गूगल सर्च इंजन को अंग्रेज़ी में लिखा जाता है google लेकिन असल में यह googol की ग़लत स्पैलिंग है. गूगल एक बहुत बड़ी संख्या है जिसमें 1 के आगे 100 शून्य लगते हैं. सन 1920 में अमरीका के एक गणितज्ञ ऐडवर्ड कैसनर, इस संख्या के लिए नाम तलाश कर रहे थे और जब उनके नौ वर्षीय भांजे मिल्टन ने गूगल नाम सुझाया तो उन्होंने उसे दर्ज करा लिया. कैसनर ने एक अन्य गणितज्ञ के साथ मिलकर एक किताब लिखी 'मैथमैटिक्स ऐंड द इमैजिनेशन' जिसमें पहली बार इस शब्द का ज़िक्र हुआ. लेकिन सर्च इंजन का नाम गूगल कैसे पडा इसकी अलग कहानी है. जनवरी 1996 में अमरीका के स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में लैरी पेज ने एक शोध शुरू किया. कुछ समय बाद सर्गी ब्रिन भी उनके साथ हो लिए. लैरी की परिकल्पना यह थी कि अगर एक ऐसा सर्च इंजन बनाया जाए जो विभिन्न वैबसाइटों के आपसी संबंध का विश्लेषण कर सके तो बेहतर परिणाम मिल सकेंगे. उन्होंने पहले इसका नाम रखा था बैकरब. लेकिन क्योंकि लैरी की गणित में बहुत रुचि थी इसलिए उन्होंने इस सर्च इंजन का नाम गूगल रख दिया.
साभार- बीबीसी हिन्दी
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have a nice time
lovely