Skip to main content

कोरोना वायरस से मुक़ाबला : भारत में लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ाया गया, जानिये बिहार में लॉकडाउन 3.0 में कहाँ-कहाँ मिलेगी छूट?

Lockdown 3.0 Extended

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए देश में लॉकडाउन की अवधि को १७ मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. भारत सरकार ने देश के ७३३ जिलों को तीन हिस्सों में बांटकर लॉकडाउन को बढ़ाने  फैसला लिया है. देश के जिलों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा गया है. पटना समेत बिहार के पांच जिले भी रेड जोन में रखे  गए  हैं। रेड जोन में  आने वाले दूसरे जिले  मुंगेर,  रोहतास, बक्सर और गया हैं.

वहीं ऑरेंज जोन में आने वाले जिले हैं.

नालंदा, कैमूर (भभुआ), सिवान, गोपालगंज, भोजपुर, बेगूसराय, औरंगाबाद, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, भागलपुर, अरवल, सरन, नवादा, लखीसराय, बांका, वैशाली, दरभंगा, जहानाबाद, मधेपुरा और पूर्णिया।

जबकि ग्रीन जोन में आने वाले जिले हैं
शेखपुरा, अररिया, जमुई, कटिहार, खगरिया, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, पशिचम चंपारण, सहरसा, समस्तीपुर, शिवहर, सीतामढ़ी और सुपौल।

लॉकडाउन 3.0 में कहां क्या छूट मिलेगी

रेड जोन : रेड जोन में  साइकिल रिक्शा और ऑटो रिक्शा चलाना; टैक्सी और कैब एग्रीगेटर्स का परिचालन; बसों का जिलों के भीतर और अंतर जिला परिचालन; और नाई की दुकानें, स्पा और सैलून अभी भी बंद रहेंगे।

रेड जोन में आने वाले क्षेत्रों में कुछ बंदिशों के साथ वाहनों की आवाजाही को अनुमति दे दी गई है. औद्योगिक क्षेत्रों में  सीमित मानव बल के साथ काम  करने की अनुमति दी गयी है. औद्योगिक गतिविधियों में दवाओं, फार्मास्युटिकल्स, मेडिकल डिवाइस बनाने वाली इकाइयों के संचालन की छूट रहेगी।

शहरी क्षेत्रों में मॉल, बाजारों और व्यावसायिक परिसरों में गैर जरूरी सामानों की दुकानों को अनुमति नहीं दी गई है। हालांकि एकल दुकानों, पड़ोस (कॉलोनी) की दुकानों और आवासीय परिसरों में स्थित दुकानों को आवश्यक और गैर आवश्यक के अंतर के बिना खोलने की अनुमति दे दी गई है। रेड जोन में सिर्फ आवश्यक वस्तुओं के मामले में ई-कॉमर्स गतिविधियों को अनुमति दे दी गई है। 

निजी कार्यालय आवश्यकता के आधार पर 33 प्रतिशत क्षमता के साथ परिचालन कर सकेंगे और बाकी घर से काम कर सकते हैं। रेड जोन में पड़ने वाले  ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा कार्यों, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और ईंट-भट्टों सहित सभी औद्योगिक और निर्माण गतिविधियों की अनुमति दी गई है. इसके अलावे  सार्वजनिक उपयोगिताओं जैसे, बिजली, पानी, स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन, दूरसंचार और इंटरनेट खुले रहेंगे तथा कूरियर और डाक सेवाओं को परिचालन  की अनुमति दी जाएगी।

ऑरेंज ज़ोन में, रेड ज़ोन में स्‍वीकृत की गई गतिविधियों के अलावा, टैक्सी और कैब एग्रीगेटर्स को केवल 1 ड्राइवर और 2 यात्रियों के साथ अनुमति दी जाएगी। एक जिले से दूसरे जिले में आने वाले लोगों और वाहनों को केवल स्‍वीकृत गतिविधियों के लिए अनुमति दी जाएगी। फोर व्हीलर वाहनों में ड्राइवर के अलावा अधिकतम दो यात्री होंगे, इसके अलावा दोपहिया वाहनों पर दूसरी सवारी की अनुमति होगी।

ग्रीन ज़ोन में, उन गतिविधियों के अलावा जिनको समूचे देश में जोन की परवाह किए बगैर प्रतिबंधित किया गया है, को छोड़कर अन्‍य सभी गतिविधियों की अनुमति दी गई है, ग्रीन जोन वाले जिलों में बसों का परिचालन 50% तक बैठने की क्षमता के साथ किया जा सकता है और बस डिपो 50% मानव बल के साथ बसों का परिचालन कर सकते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

एनडीए के साथ जाना नीतीश का सकारात्मक फैसला : श्वेता सिंह (एंकर, आजतक )

Shweta during coverage बिहार की वर्तमान राजनिति पर नयी नज़र के साथ जानी-मानी आजतक पत्रकार बिहारी श्वेता सिंह से   खास बातचीत  पटना : बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने के बाद गुरुवार को सुबह दोबारा एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कर लिया. इस बीच राजधानी पटना में राजनैतिक चर्चाओं का बाजार उफान पर रहा. गुरुवार को अहले सुबह से ही तमाम मीडियाकर्मी राजभवन के बाहर शपथ ग्रहण को कवरेज करने के लिए मौजूद थे. इस इवेंट को कवरेज करने के लिए आजतक टीवी की जानी-मानी पत्रकार श्वेता सिंह भी विशेष रूप से पटना पहुंची थीं. श्वेता स्वयं एक  बिहारी हैं और बिहार के वैशाली जिले के महुआ से आतीं हैं. श्वेता लोगों से इस राजनैतिक घमासा न पर जमकर सवाल पूछतीं नज़र आईं. इस दौरान नयी नज़र के ब्लॉगर कुमार विवेक ने बिहार के बदलते घटनाक्रम पर श्वेता सिंह से बातचीत की, इसके मुख्य अंश हम आपसे साझा कर रहे है. ___ सवाल : श्वेता, देश की जानी-मानी पत्रकार होने के नाते बिहार के इस वर्त्तमान राजनैतिक घटनाक्रम को किस रूप में देखती हैं? जवाब : देखिये, एक पत्रका...

हमसे कुछ नहीं होगा हम गुलाम पत्रकार हैं

अभिषेक पोद्दार हमेशा की तरह कल रात अपने अखबार के कार्यालय से काम निपटाकर अपने घर गया, जहां हम सभी रूममेट बैठकर रोज की तरह किसी मुद्दे पर बहस कर रहे थे, अचानक मैंने अपने एक साथी से पूछा यार फ्रीलांस रिपोर्टर को हिंदी में क्‍या कहेंगे उसने कहां स्‍वतंत्र पत्रकार, तभी तपाक से मेरे मुंह से निकल गया तो हम गुलाम पत्रकार हैं. उसने भी भरे मन से हामी भर दी. फिर क्‍या था हमसब इसी मुद्दे पर चर्चा करने लगे. दो दिनों पहले बोलहल्‍ला पर पत्रकारिता के बारे में मैंने जो भडास निकाली थी उसका कारण समझ में आने लगा. आज हकीकत तो यह है कि हम जिस मीडिया घराने से जुड जाते हैं उसके लिए एक गुलाम की भांति काम करने लगते हैं, हम अपनी सोच, अपने विचार और अपनी जिम्‍मेवारियों को उस मीडिया घराने के पास गिरवी रख देते हैं और सामने वाला व्‍यक्ति हमें रोबोट की तरह इस्‍तेमाल करने लगता है, हम उसकी धुन पर कठपुतलियों की तरह नाचना शुरू कर देते हैं. किसी को जलकर मरते देखकर हमारा दिल नहीं पसीजता, किसी की समस्‍याओं में हमें अपनी टॉप स्‍टोरी व ब्रे‍किंग न्‍यूज नजर आती है, सच कहें तो शायद हमारी संवेदना ही मर चुकी हैं. शायद आज पूरी की...

शादी के लिए किया गया 209 पुरुषों को अगवा

शायद यह सुनकर आपको यकीन न हो लेकिन यह सच है। ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले साल जबर्दस्ती विवाह कराने के लिए 209 पुरुषों को अगवा किया गया। इनम 3 पुरुष ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 50 साल से अधिक थी जबकि 2 की उम्र दस साल से भी कम थी। नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी 'भारत में अपराध 2007' रिपोर्ट के अनुसार, मजे की बात है कि बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जहां महिलाओं की तुलना में पुरुषों की अधिक किडनैपिंग होती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में 1268 पुरुषों की किडनैपिंग की गई थी जबकि महिलाओं की संख्या इस आंकड़े से 6 कम थी। अपहरण के 27, 561 मामलों में से 12, 856 मामले विवाह से संबंधित थे। महिलाओं की किडनैपिंग के पीछे सबसे बड़ा कारण विवाह है। महिलाओं के कुल 20,690 मामलों में से 12,655 किडनैपिंग शादी के लिए हुई थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि किडनैप की गईं लड़कियों अधिकाधिक की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। साभार नवभारत टाइम्‍स