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इतिहास से सबक लेने की जरूरत

Courtesy : Om Prakash Ashk ji ke facebook wall Se  

कभी इंदिरा गांधी ने खुद को मोस्ट पावरफुल होने का दंभ पाल रखा था। देश को अपने डंडे से हांकने के लिए इमरजेंसी तक थोप दी थी। आरंभ में विरोधी उतने आक्रामक अंदाज में नहीं दिखे, जब तक जेपी का विरोधियों की अगुआई के लिए अकस्मात और अनपेक्षित आगमन नहीं हुआगया। इंदिरा राज का सफाया हो गया। गुण गाते अघाते नहीं रहने वाले गायब हो गये। लगा भारत कांग्रेसमुक्त हो गया।
तीन ही साल में सबकुछ पलट गया। इंदिरा ने जोरदार वापसी कर ली। इतिहास भवष्य की योजनाओं के सफल होने के कई सबक गर्भ में छिपाये रहता है। इतिहास की जिसने भी अनदेखी की और आत्ममुग्धता में मशगूल रहा, उसे इतिहास सबक सिखाता है।
आज लगता है कि मोदी जी का कोई विकल्प नहीं। इंदिरा के वक्त भी तो लोग ऐसा ही सोचते थे। जैसे पानी अपना रास्ता खुद बना लेता है, विकल्प भी काल और परिस्थिति के अनुरूप स्वत: उभर आता है।

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