अभिषेक आदित्य
सिडनी मैदान जो पूरे विश्व में शानदार क्रिकेट और किर्तिमानो के लिए जाना जाता है, किन्तु आज भारत और आस्ट्रेलिया के बीच दुसरे टेस्ट में शर्मनाक निर्णयों के साथ खत्म हो गया। हलाकि इस मैच में सचिन ने अपने आप को नर्वस से उबारा और शतक ठोका, हरभजन पोंटिंग को ८ वी बार आउट करने में सफल हुए, कुंबले ने किसी भी देश के खिलाफ १०० विकेट लेने वाले इंडियन क्रिकेटर बने बावजूद इसके कुछ और रेकॉर्ड अम्पाएरों ने बनाए जो क्रिकेट की हार और बेईमानी की शर्मनाक इबारत लिख गए। दुसरे टेस्ट में भारत का मुकाबला किसी टीम से नही, बल्कि अम्पाएर स्टीव बकनर और मार्क बेन्शन से था, जो मेजबान टीम को हर कीमत पर जिताने पर उतारू थे। अब तक हमने क्रिकेटर सटेबाजो से मिलकर मैच फिक्स करते थे, लेकिन आईसीसी के काबिल कहे जाने वाले अम्पाएरों ने इस मैच को लगभग फिक्स सा कर दिया है। अम्पाएरों की बेईमानी की बानगी तब दिखी जब पहली पारी के शतक वीर साइमंड्स को शर्तिया आउट होने के बाद भी विकेट पर टिकने दिया। बकनर ने पहली पारी में ४ गलत फैसले भारत के खिलाफ दिए। ५वे दिन जब भारत बल्लेबाजी कर रहा था, तब दोनो अम्पाएरों अपने अपने पक्षपाती फैसलों से आस्ट्रेलिया की मुश्किलें आसान करते नज़र आये। नज़रे जमाकर खेल रहे दादा और द्रविड़ को आउट देकर उन्होने अपने मनसूबे पूरे किये। एक को तब आउट दिया तो जब उसके बल्ले की किसी हिस्से ने गेंद को माही छुआ और दुसरे का कैच जमीन पर लगने के बाद। कड़वा करेला और उपर से नीम चढा की कहावत को चरितार्थ करते हुए अम्पाएर बेन्सन ने किसी खिलाडी को आउट देने के फैसले के लिए विपक्षी टीम के कप्तान कि राय तक ले ली। इन्ही बेन्सन ने हस्सी को ४५ के निजी स्कोर में आउट होने के बाद भी उन्हें आउट नही दिया। बाद में हसी ने १४५ रन की पारी खेली। एक गलती मैच आयोजकों उस भी कर दी जो उन्होने मैंन ऑफ़ दी मैच का पुरस्कार साइमंड्स को दे दिया। इसके असली हकदार अम्पाएर स्टीव बकनर और मार्क बेन्शन होने चाहिऐ थे। साथ ही तारीफ करनी चाहिऐ इंडियन क्रिकेटरों की जो इतने अन्याय के बाद भी मैदान में डटे रहे और खेल को खेल की तरह खेला। पोंटिंग की सेना ने भी बेइमानी की तमाम सीमाये लांघी और इस सभ्य्य कहे जानेवाले खेल की सीने पर खंजर भोंका। क्रिकेट के तमाम रोमांच को खत्म करने में एक टीम के कुल १३ खिलाडियो जिनमे २ अम्पाएर भी शामिल थे ने वह काम किया जो कभी सोचा भी नही जा सकता है। इस मैच को कन्गारुओ ने धोखाधडी से जीता, उससे उसकी नम्बर वन की साख को बट्टा जरूर लगेगा, इसमे कोई दो मत नही कि सिडनी टेस्ट के पन्ने जब भी पलटे जायेगे बेईमान निर्णयों को पहले याद किया जाएगा न की मैच को। बस इतना से ही उन्हें संतोष नही हुआ तो उन्होने मैदान के बाहर भी कोई कसर नही छोडी और बिना किसी सबूत के हरभजन को ३ टेस्ट मैच के लिए बाहर कर दिया वह भी उस जुर्म में जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती कि मैदान में शांत दिखने वाले खिलाडी ऐसा कर भी सकते है। बहरहाल आगे जो भी हो लेकिन इस प्रतिष्ठित मैदान में क्रिकेट की शर्मनाक हार जरूर हुई है।
सिडनी मैदान जो पूरे विश्व में शानदार क्रिकेट और किर्तिमानो के लिए जाना जाता है, किन्तु आज भारत और आस्ट्रेलिया के बीच दुसरे टेस्ट में शर्मनाक निर्णयों के साथ खत्म हो गया। हलाकि इस मैच में सचिन ने अपने आप को नर्वस से उबारा और शतक ठोका, हरभजन पोंटिंग को ८ वी बार आउट करने में सफल हुए, कुंबले ने किसी भी देश के खिलाफ १०० विकेट लेने वाले इंडियन क्रिकेटर बने बावजूद इसके कुछ और रेकॉर्ड अम्पाएरों ने बनाए जो क्रिकेट की हार और बेईमानी की शर्मनाक इबारत लिख गए। दुसरे टेस्ट में भारत का मुकाबला किसी टीम से नही, बल्कि अम्पाएर स्टीव बकनर और मार्क बेन्शन से था, जो मेजबान टीम को हर कीमत पर जिताने पर उतारू थे। अब तक हमने क्रिकेटर सटेबाजो से मिलकर मैच फिक्स करते थे, लेकिन आईसीसी के काबिल कहे जाने वाले अम्पाएरों ने इस मैच को लगभग फिक्स सा कर दिया है। अम्पाएरों की बेईमानी की बानगी तब दिखी जब पहली पारी के शतक वीर साइमंड्स को शर्तिया आउट होने के बाद भी विकेट पर टिकने दिया। बकनर ने पहली पारी में ४ गलत फैसले भारत के खिलाफ दिए। ५वे दिन जब भारत बल्लेबाजी कर रहा था, तब दोनो अम्पाएरों अपने अपने पक्षपाती फैसलों से आस्ट्रेलिया की मुश्किलें आसान करते नज़र आये। नज़रे जमाकर खेल रहे दादा और द्रविड़ को आउट देकर उन्होने अपने मनसूबे पूरे किये। एक को तब आउट दिया तो जब उसके बल्ले की किसी हिस्से ने गेंद को माही छुआ और दुसरे का कैच जमीन पर लगने के बाद। कड़वा करेला और उपर से नीम चढा की कहावत को चरितार्थ करते हुए अम्पाएर बेन्सन ने किसी खिलाडी को आउट देने के फैसले के लिए विपक्षी टीम के कप्तान कि राय तक ले ली। इन्ही बेन्सन ने हस्सी को ४५ के निजी स्कोर में आउट होने के बाद भी उन्हें आउट नही दिया। बाद में हसी ने १४५ रन की पारी खेली। एक गलती मैच आयोजकों उस भी कर दी जो उन्होने मैंन ऑफ़ दी मैच का पुरस्कार साइमंड्स को दे दिया। इसके असली हकदार अम्पाएर स्टीव बकनर और मार्क बेन्शन होने चाहिऐ थे। साथ ही तारीफ करनी चाहिऐ इंडियन क्रिकेटरों की जो इतने अन्याय के बाद भी मैदान में डटे रहे और खेल को खेल की तरह खेला। पोंटिंग की सेना ने भी बेइमानी की तमाम सीमाये लांघी और इस सभ्य्य कहे जानेवाले खेल की सीने पर खंजर भोंका। क्रिकेट के तमाम रोमांच को खत्म करने में एक टीम के कुल १३ खिलाडियो जिनमे २ अम्पाएर भी शामिल थे ने वह काम किया जो कभी सोचा भी नही जा सकता है। इस मैच को कन्गारुओ ने धोखाधडी से जीता, उससे उसकी नम्बर वन की साख को बट्टा जरूर लगेगा, इसमे कोई दो मत नही कि सिडनी टेस्ट के पन्ने जब भी पलटे जायेगे बेईमान निर्णयों को पहले याद किया जाएगा न की मैच को। बस इतना से ही उन्हें संतोष नही हुआ तो उन्होने मैदान के बाहर भी कोई कसर नही छोडी और बिना किसी सबूत के हरभजन को ३ टेस्ट मैच के लिए बाहर कर दिया वह भी उस जुर्म में जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती कि मैदान में शांत दिखने वाले खिलाडी ऐसा कर भी सकते है। बहरहाल आगे जो भी हो लेकिन इस प्रतिष्ठित मैदान में क्रिकेट की शर्मनाक हार जरूर हुई है।
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