सरोज तिवारी
आखिर कब तक बिहार व झारखंड के लोग बिहारी व झारखंडी होने का दंश झेलते रहेंगे. उन्हें बिहारी व झारखंडी (बाहरी) कह कर तिरस्कृत किया जाता रहेगा. उनके साथ मारपीट की जाती रहेगी. कब तक हम अपने ही देश में बाहरी होने का दंश झेलते रहेंगे. कुछ दिन पहले महाराष्ट्र नव निर्माण पार्टी के अध्यक्ष राज ठाकरे ने छठ पर्व को बकवास और एक नाटक बताया था और इसे इतना महत्व नहीं देने की बात कही थी. इस मामले ने अब काफी तूल पकड़ लिया है. जब राज ठाकरे के बयान का विरोध जगह-जगह होने लगा तो उनके समर्थक बिहारियों और झारखंडियों की पिटाई करने पर उतारू हो गये. इसी का परिणाम है मुंबई का वर्तमान परिदृश्य. मुंबई में बिहारियों और झारखंडियों को जिस तरह से दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया, वह शर्मनाक है. राज ठाकरे के समर्थकों की यह दादागिरी मुंबई के कई हिस्सों में देखने को मिली. सबसे शर्मनाक बात यह है कि यह दादागिरी मुंबई के कई हिस्सों में देखने को मिली. हद तो तब हो गयी जब राज ठाकरे छठ पर्व पर दिये बयान के बाद देश के महानायक अमिताभ बच्चन और जया बच्चन के खिलाफ भी बोलना शुरू कर दिया. उन्हें लग रहा है कि बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के लोग मुंबई नहीं आयें. सच्चाई तो यह है कि इन राज्यों के लोग वहां भीख मांगने नहीं गये हैं. वे अपनी कला व हुनर का प्रदर्शन करने गये हैं. अपना श्रम बेचने गये हैं. अपनी कला से फिल्मी दुनिया को चमकाने गये हैं. इस मामले का पूरे देश में विरोध होना चाहिए. क्योंकि आज राज ठाकरे बिहारी, उत्तर प्रदेश वासियों व झारखंडियों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं. हो सकता है कि कल उन्हें पगड़ी पहनने पर एतराज हो. डांडिया, पोंगल और ओनम से विरोध हो और संपूर्ण गैर मराठियों से एलर्जी हो सकती है. इसलिए भारत के सभी लोगों को मिलकर इसका विरोध करना चाहिए. इस घटना को लेकर झारखंड में उबाल आ गया है. राज ठाकरे के पुतले जलाये जा रहे हैं. महराष्ट्र सरकार की निंदा की जा रही है. इससे पहले असम में झारखंडियों की पिटाई की गयी थी. इसकी आग अभी बुझी भी नहीं थी कि अब फिर महाराष्ट्र में झारखंडियों और बिहारियों की पिटाई कर दी गयी. इस तरह की घटना का विरोध पूरे देश वासियों को करना चाहिए. आखिर असम, महाराष्ट्र और अन्य राज्य में जहां बिहारियों, झारखंडियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है उनके साथ किस बात की दुश्मनी है. सच्चाई तो यह है कि बिहारियों व झारखंडियों की तरक्की किसी को रास नहीं आ रही है. हालांकि देर ही सही इस मामले को लेकर नाराज शिवसैनिकों ने भी विरोध जताया है. हालांकि इस घटना ने एक नया रंग ले लिया है. आज भी राज ठाकरे के समर्थकों ने भोजपूरी गायक मनोज तिवारी के घर मे तोड़-फोड़ की और कई बिहारियों और झारखंडियों की पिटायी की. इस मामले के उग्र रूप को देखते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को भी हस्तक्षेप करना पड़ा है. उन्होंने इस मामले पर कहा है कि इस तरह की घटना पर तुरंत रोक लगे. ऐसी घटनाएं लोकतंत्र का चीरहरण करने जैसा है, इस कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए.
आखिर कब तक बिहार व झारखंड के लोग बिहारी व झारखंडी होने का दंश झेलते रहेंगे. उन्हें बिहारी व झारखंडी (बाहरी) कह कर तिरस्कृत किया जाता रहेगा. उनके साथ मारपीट की जाती रहेगी. कब तक हम अपने ही देश में बाहरी होने का दंश झेलते रहेंगे. कुछ दिन पहले महाराष्ट्र नव निर्माण पार्टी के अध्यक्ष राज ठाकरे ने छठ पर्व को बकवास और एक नाटक बताया था और इसे इतना महत्व नहीं देने की बात कही थी. इस मामले ने अब काफी तूल पकड़ लिया है. जब राज ठाकरे के बयान का विरोध जगह-जगह होने लगा तो उनके समर्थक बिहारियों और झारखंडियों की पिटाई करने पर उतारू हो गये. इसी का परिणाम है मुंबई का वर्तमान परिदृश्य. मुंबई में बिहारियों और झारखंडियों को जिस तरह से दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया, वह शर्मनाक है. राज ठाकरे के समर्थकों की यह दादागिरी मुंबई के कई हिस्सों में देखने को मिली. सबसे शर्मनाक बात यह है कि यह दादागिरी मुंबई के कई हिस्सों में देखने को मिली. हद तो तब हो गयी जब राज ठाकरे छठ पर्व पर दिये बयान के बाद देश के महानायक अमिताभ बच्चन और जया बच्चन के खिलाफ भी बोलना शुरू कर दिया. उन्हें लग रहा है कि बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के लोग मुंबई नहीं आयें. सच्चाई तो यह है कि इन राज्यों के लोग वहां भीख मांगने नहीं गये हैं. वे अपनी कला व हुनर का प्रदर्शन करने गये हैं. अपना श्रम बेचने गये हैं. अपनी कला से फिल्मी दुनिया को चमकाने गये हैं. इस मामले का पूरे देश में विरोध होना चाहिए. क्योंकि आज राज ठाकरे बिहारी, उत्तर प्रदेश वासियों व झारखंडियों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं. हो सकता है कि कल उन्हें पगड़ी पहनने पर एतराज हो. डांडिया, पोंगल और ओनम से विरोध हो और संपूर्ण गैर मराठियों से एलर्जी हो सकती है. इसलिए भारत के सभी लोगों को मिलकर इसका विरोध करना चाहिए. इस घटना को लेकर झारखंड में उबाल आ गया है. राज ठाकरे के पुतले जलाये जा रहे हैं. महराष्ट्र सरकार की निंदा की जा रही है. इससे पहले असम में झारखंडियों की पिटाई की गयी थी. इसकी आग अभी बुझी भी नहीं थी कि अब फिर महाराष्ट्र में झारखंडियों और बिहारियों की पिटाई कर दी गयी. इस तरह की घटना का विरोध पूरे देश वासियों को करना चाहिए. आखिर असम, महाराष्ट्र और अन्य राज्य में जहां बिहारियों, झारखंडियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है उनके साथ किस बात की दुश्मनी है. सच्चाई तो यह है कि बिहारियों व झारखंडियों की तरक्की किसी को रास नहीं आ रही है. हालांकि देर ही सही इस मामले को लेकर नाराज शिवसैनिकों ने भी विरोध जताया है. हालांकि इस घटना ने एक नया रंग ले लिया है. आज भी राज ठाकरे के समर्थकों ने भोजपूरी गायक मनोज तिवारी के घर मे तोड़-फोड़ की और कई बिहारियों और झारखंडियों की पिटायी की. इस मामले के उग्र रूप को देखते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को भी हस्तक्षेप करना पड़ा है. उन्होंने इस मामले पर कहा है कि इस तरह की घटना पर तुरंत रोक लगे. ऐसी घटनाएं लोकतंत्र का चीरहरण करने जैसा है, इस कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए.
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