साल तक कहां और किसके पास रहा। यह भी जांच की जानी चाहिए कि कहीं उसके संबंध आतंकवादी संगठनों के साथ तो नहीं थे। इसके अलावा कहीं मेरठ से भागने के बाद उसने दूसरा निकाह तो नहीं किया। संपर्क करने पर आबिद ने अकबरी और पंचायत के आरोपों से इंकार करते हुए कहा कि वह सच्चा है और उसे किसी जांच से डर नहीं लगता। उधर दारूल उलूम देवबंद के विद्वान जावेद और मुफ्ती ने स्पष्ट किया है कि यदि आबिद और शबाना का निकाह टूटा नहीं है तो शबाना का दूसरा निकाह जायज़ नहीं होगा। इलाके की सरधना के पुलिस इंस्पेक्टर अजय कुमार ने बताया कि इस मामले में किसी पक्ष ने कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही मामले की जांच शुरू की जाएगी।

Comments

aabidh to shabana ko bechna chahta tha,,,jaisa ki shabana ki ma ne kaha hai
Anonymous said…
इस संबंध में जानकारी देने के लिए शुक्रिया, मुझे जैसी जानकारी मिली मैंने वैसे ही लिखा
Anonymous said…
ये एक ऐसे लफंगे शराबी का कुचक्र है जो शबाना को तलाक देने के चौदह साल बाद अपना बता रहा है। पहले ये बताए कि चौदह साल तक ये किस जरायम की दुनिया में था। वैसे शबाना ने आज साफ कर दिया है चाहे फतबा आए या कोई और दबाव लेकिन वह आबिद के साथ जाने से मरना पसंद करेगी। ऐसे में उसे कोई गुडि़या नहीं बना सकता।
Anonymous said…
सही कहा आपने हरि जोशी साहब, आखिर उन्‍हें भी जीने का हक है. अगर वे भी अपने जेहन में कुछ करने की ठान लें तो कोई फतवा, कोई समाज व कोई पंचायत उनका कुछ नहीं बिगाड सकती, बस जरूरत है तो सिर्फ उन हजारों की भीड में से हिम्‍मत करके आगे निकलने की.
Anonymous said…
Who knows where to download XRumer 5.0 Palladium?
Help, please. All recommend this program to effectively advertise on the Internet, this is the best program!

Popular posts from this blog

एनडीए के साथ जाना नीतीश का सकारात्मक फैसला : श्वेता सिंह (एंकर, आजतक )

Shweta during coverage बिहार की वर्तमान राजनिति पर नयी नज़र के साथ जानी-मानी आजतक पत्रकार बिहारी श्वेता सिंह से   खास बातचीत  पटना : बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को सुबह दोबारा एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कर लिया. इस बीच राजधानी पटना में राजनैतिक चर्चाओं का बाजार उफान पर रहा. गुरुवार को अहले सुबह से ही तमाम मीडियाकर्मी राजभवन के बाहर शपथ ग्रहण को कवरेज करने के लिए मौजूद थे. इस इवेंट को कवरेज करने के लिए आजतक टीवी की जानी-मानी पत्रकार श्वेता सिंह भी विशेष रूप से पटना पहुंची थीं. श्वेता स्वयं एक  बिहारी हैं और बिहार के वैशाली जिले के महुआ से आतीं हैं. श्वेता लोगों से इस राजनैतिक घमासा न पर जमकर सवाल पूछतीं नज़र आईं. इस दौरान नयी नज़र के ब्लॉगर कुमार विवेक ने बिहार के बदलते घटनाक्रम पर श्वेता सिंह से बातचीत की, इसके मुख्य अंश हम आपसे साझा कर रहे है. ___ सवाल : श्वेता, देश की जानी-मानी पत्रकार होने के नाते बिहार के इस वर्त्तमान राजनैतिक घटनाक्रम को किस रूप में देखती हैं? जवाब : देखिये, एक पत्रका...

हमसे कुछ नहीं होगा हम गुलाम पत्रकार हैं

अभिषेक पोद्दार हमेशा की तरह कल रात अपने अखबार के कार्यालय से काम निपटाकर अपने घर गया, जहां हम सभी रूममेट बैठकर रोज की तरह किसी मुद्दे पर बहस कर रहे थे, अचानक मैंने अपने एक साथी से पूछा यार फ्रीलांस रिपोर्टर को हिंदी में क्‍या कहेंगे उसने कहां स्‍वतंत्र पत्रकार, तभी तपाक से मेरे मुंह से निकल गया तो हम गुलाम पत्रकार हैं. उसने भी भरे मन से हामी भर दी. फिर क्‍या था हमसब इसी मुद्दे पर चर्चा करने लगे. दो दिनों पहले बोलहल्‍ला पर पत्रकारिता के बारे में मैंने जो भडास निकाली थी उसका कारण समझ में आने लगा. आज हकीकत तो यह है कि हम जिस मीडिया घराने से जुड जाते हैं उसके लिए एक गुलाम की भांति काम करने लगते हैं, हम अपनी सोच, अपने विचार और अपनी जिम्‍मेवारियों को उस मीडिया घराने के पास गिरवी रख देते हैं और सामने वाला व्‍यक्ति हमें रोबोट की तरह इस्‍तेमाल करने लगता है, हम उसकी धुन पर कठपुतलियों की तरह नाचना शुरू कर देते हैं. किसी को जलकर मरते देखकर हमारा दिल नहीं पसीजता, किसी की समस्‍याओं में हमें अपनी टॉप स्‍टोरी व ब्रे‍किंग न्‍यूज नजर आती है, सच कहें तो शायद हमारी संवेदना ही मर चुकी हैं. शायद आज पूरी की...

शादी के लिए किया गया 209 पुरुषों को अगवा

शायद यह सुनकर आपको यकीन न हो लेकिन यह सच है। ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले साल जबर्दस्ती विवाह कराने के लिए 209 पुरुषों को अगवा किया गया। इनम 3 पुरुष ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 50 साल से अधिक थी जबकि 2 की उम्र दस साल से भी कम थी। नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी 'भारत में अपराध 2007' रिपोर्ट के अनुसार, मजे की बात है कि बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जहां महिलाओं की तुलना में पुरुषों की अधिक किडनैपिंग होती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में 1268 पुरुषों की किडनैपिंग की गई थी जबकि महिलाओं की संख्या इस आंकड़े से 6 कम थी। अपहरण के 27, 561 मामलों में से 12, 856 मामले विवाह से संबंधित थे। महिलाओं की किडनैपिंग के पीछे सबसे बड़ा कारण विवाह है। महिलाओं के कुल 20,690 मामलों में से 12,655 किडनैपिंग शादी के लिए हुई थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि किडनैप की गईं लड़कियों अधिकाधिक की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। साभार नवभारत टाइम्‍स