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Showing posts from June, 2017

आपके हिल स्टेशन दार्जीलिंग में क्या हो रहा है?

दार्जीलिंग : दार्जीलिंग की ठंडी हवाओं में फिलहाल काफी गर्मी है। यह हर दिन बढ़ती जा रही है। अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) की अनिश्चितकालीन बंदी का आज सातवां दिन है। जीजेएम प्रमुख बिमल गुरुंग अपने आंदोलन को एक अलग लेवल पर ले जाना चाहते है। बंगाल की मुख्यमंत्री से उनकी जुबानी जंग जारी है। वे किसी भी सूरत में cm से बात के मूड में नहीं दिख रहे हैं। गुरुंग ने अपने समर्थकों से रविवार को कर्फ्यू तोड़ कर आज़ाद चौक पर एकजुट होने को कहा है। इससे पहले शनिवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में तीन जीजेएम कार्यकर्ता मारे गए हैं। दर्जनों गंभीर रूप से घायल हैं। हालांकि ममता सरकार इसका खंडन कर रही है। एक वरीय पुलिस अधिकारी भी घायल है, जिनकी हालत नाज़ुक है। क्षेत्र में सेना तैनात की जा चुकी है। देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी हालात पर नज़र बनाये हुए हैं। दार्जीलिंग में ये तनाव सरकार के उस फैसले के बाद शुरू हुए हैं जिसमे क्षेत्र के स्कूलों में बंगाली भाषा को अनिवार्य घोषित कर दिया गया है।

गरीबों की सरकार फिर भी बिहार के गरीब इतने बेहाल क्यों ?

कुमार विवेक   बिहार की राजधानी पटना से महज १०० किमी की दुरी पर अवस्थित मुजफ्फरपुर का जिला अस्पताल डॉक्टरों की भीषण कमी से जूझ रहा है.  १६० बेड के इस अस्पताल में रोज़ाना ५०० से ६०० नए मरीज़ आते हैं, अस्पताल के एक अधिकारी के अनुसार यहाँ ४८ फुल टाइम डॉक्टर ५२ नर्सों की सेवा उपलब्ध होनी चाहिए, जबकि उनकी जगह पर अस्पताल में उपलब्ध हैं केवल १२ फुल टाइम डॉक्टर्स, २४ पार्ट टाइम डॉक्टर्स, २८ नर्स. ICU में जहाँ हर वक़्त ४ डॉक्टर होने चाहिए वह केवल एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है. नवजात बच्चों के वार्ड में भी चार डॉक्टरों की जरूरत है, वहां भी एक ही डॉक्टर से काम चलाया जा रहा है.  डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ यह अनुपलब्धता के कारन यह अस्पताल जिले की स्वस्थ अवस्यक्ताओं को पूरा करने में असमर्थ है.

धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग की 19 ट्रेनें होंगी रद्द, सात के मार्ग बदल जायेंगे

रांची से हावड़ा, भागलपुर, दरभंगा जाने वाले यात्रियों को खासी दिक्कतों का करना पड़ेगा सामना।  नई दिल्‍ली। झारखंड के झरिया कोलफील्‍ड में सालों से लगी आग की वजह से  रेलवे बोर्ड ने एक बड़ा फैसला किया है। यात्रियों की सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए  बोर्ड ने पूर्व मध्य रेल  (ईसीआर) के तहत आने वाले धनबाद डिवीजन में 41 किलोमीटर लंबे धनबाद-चंद्रपुर सेक्‍शन पर यात्री और माल दोनों तरह के  रेलगाडि़यों के परिचालन को बंद करने का फैसला किया है। यह परिचालन 15 जून से बंद कर दिया जाएगा। डायरेक्‍टर जनरल ऑफ माइंस सेफ्टी की ताजा सिफारिशों के बाद बोर्ड ने सुरक्षा के मद्देनजर यह कदम उठाया है। रेलवे के के अनुसार  डायरेक्‍टर जनरल ने सात कोलफील्‍ड्स बुसेरया, सेंड्रा बंसजोर, कटरास चौटीदिह, एकेएमएमसी, न्‍यू आकाशकिनारे, साउथ गोविंदपुर और तेतूरा का निरिक्षण किया था। उनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कोलफील्‍ड का 14 किलोमीटर का एरिया सुरक्षित नहीं है। वर्तमान में धनबाद-चंद्रपुर सेक्‍शन पर रोजाना 20 जोड़ी मेल और एक्‍सप्रेस ट्रेन तथा 6 जोड़ी अन्‍य यात्री ट्रेन का संचालन होता है, ...

इतिहास से सबक लेने की जरूरत

Courtesy : Om Prakash Ashk ji ke facebook wall Se   कभी इंदिरा गांधी ने खुद को मोस्ट पावरफुल होने का दंभ पाल रखा था। देश को अपने डंडे से हांकने के लिए इमरजेंसी तक थोप दी थी। आरंभ में विरोधी उतने आक्रामक अंदाज में नहीं दिखे, जब तक जेपी का विरोधियों की अगुआई के लिए अकस्मात और अनपेक्षित आगमन नहीं हुआ गया। इंदिरा राज का सफाया हो गया। गुण गाते अघाते नहीं रहने वाले गायब हो गये। लगा भारत कांग्रेसमुक्त हो गया। तीन ही साल में सबकुछ पलट गया। इंदिरा ने जोरदार वापसी कर ली। इतिहास भवष्य की योजनाओं के सफल होने के कई सबक गर्भ में छिपाये रहता है। इतिहास की जिसने भी अनदेखी की और आत्ममुग्धता में मशगूल रहा, उसे इतिहास सबक सिखाता है। आज लगता है कि मोदी जी का कोई विकल्प नहीं। इंदिरा के वक्त भी तो लोग ऐसा ही सोचते थे। जैसे पानी अपना रास्ता खुद बना लेता है, विकल्प भी काल और परिस्थिति के अनुरूप स्वत: उभर आता है।