Skip to main content

... तो दफन हो जायेगा एक इतिहास

अभिषेक पोद्दार
झारखंड राज्‍य के धनबाद जिला के झरिया क्षेत्र में स्थित आरएसपी कॉलेज जो कोयलांचल का सबसे पुराना कॉलेज है, अब अपनी अंतिम दिनें गिन रहा है यह कॉलेज किसी भी वक्‍त जमीदोंज हो सकता है और कारण बनेगी वहीं भूमिगत आग जो पूरे झरिया की समस्‍या है. आज से करीब आठ माह पहले विशेषज्ञों ने इस कॉलेज की आयु डेढ साल बताई थी. उन्‍होंने कहा था कि आग की बढने की गति के अनुसार अगर बचाव के उपाय नहीं किये गये तो यह कॉलेज एक दिन काल के गर्त में समा जायेगा. उस समय सभी प्रशासन, बीसीसीएल, नेता व जिला प्रशासन व विश्‍वविघालय प्रशासन सभी ने इसे बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करने की बात कही थी, लेकिन वर्तमान परिदुश्‍य में इसकी स्थिति जस की तस बनी हुई है, इसे बचाने के लिए कोई कार्य नहीं किया गया. बीसीसीएल ने आरएसपी कॉलेज की तरफ बढ रहे भूमिगत आग का सीएमआरआई द्वारा एक अघ्‍ययन करवाया था जिस अध्‍ययन में यह कहा गया था‍ कि कॉलेज की तरफ आग प्रतिमाह साढे पांच फीट की गति से बढ रही है और इस पर जल्‍द काबू पाना होगा नहीं तो यह पूरे कॉलेज को अपने आगोश में ले लेगा, परंतु उनकी इस चेतावनी के बाद भी अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. वहीं इस संबंध में बीसीसीएल प्रबंधन का कहना है कि वह इस मुद्दे पर कुछ नहीं कर सकते जो करना है सरकार या उनकी एजेंसी को करना है हम सिर्फ आर्थिक व्‍यवस्‍था ही कर सकते हैं, इसके अलावा कुछ नहीं. इधर सरकार ने कॉलेज को उक्‍त स्‍थान से हटाकर किसी ओर स्‍थान पर ले जाने की बात कही थी, लेकिन इस ओर भी कोई कदम अब तक नहीं उठाया गया है. भूमिगत आग को रोकने के लिए ट्रेंच आदि कटाई का काम भी नहीं के बराबर हो रहा है कहा जा रहा है इससे विस्‍थापन होगा और जिला प्रशासन इसे कर पाने में सक्षम नहीं है. धीरे-धीरे करके इस कॉलेज को बचाने के लिए प्रयास कर सकने वाले सभी पक्ष मौन हो गये हैं और कोयलांचल के इस इतिहास को उसी के हाल पर छोड दिया है. गौरतलब हो कि इस आरएसपी कॉलेज में कोयलांचल व इनके आसपास के इलाके के हजारों छात्र शिक्षण का कार्य करते हैं जो कभी भी काल के गाल में समा सकते हैं.

Comments

Popular posts from this blog

एनडीए के साथ जाना नीतीश का सकारात्मक फैसला : श्वेता सिंह (एंकर, आजतक )

Shweta during coverage बिहार की वर्तमान राजनिति पर नयी नज़र के साथ जानी-मानी आजतक पत्रकार बिहारी श्वेता सिंह से   खास बातचीत  पटना : बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को सुबह दोबारा एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कर लिया. इस बीच राजधानी पटना में राजनैतिक चर्चाओं का बाजार उफान पर रहा. गुरुवार को अहले सुबह से ही तमाम मीडियाकर्मी राजभवन के बाहर शपथ ग्रहण को कवरेज करने के लिए मौजूद थे. इस इवेंट को कवरेज करने के लिए आजतक टीवी की जानी-मानी पत्रकार श्वेता सिंह भी विशेष रूप से पटना पहुंची थीं. श्वेता स्वयं एक  बिहारी हैं और बिहार के वैशाली जिले के महुआ से आतीं हैं. श्वेता लोगों से इस राजनैतिक घमासा न पर जमकर सवाल पूछतीं नज़र आईं. इस दौरान नयी नज़र के ब्लॉगर कुमार विवेक ने बिहार के बदलते घटनाक्रम पर श्वेता सिंह से बातचीत की, इसके मुख्य अंश हम आपसे साझा कर रहे है. ___ सवाल : श्वेता, देश की जानी-मानी पत्रकार होने के नाते बिहार के इस वर्त्तमान राजनैतिक घटनाक्रम को किस रूप में देखती हैं? जवाब : देखिये, एक पत्रका...

हमसे कुछ नहीं होगा हम गुलाम पत्रकार हैं

अभिषेक पोद्दार हमेशा की तरह कल रात अपने अखबार के कार्यालय से काम निपटाकर अपने घर गया, जहां हम सभी रूममेट बैठकर रोज की तरह किसी मुद्दे पर बहस कर रहे थे, अचानक मैंने अपने एक साथी से पूछा यार फ्रीलांस रिपोर्टर को हिंदी में क्‍या कहेंगे उसने कहां स्‍वतंत्र पत्रकार, तभी तपाक से मेरे मुंह से निकल गया तो हम गुलाम पत्रकार हैं. उसने भी भरे मन से हामी भर दी. फिर क्‍या था हमसब इसी मुद्दे पर चर्चा करने लगे. दो दिनों पहले बोलहल्‍ला पर पत्रकारिता के बारे में मैंने जो भडास निकाली थी उसका कारण समझ में आने लगा. आज हकीकत तो यह है कि हम जिस मीडिया घराने से जुड जाते हैं उसके लिए एक गुलाम की भांति काम करने लगते हैं, हम अपनी सोच, अपने विचार और अपनी जिम्‍मेवारियों को उस मीडिया घराने के पास गिरवी रख देते हैं और सामने वाला व्‍यक्ति हमें रोबोट की तरह इस्‍तेमाल करने लगता है, हम उसकी धुन पर कठपुतलियों की तरह नाचना शुरू कर देते हैं. किसी को जलकर मरते देखकर हमारा दिल नहीं पसीजता, किसी की समस्‍याओं में हमें अपनी टॉप स्‍टोरी व ब्रे‍किंग न्‍यूज नजर आती है, सच कहें तो शायद हमारी संवेदना ही मर चुकी हैं. शायद आज पूरी की...

शादी के लिए किया गया 209 पुरुषों को अगवा

शायद यह सुनकर आपको यकीन न हो लेकिन यह सच है। ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले साल जबर्दस्ती विवाह कराने के लिए 209 पुरुषों को अगवा किया गया। इनम 3 पुरुष ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 50 साल से अधिक थी जबकि 2 की उम्र दस साल से भी कम थी। नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी 'भारत में अपराध 2007' रिपोर्ट के अनुसार, मजे की बात है कि बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जहां महिलाओं की तुलना में पुरुषों की अधिक किडनैपिंग होती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में 1268 पुरुषों की किडनैपिंग की गई थी जबकि महिलाओं की संख्या इस आंकड़े से 6 कम थी। अपहरण के 27, 561 मामलों में से 12, 856 मामले विवाह से संबंधित थे। महिलाओं की किडनैपिंग के पीछे सबसे बड़ा कारण विवाह है। महिलाओं के कुल 20,690 मामलों में से 12,655 किडनैपिंग शादी के लिए हुई थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि किडनैप की गईं लड़कियों अधिकाधिक की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। साभार नवभारत टाइम्‍स