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सृजन घोटाला : 11 सवाल जो नीतीश कुमार से लालू ने पूछे थे, जनता को भी जवाब मिल जाता इन सवालों का तो कितना अच्छा होता !

1- 25 जुलाई, 2013 को संजीत कुमार नाम के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री बिहार को सृजन महिला बैंक चलाने और करोड़ों के गबन संबंधित जानकारी देते हुए एक विस्तृत पत्र लिखा था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश ने उसपर कोई कार्यवाही नहीं करके घोटाला करने वालों को बचाया ही नहीं, अपितु उन्हें सरकारी खजाना लूटने के लिए प्रोत्साहित किया.

2- 9 सितंबर, 2013 को रिजर्व बैंक ने, बिहार सरकार को पत्र लिखकर सृजन समिति में हो रहे घोटाले और वित्तीय अनियमितता की जांच करने को कहा था. रिजर्व बैंक ने को-अॉपरेटिव रजिस्ट्रार को भी कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उसपर भी कोई कार्रवाई नहीं की. मुख्यमंत्री ने रिजर्व बैंक के संदेह को भी दरकिनार करते हुए लगातार घोटालेबाजों का सहयोग किया.

3- 2013 में तत्कालीन डीएम ने सृजन मामले में शिकायत मिलने पर जांच का आदेश दिया था, लेकिन जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आई. नीतीश बताएं उस जांच रिपोर्ट को क्यों दबाया गया? उस जांच रिपोर्ट को दबाकर किसे फायदा पहुंचाया गया?

4- 2013 में सृजन घोटाले में जांच का अादेश देने वाले जिलाधिकारी का मुख्यमंत्री ने तबादला क्यों किया?

5- 2006 से चल रहे इस घोटाले में मुख्यमंत्री ने दस साल तक कार्रवाई क्यों नहीं की? मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री सुशील मोदी इस मामले के सीधे दोषी हैं.

6- आर्थिक अपराध शाखा ने सृजन घोटाले में लिप्त बिहार सरकार की पदाधिकारी जयश्री ठाकुर के करोड़ों रुपये जब्त किए गए. उसके बावजूद भी आर्थिक अपराध शाखा ने पूरे घोटाले का अनुसंधान किसके इशारे पर नहीं किया? 2005 से गृह विभाग नीतीश कुमार के पास है. नीतीश ने आर्थिक अपराध की शाखा की जांच को क्यों छुपाया? उसपर कार्रवाई क्यों नहीं की?

7- बिहार सरकार की पदाधिकारी जयश्री ठाकुर के सृजन खाते से सात करोड़ 32 लाख रुपये जब्त कर लिए. 14 जुलाई, 2013 के एक अखबार की खबर के अनुसार तत्कालीन प्रधान सचिव ने कहा था कि जयश्री एडीएम स्तर की अधिकारी हैं इसलिए उसे सेवा से बर्खास्त करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है लेकिन मुख्यमंत्री ने उसे इतने वर्षों तक बर्खास्त क्यों नहीं किया?

8- जयश्री ठाकुर की अधिकांश पोस्टिंग भागलपुर और बांका में ही करने का मुख्यमंत्री का क्या उद्देश्य था? सनद रहे सामान्य प्रशासन और कार्मिक विभाग मुख्यमंत्री के पास रहा है और उन्हीं की इच्छा के अनुसार जयश्री ठाकुर को बांका का भू-अर्जन पदाधिकारी रहते हुए भागलपुर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया.

9- 2010 में भी हमने एसी-डीसी घोटाले को उठाया था, उसके बावजूद भी नीतीश सरकार ने एसे घोटलों को जारी रखा.

10- 2010-11 में सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 11000-12000 हजार करोड़ के सरकारी खजाने की अनियमितता का जिक्र किया था. उसके बावजूद भी कोई कार्यवाई नहीं की गई?

11- सीबीआई जांच के आदेश पर मुख्यमंत्री किसे बेवकूफ बना रहे हैं? क्या वह आरबीआई का सर्कुलर नहीं जानते जिसमें स्पष्ट है कि अगर तीस करोड़ से ज्यादा की कोई वित्तीय अनियमितता है तो उसकी जांच सीबीआइ करेगी? यह तो 15000 करोड़ का महाघोटाला है.

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