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शाहरूख ने छोडा आईपीएल का साथ

नयी नजर ब्‍यूरो आज एक नाटकीय घटनाक्रम में सौरव गांगुली और शाहरूख खान के बीच लेन-देन व खिलाडियों के चयन को लेकर विवाद के कारण बालीवुड किंग शाहरूख खान ने आईपीएल से अपना हाथ पीछे खिंच लिया है. देर रात उन्‍होंने एक संवाददाता सम्‍मेलन आयोजित कर यह जानकारी दी. उन्‍होंने कहा कि क्रिकेट में संभावनाओं का देखते हुए उन्‍होंने आईपीएल की कोलकाता क्रिकेट टीम को खरीदा था पर बीसीसीआई और आईपीएल के प्रायजकों ने उन्‍हें शुरू से धोखे में रखा. सबसे पहले तो उन्‍हें नियमों की सही-सही जानकारी नहीं दी गई, उनसे बोली की रकम भी ले ली गई और टीम संबंधी अधिकार के नाम पर उन्‍हें कुछ नहीं मिला यहां तक कि कप्‍तान चयन मामले में भी मेरी नहीं सुनी गई थी. मैं चाहता था कि मेरी टीम का कप्‍तान कोई बूढा खिला‍डी न होकर कोई युवा खिलाडी हो, पर मेरी बात को तर्जी न देकर दादा को कप्‍तान बना दिया गया और दादा हमेशा की तरह अपनी मनमानी दिखाने से नहीं चूंके यहां तक कि उन्‍होंने मिस्‍बाह को लेने नहीं दिया व शोएब अख्‍तर को भी अंतिम एकादश में नहीं रखने की बात कह रहे हैं. इसलिए मैंने आईपीएल छोडने का निर्णय ले लिया. शाहरूख की इस सनसनीखेज घोष...

गूगल की मजेदार कहानी

गूगल सर्च इंजन को अंग्रेज़ी में लिखा जाता है google लेकिन असल में यह googol की ग़लत स्पैलिंग है. गूगल एक बहुत बड़ी संख्या है जिसमें 1 के आगे 100 शून्य लगते हैं. सन 1920 में अमरीका के एक गणितज्ञ ऐडवर्ड कैसनर, इस संख्या के लिए नाम तलाश कर रहे थे और जब उनके नौ वर्षीय भांजे मिल्टन ने गूगल नाम सुझाया तो उन्होंने उसे दर्ज करा लिया. कैसनर ने एक अन्य गणितज्ञ के साथ मिलकर एक किताब लिखी 'मैथमैटिक्स ऐंड द इमैजिनेशन' जिसमें पहली बार इस शब्द का ज़िक्र हुआ. लेकिन सर्च इंजन का नाम गूगल कैसे पडा इसकी अलग कहानी है. जनवरी 1996 में अमरीका के स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में लैरी पेज ने एक शोध शुरू किया. कुछ समय बाद सर्गी ब्रिन भी उनके साथ हो लिए. लैरी की परिकल्पना यह थी कि अगर एक ऐसा सर्च इंजन बनाया जाए जो विभिन्न वैबसाइटों के आपसी संबंध का विश्लेषण कर सके तो बेहतर परिणाम मिल सकेंगे. उन्होंने पहले इसका नाम रखा था बैकरब. लेकिन क्योंकि लैरी की गणित में बहुत रुचि थी इसलिए उन्होंने इस सर्च इंजन का नाम गूगल रख दिया. साभार- बीबीसी हिन्‍दी

तो ये है YAHOO ! का पूरा नाम

याहू डॉटकॉम की स्थापना अमरीका के स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहे दो छात्रों, डेविड फ़िलो और जैरी यांग ने 1994 में की थी. यह वेबसाइट जैरी ऐन्ड डेविड्स गाइड टू द वर्ल्ड-वाइड-वैब के नाम से शुरु हुई थी लेकिन फिर उसे एक नया नाम मिला, यट अनदर हाइरार्किकल ऑफ़िशियस ओरैकिल. जिसका संक्षिप्त रूप बनता है याहू. जैरी और डेविड ने इसकी शुरुआत इंटरनेट पर अपनी व्यक्तिगत रुचियों के लिंकों की एक गाइड के रूप में की थी लेकिन फिर वह बढ़ती चली गई. फिर उन्होंने उसे श्रेणीबद्ध करना शुरु किया. जब वह भी बहुत लम्बी हो गई तो उसकी उप-श्रेणियां बनाईं. कुछ ही समय में उनके विश्वविद्यालय के बाहर भी लोग इस वेबसाइट का प्रयोग करने लगे. अप्रैल 1995 में सैकोया कैपिटल कम्पनी की माली मदद से याहू को एक कम्पनी के रूप में शुरू किया गया. इसका मुख्यालय कैलिफ़ोर्निया में है और यूरोप, एशिया, लातीनी अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमरीका में इसके कार्यालय हैं.

जानते हो डिटेक्टिव है आपकी नाक

एक ताज़ा शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि अगर आस-पास किसी भी तरह का ख़तरा मंडरा रहा हो तो मनुष्य गंध के ज़रिए उसे भांपने की क्षमता रखता है. अपने प्रयोग में वैज्ञानिकों ने लोगों को एक ही तरह की दो सुगंधों के बीच अंतर करने को कहा. पहले तो वो इसमें नाकाम रहे लेकिन जब उन्हें हल्का सा इलेक्ट्रिक शॉक दिया गया तो वे आसानी से गंध को पहचान गए. बाद में दिमाग के स्कैन से मस्तिष्क के टसूंघने वालेट हिस्से में परिवर्तन की पुष्टि भी हो गई. अमरीकी शोध ‘साइंस’ जरनल में प्रकाशित हुआ है जिसमें सुझाया गया है कि मनुष्य के पूर्वजों ने ये काबिलियत विकसित की थी ताकि ख़तरों से दूर रह सकें. शोध के दौरान 12 लोगों को दो घास जैसी दुर्गंधों को सूंधने को कहा गया. उनमें से कोई भी उसे ठीक से नहीं पहचान सका. फिर सूंघने के दौरान जब उन्हें बिजली का हल्का सा झटका दिया गया तब वो सुगंधों के बीच अंतर करने में कामयाब रहे. शिकागो के नार्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के फ़िनबर्ग स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के शोधकर्ता डॉक्टर वेन ली ने कहा, " ये काबिलियित धीर-धीरे विकसित हुई है. हमारे आस-पास जो सूचनाओं का अंबार है, उसमें से कौन सी जानकारि...

कुछ पुरानी यादें जो बयां कर रही है हकीकत

भारत व ऑस्‍ट्रेलिया के बीच सिडनी में हुए टेस्‍ट मैच के दौरान जो हुआ. यह तस्‍वीर शायद यही बायां कर रही है. बकनर चचा आपसे ऐसी उम्‍मीद न थी.

HOW TO HANDLE DIFFICULT PEOPLE

They are out there. They may either be your boss, college professor, business partner, landlord, or even your own spouse, children, siblings or parents. Anyone can be a difficult person to someone else. You may not admit it, but at one time or another all of us have been difficult people to other people. It is vital to see if you are in a situation with a difficult person or if you yourself are beginning to be one. The first solution to any problem is recognising the problem. Most times, difficult people do not realise they are difficult. They do not see that they are demanding too much from other people. They think their attitude is just normal. Likewise, some of their victims may not see that they are dealing with difficult people. It is vital that at this early point, we grasp the fact that avoiding difficult people does not solve the problem in question. As earlier mentioned, these people are everywhere. There is no privacy they cannot invade. Ironically, the more successful you ge...

जारी है टाटा का विजय रथ

सरोज तिवारी टाटा यूरोप, टाटा अफ्रीका, टाटा ऑस्‍ट्रेलिया इंटरनेशनल कंपनी, टाटा समूह का नया साम्राज्‍य है, जो पूरे विश्‍व पर अपनी विजय पताका-लहराने की दिशा में अग्रसर है. वर्ष 200 ेस शुरू अंतराराष्‍ट्रीय कंपनियों की खरीददारी की संख्‍या अब 38 हो गयी है. इसके नये संस्‍करण में जगुआर और लैंड रोवर का नाम भी आ गया है. अगर देश के मल्‍टीनेशनल कंपनियों की बात करें तो बिड़ला, महिन्‍द्रा, रैनबैक्‍सी फार्मा, भारत फोर्ज, सुजलॉन, और आईसीआईसीआई जैसी कई बड़ी कंपनियां हैं, जिनका ऑपरेशन विश्‍व के कई देशों में चल रहा हैञ लेकिन टाटा ग्रुप की बात अलग है, आज छह महादेशों के 85 देशों में टाटा की सैकड़ों कंपनियां कार्यरत हैं. आज इस ग्रुप के टोटल रेवेन्‍यु का 40 प्रतिशत जो‍ कि लगभग 11 बिलियन डॉलर है, केवल विदेशों से आता है, जो इस साल 60 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा. टाटा कंसलटेंसी सर्विस, टाटा टी, टाटा स्‍टील, टाटा केमिकल्‍स, टाटा मोटर्स और इंडियन होटल्‍स जैसी टाटा की फ्लैगशिप कंपनियां विदेशों में पूरी तरह स्‍थापित हो चुकी है. अगर टीसीएस की बात करें, तो 1968 में अमेरिका के शुरू होने वाली इस कंपनी का कार्यक्षेत्र आज 4...