अभिषेक पोद्दार
आज पूरे देश में नारी सशक्तिकरण का जुमला हर जुबान पर है. केंद्र से लेकर राज्य सरकारें नारी सशक्तिकरण के लिए तरह-तरह की घोषणाएं करने से नहीं चूक रही हैं. जब बात नारियों के उत्थान की हो रही हो तो हम रानी लक्ष्मीबाई, सरोजनी नायडू, किरण बेदी, इंदिरा गांधी जैसी तमाम महिलाओं का उदाहरण देने से नहीं थकते हैं. देश भर में ऐसी हजारों स्वयंसेवी संस्थाएं हैं जो यह दावा करती है कि उनका मुख्य काम महिला उत्थान के क्षेत्र में काम करना है, पर शायद यह केवल कागजी सच ही है अगर ऐसा न होता तो प्राचीन काल से ही नारी को शक्ति का रूप मानने वाले इस देश में हर 35 वें मिनट में किसी नारी का बलात्कार नहीं होता. जी हां कुछ आकडों पर अगर हम गौर करें तो कुछ ऐसे ही कडवें सच सामने आते हैं.
आज हमारे देश में हर 26 मिनट में एक लडकी के साथ छेड-छाड की जाती है, हर 42 वें मिनट में घर, कार्यालय, विद्यालय या अन्य किसी स्थान पर यौन-उत्पीडन का शिकार होती है, हर 93 मिनट पर एक महिला दहेज के लिए मार दी जाती है या जला दी जाती है, हर तीन महिला में से एक महिला आज भी निरक्षर है, वहीं विश्व स्तर पर पुरूषों की बेरोजगारी दर जहां 4.3 है वहीं महिलाओं की बेरोजगारी दर 6.9 है. इसके साथ ही साथ कन्या भ्रूण हत्या का प्रतिशत भी दिनों दिन बढता जा रहा है.
इसके बावजूद भी नारियों के उड़ान के पंख हजार, उनकी मुट्ठी में आसमान, उनपर गर्व करने के कई अवसर... निराशाओ के बावजूद एक आशा ..(जी हाँ आशा, शब्द ही स्र्त्रिलिंग है...) जो हमेशा बनी रहेगी.
आज पूरे देश में नारी सशक्तिकरण का जुमला हर जुबान पर है. केंद्र से लेकर राज्य सरकारें नारी सशक्तिकरण के लिए तरह-तरह की घोषणाएं करने से नहीं चूक रही हैं. जब बात नारियों के उत्थान की हो रही हो तो हम रानी लक्ष्मीबाई, सरोजनी नायडू, किरण बेदी, इंदिरा गांधी जैसी तमाम महिलाओं का उदाहरण देने से नहीं थकते हैं. देश भर में ऐसी हजारों स्वयंसेवी संस्थाएं हैं जो यह दावा करती है कि उनका मुख्य काम महिला उत्थान के क्षेत्र में काम करना है, पर शायद यह केवल कागजी सच ही है अगर ऐसा न होता तो प्राचीन काल से ही नारी को शक्ति का रूप मानने वाले इस देश में हर 35 वें मिनट में किसी नारी का बलात्कार नहीं होता. जी हां कुछ आकडों पर अगर हम गौर करें तो कुछ ऐसे ही कडवें सच सामने आते हैं.
आज हमारे देश में हर 26 मिनट में एक लडकी के साथ छेड-छाड की जाती है, हर 42 वें मिनट में घर, कार्यालय, विद्यालय या अन्य किसी स्थान पर यौन-उत्पीडन का शिकार होती है, हर 93 मिनट पर एक महिला दहेज के लिए मार दी जाती है या जला दी जाती है, हर तीन महिला में से एक महिला आज भी निरक्षर है, वहीं विश्व स्तर पर पुरूषों की बेरोजगारी दर जहां 4.3 है वहीं महिलाओं की बेरोजगारी दर 6.9 है. इसके साथ ही साथ कन्या भ्रूण हत्या का प्रतिशत भी दिनों दिन बढता जा रहा है.
इसके बावजूद भी नारियों के उड़ान के पंख हजार, उनकी मुट्ठी में आसमान, उनपर गर्व करने के कई अवसर... निराशाओ के बावजूद एक आशा ..(जी हाँ आशा, शब्द ही स्र्त्रिलिंग है...) जो हमेशा बनी रहेगी.
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