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Showing posts from 2018

पॉलिटिकल फंडिंग : बीजेपी और कांग्रेस की कथनी और करनी में क्या अंतर है? समझ लीजिये

कुमार विवेक विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा निर्वाचन आयोग को दी गई जानकारी के आधार पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (लोकतांत्रिक सुधार समिति) ने बीते दिनों एक रिपोर्ट जारी की है, इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015-16 और 2016 -17 के बीच देश की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की आमदनी में 81.18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई वहीँ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की बीजेपी और कांग्रेस हमाम में दोनों नंगे हैं. चित्र साभार : TOI आमदनी में इस दौरान 14 प्रतिशत की गिरावट आयी है. इस रिपोर्ट को गहराई से अध्ययन करने से यह भी पता चलता है कि बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों ही पार्टियां पारदर्शिता बरतना तो दूर  अपनी आय के श्रोतों को  छुपाने के लिए कानून का सहारा लेती हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार भाजपा की आय पहले के 570 करोड़ 86 लाख रुपये से बढ़कर 1034 करोड़ 27 लाख रुपये हो गई, वहीं कांग्रेस की आमदनी 261 करोड़ 56 लाख रुपये से घटकर 225 करोड़ 36 लाख रुपये रह गयी. दोनों ही पार्टियां इस आमदनी को दान या चंदे से आया बताती है. एक और गंभीर बात है वो ये कि दोनों ही पार्टियां समय से अपने आयकर रिटर्न दाखिल नहीं...

How to improve your Tempo of Speech

भारत में किसान आंदोलन : किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए इन चार मानकों पर काम करने की ज़रुरत ; UPDATED

कुमार विवेक भारत  में  बीते ४१ दिनों से जारी किसान आंदोलन के बीच  सरकार और किसानों के बीच आठ दौर की बातचीत हो चुकी है। पर अबतक कोई ठोस नतीजा  नतीजा नहीं निकल पाया। जहाँ किसान  किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं वही सरकार भी क़ानून वापस लेने की दिशा में टस से मस नहीं हो रही है.  रहे और MSP को कानूनी रूप देने के मुद्दे पर भी सहमति नहीं बनी। सरकार से बैठक के बाद किसानो का कहना है की  कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं। वहीँ  कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ताली तो दोनों हाथ से बजती है। अब सरकार और किसानों के बीच अगली बातचीत 8 जनवरी को होगी। इस आंदोलन का मुकाम चाहे जो भी हो. आइये समझते हैं की भारत में किसानो की मूल समस्या क्या है और इसके निपटारे के लिए क्या कदम उठाये  जा सकते हैं. क्या जिन कानूनों को लेने की मांग किसान सरकार से कर रहे हैं इन कानूनों से वाकई में उनका भला होने वाला है या नहीं.  बात तीन साल पहले की   बीते 11-12 मार्च 2018 को हमने - आपने टीवी पर किसान आंदोलन की जो तसवीरें देखीं वो शहरों की आबा...

Eight things great teachers do differently

Eight things great teachers do differently Here’s what makes a great teacher. Shutterstock Samantha Twiselton , Sheffield Hallam University Teaching is one of the most important professions in society and touches every aspect, of every community in the world in some way. I was recently lucky enough to attend the Varkey Foundation’s Global Education and Teaching Forum in Dubai, which culminated in the announcement of the US$1m Global Teacher Prize , which was won by Andria Zafirakou , who teaches art and textiles in north London. The ten shortlisted teachers from across the globe were announced in a video from Bill Gates and they are all outstanding individuals making a significant difference to the lives of their students and their communities – some of which are in very challenging contexts. To witness teaching excellence celebrated on such a global platform was really encouraging, inspiring and humbling. But it also got me thi...

नीतीश जी की शराबबंदी ने बिहार को कितना बदल दिया? VIDEO

क्रिस्टोफर वायली ने खोल दी फेसबुक की पोल

कुमार विवेक आखों पर कला चशमा, गुलाबी बाल, कानो में रिंग, सूट टाइ पहने तस्वीर में दिखने वाला शख्स है क्रिश्टोफर वाईली। यही वो व्यक्ति है  जिसने व्हिस्लब्लोवर बनकर कैंब्रिज अनालिटिका नाम के कंपनी द्वारा फेसबुक डेटा चोरी करने का भंडाफोड़ किया। बकौल वाईली, उन्होंने कैंब्रिज अनालिटिका में काम करते हुए कुछ असहज गड़बड़िया देखी और साल २०१४ में उन्होंने कंपनी छोड़ दी. वाईली की ही  मदद से गार्डियन समूह की पत्रकार कैरोल कार्डवेल्डर ने दुनिया के सामने यह भंडाफोड़ किया कि कैसे कैम्ब्रिज अनलिटिका ने 5 करोड़ फेसबुक यूजर के डेटा को चोरी किया और इसका इस्तेमाल कर लोगो के राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक प्रोफाइल तैयार किये. आगे चल कर इसका इस्तेमाल वोटरों को लुभाने के लिए किया गया. कैरोल करड़वाल्डेर कार्डवेल्डर वाईली को आकड़ों के विज्ञान में तेज़ दिमाग का आदमी बताती हैं. इस भंडाफोड़ के बाद हालाँकि फेसबुक अपने ऊपर लगे आरोपों से इंकार करते हुए कह रही है कि  उसे नहीं पता था कि उसकी साइट से लिए गए डाटा का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि इस सवाल का जवाब तो फेसबुक को देना ही होगा कि आखिर...

क्यों मोदी के पीएम रहते भी सोशल मीडिया पर फ़िसड्डी साबित हो रही सरकार?

मोदी के मंत्रालय डिजिटल मोर्चे पर कर रहे हैं निराश  प्रधानमंत्री का डिजिटल इंडिया का सपना अधर में  जब मई २०१४ में नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने तो मीडिया ने उन्हें सोशल मीडिया प्राइम मिनिस्टर के नाम से नवाजा. तकनीक के प्रति उनके रुझान की तुलना अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति  बराक ओबामा तक से की गयी. इतना ही नहीं, साल २०१६ में टाइम मैगज़ीन ने उन्हें दुनिया के ३० सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया. तकरीबन ४ करोड़  फेसबुक फॉलोवर्स  के साथ नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे अधिक फॉलो किये जाने वाले विश्व नेताओं में एक हैं. अपने मुखिया के सोशल मीडिया और ऑनलाइन माध्यमों में इस दिलचस्पी और सक्रियता की वजह से लोगो को उम्मीद थी कि  भारत सरकार के अन्य विभाग भी ऑनलाइन प्लेटफार्म पर अधिकाधिक सक्रिय होंगे. डिजिटल इंडिया को लेकर हो रहे प्रयास नाकाफी  पर सच्चाई में हुआ बिलकुल उसके उलट. पीयू रिसर्च सेंटर के अनुसार, ८७ प्रतिशत अमेरिकी व्यस्क इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि भारत के मामले में यह आकड़ा केवल २७ फीसदी का हैं. भारत में दस में से...