झारखंड में फ्लोरोसिस का प्रकोप
सबसे प्रभावित है राज्य का पलामू जिला
(संजय पांडे)
झारखण्ड में पलामू जिले के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में लोग फ्लोराइडयुक्त पानी का सेवन कर रहे हैं। जैसे-जैसे फ्लोराइड प्रभावित गांवों का सर्वेक्षण किया जा रहा है, वैसे-वैसे स्थिति काफी भयवाह नजर आ रही है। यदि स्थिति को संभाली नहीं गयी, तब यहां के ज्यादातर लोग फ्लोरोसिस बीमारी से ग्रसित हो जायेंगे।
चुकरू गांव के लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सिर्फ पाइप लाइन तो बिछा दी गयी हैं, लेकिन पानी की सप्लाई अभी तक नहीं हो सकी है। स्थिति यह है कि लोग अभी तक 15 से 16 प्रतिशत तक फ्लोराइडयुक्त पानी का ही सेवन कर रहे हैं। ग़ौरतलब है कि इस गांव में काफी अरसा पहले लगभग एक करोड़ 76 लाख 17 हजार की अनुमानित लागत वाले 'चुकरू ग्रामीण जलाशय परियोजना' का शिलान्यास किया गया था। लेकिन पाइप लाइनों को ठीक तरीके से न बिछाए जाने और सरकारी भ्रष्टाचार के चलते ग्रामीणों को पीने का साफ पानी नहीं मिल पा रहा है।
वर्तमान में जब इस गांव का दौरा करने पर पता चलता है कि चुकरू गांव में अधिसंख्य लोगों के दांत सही नहीं हैं। क़ुछ लोग असमय ही बुढ़े व कुबड़े हो चले हैं। गांव में घुसते ही लोगों को देखने से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इस गांव में फ्लोरोसिस का पता चलने के बाद भी आज तक सक्रिय रूप से सरकारी प्रयास नहीं किये जा सके हैं।
गांव के अब्दुल रसीद बताते हैं कि जलाशय योजना के अंतर्गत पाइप का लेबल सही नहीं बैठाया गया है। आनन-फानन में काम पूरा कर सरकारी धन का सीधा दुरूपयोग किया गया है। गांव के अर्जुन सिंह का कहना है कि उक्त परियोजना की यदि सीबीआई से जांच करायी जाये तो कई तरह की अनियमितताएं सामने आयेंगी। उन्होंने बताया कि नदी से हौदा में पानी जाता है, जो फिल्टर होकर पानी की टंकी में चढ़ाया जाता है, लेकिन टंकी से पाइप लाइन के सहारे पानी आज तक ग्रामीणों को नहीं मिल सका है।
विभागीय जानकारी के अनुसार पलामू के 33 गांव में फ्लोराइडयुक्त पानी है। ग़ढ़वा जिले के कई गांवों में भी इसी तरह की समस्या है। राज्य सरकार को इस दिशा में कोई ठोस पहल करनी होगी।
चुकरू गांव के लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सिर्फ पाइप लाइन तो बिछा दी गयी हैं, लेकिन पानी की सप्लाई अभी तक नहीं हो सकी है। स्थिति यह है कि लोग अभी तक 15 से 16 प्रतिशत तक फ्लोराइडयुक्त पानी का ही सेवन कर रहे हैं। ग़ौरतलब है कि इस गांव में काफी अरसा पहले लगभग एक करोड़ 76 लाख 17 हजार की अनुमानित लागत वाले 'चुकरू ग्रामीण जलाशय परियोजना' का शिलान्यास किया गया था। लेकिन पाइप लाइनों को ठीक तरीके से न बिछाए जाने और सरकारी भ्रष्टाचार के चलते ग्रामीणों को पीने का साफ पानी नहीं मिल पा रहा है।
वर्तमान में जब इस गांव का दौरा करने पर पता चलता है कि चुकरू गांव में अधिसंख्य लोगों के दांत सही नहीं हैं। क़ुछ लोग असमय ही बुढ़े व कुबड़े हो चले हैं। गांव में घुसते ही लोगों को देखने से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इस गांव में फ्लोरोसिस का पता चलने के बाद भी आज तक सक्रिय रूप से सरकारी प्रयास नहीं किये जा सके हैं।
गांव के अब्दुल रसीद बताते हैं कि जलाशय योजना के अंतर्गत पाइप का लेबल सही नहीं बैठाया गया है। आनन-फानन में काम पूरा कर सरकारी धन का सीधा दुरूपयोग किया गया है। गांव के अर्जुन सिंह का कहना है कि उक्त परियोजना की यदि सीबीआई से जांच करायी जाये तो कई तरह की अनियमितताएं सामने आयेंगी। उन्होंने बताया कि नदी से हौदा में पानी जाता है, जो फिल्टर होकर पानी की टंकी में चढ़ाया जाता है, लेकिन टंकी से पाइप लाइन के सहारे पानी आज तक ग्रामीणों को नहीं मिल सका है।
विभागीय जानकारी के अनुसार पलामू के 33 गांव में फ्लोराइडयुक्त पानी है। ग़ढ़वा जिले के कई गांवों में भी इसी तरह की समस्या है। राज्य सरकार को इस दिशा में कोई ठोस पहल करनी होगी।
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But who cares?
Govt. has no time.
This is real Bharat.