अभिषेक पोद्दार
कल ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज मैथ्यु हैडन ने जिस तरह से भारतीय गेंदबाज हरभजन सिंह पर टिप्पणी की थी और उस पर जिस तरह से क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने त्वरित अपनी प्रतिक्रिया दी और उसपर जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था उससे सभी क्रिकेट प्रशसंकों को लगने लगा था कि शायद ऑस्ट्रेलिया में अभी भी शर्म बाकी है और वह क्रिकेट को क्रिकेट की तरह खेलना चाहती है, लेकिन क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने जो आज फैसला लिया उससे एक बार फिर साबित हो गया है वह न सिर्फ घंमडी है बल्कि विश्वासघाती व बेईमान भी है. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने हैडन को इस मामले में दोषी तो पाया लेकिन उसपर बिना कोई जुर्माना और न ही किसी मैच पर बैन लगाये उसे सिर्फ फटकार लगाकर छोड दिया. अगर हम चार दिन पहले की घटना पर अगर नजर डाले जब इंशात शर्मा ने साइमंडस पर कोई टिप्पणी नहीं की थी सिर्फ यही कहा था कि मैं जानता हूं तुम यह बोल नहीं खेल सकते इतनी सी बात पर मैच रेफरी ने उसपर मैच फीस का 15 प्रतिशत जुर्माना लगा दिया था, जबकि बाद में साइमंडस ने भी यह बात कबूली थी कि इंशात ने वैसी कोई टिप्पणी नहीं की थी. चलिए एकपल के लिए यह मान लेते हैं कि यह काम तो मैच रेफरी का था, इसमें क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया कुछ नहीं कर सकती थी. एक और मामला हमारे सामने है जिसे शायद कोई भी क्रिकेटप्रेमी अभी तक नहीं भुले होंगे, हां वहीं हरभजन सिंह पर नस्लभेदी आरोप का मामला, जिसके लिए उनपर बैन भी लग गया था. बाद में काफी विरोध के बाद उसे आरोप मुक्त किया गया था. जबकि इस मामले में हरभजन के खिलाफ सबूत के तौर पर कोई रिकॉर्ड का गवाह नहीं था, उस समय सिर्फ साइमंडस ने ही सुना था कि उसे मंकी कहा गया है यहां तक यही हैडन ने भी कहा था कि उसने कुछ नहीं सूना लेकिन हरभजन की बात अनसुनी कर दी गई थी, उस समय क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया कहां जाकर सोई हुई थी. उस समय उनका इंसाफ कहा गया था, और आज वह जिस खेल भावना का हवाला दे रही है उस वक्त वह कहां गुम हो गया था. साथ ही अगर याद हो तो क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने यह बयान भी दिया था कि अगर यह मामला उनके पास आता तो हरभजन को पूरा-पूरा इंसाफ मिलता, तो महानुभाव क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया आज आपको क्या हो गया आज तो मामला भी आपके पास था और इंसाफ भी उसे ही चाहिए था जिसकी वकालत उस समय आपने की थी. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने आज जो फैसला लिया है वह काला इंसाफ है. वह एक बार फिर अपने खिलाडियों के आगे या तो नतमस्तक हो गया है या अपने आप को यह साबित करने का कोई मौका नहीं चूकना चाहता कि वह पूरे विश्व की सबसे घटिया व घंमडी बोर्ड है. लगता है शायद उन्हें यह बात नहीं पता कि पाप का घडा एक न एक दिन फूटेगा ही और जिस दिन फूटेगा उस दिन उसे संभालने वाला भी कोई नहीं रहेगा.
कल ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज मैथ्यु हैडन ने जिस तरह से भारतीय गेंदबाज हरभजन सिंह पर टिप्पणी की थी और उस पर जिस तरह से क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने त्वरित अपनी प्रतिक्रिया दी और उसपर जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था उससे सभी क्रिकेट प्रशसंकों को लगने लगा था कि शायद ऑस्ट्रेलिया में अभी भी शर्म बाकी है और वह क्रिकेट को क्रिकेट की तरह खेलना चाहती है, लेकिन क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने जो आज फैसला लिया उससे एक बार फिर साबित हो गया है वह न सिर्फ घंमडी है बल्कि विश्वासघाती व बेईमान भी है. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने हैडन को इस मामले में दोषी तो पाया लेकिन उसपर बिना कोई जुर्माना और न ही किसी मैच पर बैन लगाये उसे सिर्फ फटकार लगाकर छोड दिया. अगर हम चार दिन पहले की घटना पर अगर नजर डाले जब इंशात शर्मा ने साइमंडस पर कोई टिप्पणी नहीं की थी सिर्फ यही कहा था कि मैं जानता हूं तुम यह बोल नहीं खेल सकते इतनी सी बात पर मैच रेफरी ने उसपर मैच फीस का 15 प्रतिशत जुर्माना लगा दिया था, जबकि बाद में साइमंडस ने भी यह बात कबूली थी कि इंशात ने वैसी कोई टिप्पणी नहीं की थी. चलिए एकपल के लिए यह मान लेते हैं कि यह काम तो मैच रेफरी का था, इसमें क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया कुछ नहीं कर सकती थी. एक और मामला हमारे सामने है जिसे शायद कोई भी क्रिकेटप्रेमी अभी तक नहीं भुले होंगे, हां वहीं हरभजन सिंह पर नस्लभेदी आरोप का मामला, जिसके लिए उनपर बैन भी लग गया था. बाद में काफी विरोध के बाद उसे आरोप मुक्त किया गया था. जबकि इस मामले में हरभजन के खिलाफ सबूत के तौर पर कोई रिकॉर्ड का गवाह नहीं था, उस समय सिर्फ साइमंडस ने ही सुना था कि उसे मंकी कहा गया है यहां तक यही हैडन ने भी कहा था कि उसने कुछ नहीं सूना लेकिन हरभजन की बात अनसुनी कर दी गई थी, उस समय क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया कहां जाकर सोई हुई थी. उस समय उनका इंसाफ कहा गया था, और आज वह जिस खेल भावना का हवाला दे रही है उस वक्त वह कहां गुम हो गया था. साथ ही अगर याद हो तो क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने यह बयान भी दिया था कि अगर यह मामला उनके पास आता तो हरभजन को पूरा-पूरा इंसाफ मिलता, तो महानुभाव क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया आज आपको क्या हो गया आज तो मामला भी आपके पास था और इंसाफ भी उसे ही चाहिए था जिसकी वकालत उस समय आपने की थी. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने आज जो फैसला लिया है वह काला इंसाफ है. वह एक बार फिर अपने खिलाडियों के आगे या तो नतमस्तक हो गया है या अपने आप को यह साबित करने का कोई मौका नहीं चूकना चाहता कि वह पूरे विश्व की सबसे घटिया व घंमडी बोर्ड है. लगता है शायद उन्हें यह बात नहीं पता कि पाप का घडा एक न एक दिन फूटेगा ही और जिस दिन फूटेगा उस दिन उसे संभालने वाला भी कोई नहीं रहेगा.
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