संजय पाण्डेय झारखंड राज्य के साहेबगंज जिले में लाखों सालों से धरती की परती में छिपे जुरासिक काल के जीवाष्मों का खजाना तेजी से न’ट हो रहा है ऌसके लिए बेहताषा हो रहे खनन को जिम्मेवार बताया जा रहा है राज्य की राजधानी रांची से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजमहल पहाड़ी क्षेत्र जीवाष्म संबंधी अध्ययन के लिए हमेषा से भूगर्भ विज्ञानियों व जीवाष्म वैज्ञानिकों को आकर्षित करता रहा है पूर्वी भारत के इस हिस्से में कोयले के बेहिसाब भंडार होने की वजह से हमेषा यहां माइनिंग का काम भी बहुत अधिक होता है रांची विष्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर विजय सिंह के मुताबिक राजमहाल क्षेत्र में पौधों के जीवाष्म दुर्लभ है लाखों साल पहले हुए ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान वनस्पति और जीव-जंतु फॉसिल मे तब्दील होते चले गये ऌस क्षेत्र से डायनासॉर के पैरों से मिलते जुलते निषान भी मिले हैं प्रो विजय के अनुसार ये फॉसिल खनन और सड़क बनाने की वजह से न’ट हो रहे हैं उनकी हिफाजत के लिए कोई तरीका ईजाद किया जाना चाहिए यहां पाये जाने वाले फॉसिल मुख्य रूप से ग्लॉसोपिट्स, गोंग्मोपेटि्स, बटेबर्रारिया और नेएगराथियोपसिस जैसे ...
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