संदर्भ - आदिवासी युवती के साथ दुष्कर्म
सरोज तिवारी
नारी सर्वत्र् पूज्यते यानी नारी की सभी जगह पूजा होती है. भारत उसे देवी की संज्ञा दी गयी है. इसके बाद भी हमारे देश में, राज्य में, शहर में और गांवो में नारी शोषित व पीडित हैं. आज तो नारी सर्वत्र लूटती नजर आ रही है. ऐसी बात नहीं है कि आज के पहले नारी नहीं लूटी व शोषित हुई हो, सबसे शर्म की बात तो यह है कि हर बार नारी शोषित व सुर्खियां बनती है. इसके बाद भी हमारे समाज के लोगों की नींद नहीं खुलती है. खुलेगी भी कैसे. नारियों का शोषण भी तो हमारे समाज के लोगों में से ही किसी द्वारा होता है. इसके बाद शुरू होता है नाम कमाने की वकालत, छूटभैये नेता से लेकर सामाजिक संगठनों के लोग इसके खिलाफ प्रदर्शन करते है. नेताओं द्वारा वोट लेने के लिए इस मामले को विधानसभा में भी उठाया जाता है. हर बार की तरह इस बार भी जांच और कार्रवाई का अश्वासन मिल जाता है. इसके बाद यह अध्याय समाप्त हो जाता है. इस बार भी यही हुआ. इस बार इस घटना की शिकार नाम कमाने की चाहत लेकर दिल्ली गयी और फिर दिल्ली से अपने गांव लौट रही एक युवती हुई है. उसके साथ रांची में पिठोरिया से लेकर कांके तक दुष्कर्म हुआ. उसकी इज्जत तार-तार होती रही. लेकिन उसे बचाने के लिए कोई सामने नहीं आया. इस घटना में शामिल चंद सिरफिरों ने पूरे राजधानी का नाम कलंकित किया है. वहीं दूसरे ओर सरकार अपनी गद्दी बचाने में लगी हुई है और यहां मां-बहन की इज्जत लूटी जा रही है. सरकार तो ऐसे आंख बंद की हुई है, जैसे उसे इस घटना की जानकारी ही नहीं हो. राज्य गठन के बाद लोगों ने सोचा था कि अब यहां अमन, चैन और निर्भय से लोग रहेंगे. इस घटना की जितनी भी निंदा की जाये, वह कम है, जब आसाम में आदिवासियों के साथ मारपीट की गयी थी और दुष्कर्म किया गया, तो उस समय यहां के लोगों ने इसका विरोध कियास था. अब तो अपने ही राज्य में इस तरह की घटना हो रही है, अब लोग इसका विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं. इस घटना के बाद से तो लडकियां व महिलाएं घर से बाहर निकलना छोड देंगीं. जहां तक इस घटना के विरोध की बात है, तो रांची महानगर सरना प्रार्थना सभा युवा समिति ने इस घटना की निंदा करते हुए अलबर्ट एक्का चौक पर प्रदर्शन किया. समिति के लोगों ने कहा कि यदि इस घअना पर त्वरित कार्रवाई नहीं की जाती है और संबंधित लोगों की गिरफ्तारी नहीं होती है. इस तरह की घटना में शामिल दुष्कर्मियों को सजा समाज के लोगों को ही देना चाहिए. क्योंकि जब मानवता ही मर जाये, तो सरकार से आप किस-किस को सजा दिलाने की बात करेंगे. हमारे देश में नारी की पूजा की जाती है, लेकिन कुछ दरिंदोंने इस बात को गलत साबित कर दिया है. उसे इस गंदी हरकतों के समय अपनी मां-बहने नजर नहीं आयीं, इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले दुष्कर्मियों को मौत की सजा देनी चाहिए, ताकि दुबारा इस तरह की घटनाएं न हो. इस घटना के मुख्य रूप से जिम्मेवार पुलिस-प्रशासन है. इस तरह की घटनाएं प्रतिदिन होती हैं. इसके विरुद्ध प्रतिदिन संबंधित थानों में प्राथमिकी भी दर्ज होती है. इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होती है, कार्रवाई नहीं होने के कारण हैवानों का मन बढता है कई मामलों में आरोपी अपनी लंबी पहुंच के कारण भी छूट जाते हैं.
सरोज तिवारी
नारी सर्वत्र् पूज्यते यानी नारी की सभी जगह पूजा होती है. भारत उसे देवी की संज्ञा दी गयी है. इसके बाद भी हमारे देश में, राज्य में, शहर में और गांवो में नारी शोषित व पीडित हैं. आज तो नारी सर्वत्र लूटती नजर आ रही है. ऐसी बात नहीं है कि आज के पहले नारी नहीं लूटी व शोषित हुई हो, सबसे शर्म की बात तो यह है कि हर बार नारी शोषित व सुर्खियां बनती है. इसके बाद भी हमारे समाज के लोगों की नींद नहीं खुलती है. खुलेगी भी कैसे. नारियों का शोषण भी तो हमारे समाज के लोगों में से ही किसी द्वारा होता है. इसके बाद शुरू होता है नाम कमाने की वकालत, छूटभैये नेता से लेकर सामाजिक संगठनों के लोग इसके खिलाफ प्रदर्शन करते है. नेताओं द्वारा वोट लेने के लिए इस मामले को विधानसभा में भी उठाया जाता है. हर बार की तरह इस बार भी जांच और कार्रवाई का अश्वासन मिल जाता है. इसके बाद यह अध्याय समाप्त हो जाता है. इस बार भी यही हुआ. इस बार इस घटना की शिकार नाम कमाने की चाहत लेकर दिल्ली गयी और फिर दिल्ली से अपने गांव लौट रही एक युवती हुई है. उसके साथ रांची में पिठोरिया से लेकर कांके तक दुष्कर्म हुआ. उसकी इज्जत तार-तार होती रही. लेकिन उसे बचाने के लिए कोई सामने नहीं आया. इस घटना में शामिल चंद सिरफिरों ने पूरे राजधानी का नाम कलंकित किया है. वहीं दूसरे ओर सरकार अपनी गद्दी बचाने में लगी हुई है और यहां मां-बहन की इज्जत लूटी जा रही है. सरकार तो ऐसे आंख बंद की हुई है, जैसे उसे इस घटना की जानकारी ही नहीं हो. राज्य गठन के बाद लोगों ने सोचा था कि अब यहां अमन, चैन और निर्भय से लोग रहेंगे. इस घटना की जितनी भी निंदा की जाये, वह कम है, जब आसाम में आदिवासियों के साथ मारपीट की गयी थी और दुष्कर्म किया गया, तो उस समय यहां के लोगों ने इसका विरोध कियास था. अब तो अपने ही राज्य में इस तरह की घटना हो रही है, अब लोग इसका विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं. इस घटना के बाद से तो लडकियां व महिलाएं घर से बाहर निकलना छोड देंगीं. जहां तक इस घटना के विरोध की बात है, तो रांची महानगर सरना प्रार्थना सभा युवा समिति ने इस घटना की निंदा करते हुए अलबर्ट एक्का चौक पर प्रदर्शन किया. समिति के लोगों ने कहा कि यदि इस घअना पर त्वरित कार्रवाई नहीं की जाती है और संबंधित लोगों की गिरफ्तारी नहीं होती है. इस तरह की घटना में शामिल दुष्कर्मियों को सजा समाज के लोगों को ही देना चाहिए. क्योंकि जब मानवता ही मर जाये, तो सरकार से आप किस-किस को सजा दिलाने की बात करेंगे. हमारे देश में नारी की पूजा की जाती है, लेकिन कुछ दरिंदोंने इस बात को गलत साबित कर दिया है. उसे इस गंदी हरकतों के समय अपनी मां-बहने नजर नहीं आयीं, इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले दुष्कर्मियों को मौत की सजा देनी चाहिए, ताकि दुबारा इस तरह की घटनाएं न हो. इस घटना के मुख्य रूप से जिम्मेवार पुलिस-प्रशासन है. इस तरह की घटनाएं प्रतिदिन होती हैं. इसके विरुद्ध प्रतिदिन संबंधित थानों में प्राथमिकी भी दर्ज होती है. इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होती है, कार्रवाई नहीं होने के कारण हैवानों का मन बढता है कई मामलों में आरोपी अपनी लंबी पहुंच के कारण भी छूट जाते हैं.
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घुघूती बासूती