अभिषेक पोद्दार
अभी पिछले दस दिनों से मीडिया में आरूषि व हेमराज हत्याकांड मामला पूरी तरह से छाया रहा. जब भी टीवी खोलो वहीं आरूषि हत्याकांड पर खबर चलती रहती थी. 24 घंटे ब्रेंकिग न्यूज वहीं थी मीडिया के लिए. जबकि ऐसा नहीं था कि आरूषि कोई बहुत बडी हस्ती हो या इस संसार में ऐसा मर्डर केस पहली बार हुआ हो जो इस तरह से सारे मीडिया वाले उसके पीछे पड गये थे. अगर कुछ था तो टीआरपी का खेल, जिसके जरिये सभी अपने चैनल की टीआरपी बढाने में लगे थे, उनके लिए तो पूरी खबर नोएडा पुलिस का मुख्यालय, नोएडा का सेक्टर 25 तक ही सिमट कर रह गया था. ऐसा न था कि इस समय विश्व की छोडिये अपने भारत वर्ष में ही कोई घटना ऐसी नहीं घटी हो, अभी कुछ दिनों पहले ही जयपुर ब्लास्ट के उपर प्रत्येक दिन फॉलोअप स्टोरी चलाई जा रही थी लेकिन इस हत्याकांड के बाद जयपुर ब्लास्ट की गूंज भी खामोश हो गई. वहीं इसी दौरान यूपीए सरकार के चार साल भी पूरे हुए लेकिन इसपर भी मीडिया ने नजर डालना मुनासिब नहीं समझा जबकि इस समय महंगाई, आतंकवाद व बेरोजगारी अपने चरम पर थी और तो ओर मीडिया के लिए शुरू से पंसदीदा मुद्रदा नंदीग्राम और सिंगुर का इसपर भी लोगों का ध्यान नहीं गया, जहां सबसे चौंकाने वाले परिणाम थे नंदीग्राम में वाम दलों का सूपडा साफ हो गया था. पर इन मीडिया वालों को चाहिए था हॉट और मसालेदार जिसे सब भूना सके और वह मसाला उन्हें आरूषि हत्याकांड में मिला. 24 घंटे ब्रेंकिग न्यूज आरूषि ने यह किया था, आरूषि ने वह किया था. हां एक बात और मीडिया वाले तो अब किसी पर बिना सबूत के किसी को दोषी बनाने से भी नहीं चूकते और न रिश्तों को शर्मशार करने से. जहां कोई मर्डर हो कुछ हो न हो अवैध संबंध का मामला सबसे पहले बन जाता है. कि फलाना का अवैध संबंध थे जैसा कि इस हत्याकांड में भी देखने को मिला, पर एक बात के लिए इन मीडियाकर्मियों को साधुवाद देना होगा कि कम से कम उन्होंने आरूषि के अवैध संबंध अपने पिता से ही थे यह तो नहीं बताया, नहीं तो जिसतरह से ऑर्कूट पर जिस गुमनाम व्यक्ति से आरूषि की बात होती थी कह देते कि वह कोई और नहीं उसका पिता ही था. और तो और मीडिया वालों खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों अब सीबीआई व सीआईडी में भी पार्ट टाइम या फुल टाइम जॉब कर लेना चाहिए. इस हत्याकांड में जो जो पुलिस को नहीं पता चल पाया उसे मीडियावालों ने पता कर लिया और उससे आगे आगे क्या क्या पता लग सकता है सब बता दिया. अब इस हत्याकांड के पीछे सच्चाई क्या है इसका तो खुलासा पुलिस ही कर सकती है लेकिन मीडिया के इस हत्याकांड के पीछे का जो सच था वह यही था कि खबर वहीं होती है जो टीआरपी बढाती है वह नहीं जिससे समाज का विकास हो सके.
अभी पिछले दस दिनों से मीडिया में आरूषि व हेमराज हत्याकांड मामला पूरी तरह से छाया रहा. जब भी टीवी खोलो वहीं आरूषि हत्याकांड पर खबर चलती रहती थी. 24 घंटे ब्रेंकिग न्यूज वहीं थी मीडिया के लिए. जबकि ऐसा नहीं था कि आरूषि कोई बहुत बडी हस्ती हो या इस संसार में ऐसा मर्डर केस पहली बार हुआ हो जो इस तरह से सारे मीडिया वाले उसके पीछे पड गये थे. अगर कुछ था तो टीआरपी का खेल, जिसके जरिये सभी अपने चैनल की टीआरपी बढाने में लगे थे, उनके लिए तो पूरी खबर नोएडा पुलिस का मुख्यालय, नोएडा का सेक्टर 25 तक ही सिमट कर रह गया था. ऐसा न था कि इस समय विश्व की छोडिये अपने भारत वर्ष में ही कोई घटना ऐसी नहीं घटी हो, अभी कुछ दिनों पहले ही जयपुर ब्लास्ट के उपर प्रत्येक दिन फॉलोअप स्टोरी चलाई जा रही थी लेकिन इस हत्याकांड के बाद जयपुर ब्लास्ट की गूंज भी खामोश हो गई. वहीं इसी दौरान यूपीए सरकार के चार साल भी पूरे हुए लेकिन इसपर भी मीडिया ने नजर डालना मुनासिब नहीं समझा जबकि इस समय महंगाई, आतंकवाद व बेरोजगारी अपने चरम पर थी और तो ओर मीडिया के लिए शुरू से पंसदीदा मुद्रदा नंदीग्राम और सिंगुर का इसपर भी लोगों का ध्यान नहीं गया, जहां सबसे चौंकाने वाले परिणाम थे नंदीग्राम में वाम दलों का सूपडा साफ हो गया था. पर इन मीडिया वालों को चाहिए था हॉट और मसालेदार जिसे सब भूना सके और वह मसाला उन्हें आरूषि हत्याकांड में मिला. 24 घंटे ब्रेंकिग न्यूज आरूषि ने यह किया था, आरूषि ने वह किया था. हां एक बात और मीडिया वाले तो अब किसी पर बिना सबूत के किसी को दोषी बनाने से भी नहीं चूकते और न रिश्तों को शर्मशार करने से. जहां कोई मर्डर हो कुछ हो न हो अवैध संबंध का मामला सबसे पहले बन जाता है. कि फलाना का अवैध संबंध थे जैसा कि इस हत्याकांड में भी देखने को मिला, पर एक बात के लिए इन मीडियाकर्मियों को साधुवाद देना होगा कि कम से कम उन्होंने आरूषि के अवैध संबंध अपने पिता से ही थे यह तो नहीं बताया, नहीं तो जिसतरह से ऑर्कूट पर जिस गुमनाम व्यक्ति से आरूषि की बात होती थी कह देते कि वह कोई और नहीं उसका पिता ही था. और तो और मीडिया वालों खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों अब सीबीआई व सीआईडी में भी पार्ट टाइम या फुल टाइम जॉब कर लेना चाहिए. इस हत्याकांड में जो जो पुलिस को नहीं पता चल पाया उसे मीडियावालों ने पता कर लिया और उससे आगे आगे क्या क्या पता लग सकता है सब बता दिया. अब इस हत्याकांड के पीछे सच्चाई क्या है इसका तो खुलासा पुलिस ही कर सकती है लेकिन मीडिया के इस हत्याकांड के पीछे का जो सच था वह यही था कि खबर वहीं होती है जो टीआरपी बढाती है वह नहीं जिससे समाज का विकास हो सके.
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